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'पति ने सबसे पहले वो आग देखी, फिर...', गोवा क्लब में परिवार के 4 लोगों को खोने वाली दिल्ली की भावना की कहानी

6 दिसंबर की रात गोवा के नाइट क्लब में लगी भीषण आग से 25 लोगों की मौत हो गई थी. इसी में भावना के पति विनोद और तीन बहनों की भी मौत हो गई थी. उस भयानक रात को याद करते हुए भावना ने बताया कि क्लब के बाहर मौजूद लोगों या स्टाफ ने किसी तरह की मदद नहीं की. कोई गाइड करने वाला नहीं था.

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भावना जोशी ने गोवा के नाइट क्लब में लगी आग में अपने परिवार के चार सदस्यों को खो दिया (File Photo- ITG)
भावना जोशी ने गोवा के नाइट क्लब में लगी आग में अपने परिवार के चार सदस्यों को खो दिया (File Photo- ITG)

गोवा के Birch by Romeo Lane नाइट क्लब में हुए भयावह अग्निकांड ने दिल्ली की भावना जोशी की पूरी दुनिया छीन ली. 6 दिसंबर की रात लगी भीषण आग में भावना के पति विनोद और तीन बहनें कमला, सरोज और अनीता धुएं और लपटों में घिरकर मौत के मुंह में समा गईं. खुद भावना उस खौफनाक हादसे की चश्मदीद हैं और कुछ ही सेकंड में सबकुछ बिखरते हुए उन्होंने अपनी आंखों से देखा.

दिल्ली के खजूरी खास स्थित अपने घर में आजतक से बातचीत में भावना ने कहा, “पूरा मंजर आज भी आंखों के सामने घूम रहा है. मैं निकल आई, बाकी सभी अंदर ही रह गए.”

कैसे शुरू हुई वो भयानक रात

भावना के मुताबिक, क्लब में बेली डांस शो चल रहा था. वे सभी डांस फ्लोर के ठीक सामने अपनी टेबल पर बैठे थे, तभी शो में इस्तेमाल की गई पायरोटेक्निक ने अचानक छत में आग लगा दी. सबसे पहले उनके पति विनोद ने आग की लपटें देखीं और तुरंत स्टाफ को इशारे करके अलर्ट किया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

डीजे ने पानी भरी बोतलों से आग बुझाने की कोशिश की, मगर कुछ काम नहीं आया. पलभर में धुआं घना होकर पूरे हॉल में फैल गया और सबकुछ काला पड़ गया. भावना ने बताया, “कुछ दिखाई नहीं दे रहा था बस धुआं ही धुआं था.”

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अफरातफरी और अंधेरे में जिंदगी-मौत की दौड़

धुआं फैलते ही लोगों में भगदड़ मच गई. लोग एक-दूसरे पर गिरते-पड़ते बाहर निकलने के लिए छटपटा रहे थे. भावना अपने पति और बहनों से बस दो-तीन कदम आगे थीं, तभी उन्होंने देखा कि बाउंसर कलाकारों को पहले बाहर निकाल रहे थे. धक्का-मुक्की में वह परिवार से अलग हो गईं और किसी तरह बाहर निकल आईं.

नम आंखों से भावना ने बताया, “मैं तो निकल गई, पर मेरे पति और बहनें पीछे ही रह गईं. क्लब में सिर्फ एक ही एंट्री-एग्जिट थी. घुप्प अंधेरे और धुएं के बीच कई लोग रास्ता भटककर बेसमेंट की तरफ भाग गए, जहां धुआं और ज्यादा भरा हुआ था."

'बाहर कोई मदद करने वाला नहीं था'

भावना के अनुसार, बाहर मौजूद लोगों या स्टाफ ने किसी तरह की मदद नहीं की. कोई गाइड करने वाला नहीं था. बाहर भी कोई सहायता के लिए नहीं आया. पुलिस करीब एक घंटे बाद पहुंची. तब तक बाहर खड़े लोग अपने लापता परिजनों के बारे में किसी भी खबर का इंतज़ार कर रहे थे. उन्होंने पांच घंटे तक अपने परिवारवालों की कोई सूचना मिलने का इंतजार किया, मगर जो खबर आई, वह दिल दहला देने वाली थी.

उन्होंने बताया कि फायर ब्रिगेड जब तक आग पर काबू पाती, 25 लोगों की मौत हो चुकी थी. इनमें 5 पर्यटक और 20 स्टाफ सदस्य शामिल थे. अधिकतर शव बेसमेंट में मिले, जहां लोग जहरीले धुएं से बेहोश होकर मौत के मुंह में समा गए. भावना ने इंसाफ की गुहार लगाते हुए कहा, “ऐसी लापरवाही के लिए सख्त से सख्त सजा हो ताकि कोई और परिवार हमारी तरह न उजड़े.”

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मालिकों पर शिकंजा कसना शुरू

बता दें कि हादसे के बाद भावना और उनके परिवार के बचे हुए सदस्य 7 दिसंबर को दिल्ली लौट आए. वह क्लब के मालिकों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रही हैं. उधर, क्लब मालिक सौरभ और गौरव लूथरा, जो आग लगने के कुछ घंटे बाद फुकेत भाग गए थे, अब थाईलैंड में डिटेन कर लिए गए हैं. भारत सरकार ने उनकी डिपोर्टेशन की मांग की है. लूथरा ब्रदर्स ने दिल्ली की एक अदालत में अग्रिम जमानत की अर्जी दी है और दावा किया है कि वे बिजनेस मीटिंग के लिए देश से निकले थे, न कि आग से भागने के लिए.

जांच में बड़ी लापरवाही आई सामने

पुलिस जांच में सामने आया है कि क्लब में बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के फायर शो कराया जा रहा था. इसमें न ही फायर अलार्म था, न ही फायर एक्सटिंग्विशर. साथ ही न कोई दमकल सुरक्षा सिस्टम था और न ही फायर ऑडिट कराया गया था. क्लब में ग्राउंड फ्लोर और डेक पर कोई इमरजेंसी एग्जिट भी नहीं था, जिससे लोग अंदर ही फंस गए. क्लब बिना जरूरी लाइसेंस और परमिशन के चल रहा था. अब तक को-ओनर अजय गुप्ता सहित 5 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है.

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