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लापरवाही, गैरकानूनी संचालन और 25 जिंदगी खत्म... गोवा फायर कांड का जिम्मेदार कौन?

अग्निकांड के दौरान क्लब में मौजूद पर्यटकों ने बताया कि क्लब के पहले फ्लोर पर डांस के दौरान अचानक चारों ओर पटाखे फूटने लगे और भगदड़ मच गई. 100 से ज्यादा लोग उस समय डांस फ्लोर पर थे. कई लोग नीचे की ओर भागे और वहीं फंस गए.

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गोवा नाइट क्लब में आग लगने से 25 लोगों की मौत हुई थी (Photo-ITG)
गोवा नाइट क्लब में आग लगने से 25 लोगों की मौत हुई थी (Photo-ITG)

उत्तरी गोवा के अर्पोरा स्थित नाइट क्लब 'Birch by Romeo Lane' में भीषण आग लगने से 25 लोगों की मौत हो गई है. इस त्रासदी ने गोवा में नाइटलाइफ़ से जुड़ी अनियमितताओं और नियमों को लागू करने में सरकारी अधिकारियों की घोर लापरवाही को उजागर कर दिया है.

आग लगने के कारण क्लब के चार प्रबंधक-राजीव मोदक, विवेक सिंह, राजीव सिंघानिया और रियांशु ठाकुर गिरफ्तार किए गए हैं, जिन्हें रविवार देर रात मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया और 6 दिन की पुलिस हिरासत (रिमांड) पर भेज दिया गया है. दिल्ली से भी एक व्यक्ति (भारत) को गिरफ्तार किया गया है, जो क्लब के दैनिक परिचालन का काम देखता था.

मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने शुरुआती जांच में कहा है कि क्लब के अंदर "इलेक्ट्रिक फायरक्रैकर्स" चलाए गए थे, जिससे आग लगी. इस अग्निकांड में 5 पर्यटक (चार दिल्ली से) और 20 कर्मचारी मारे गए, जबकि छह घायल हैं.  सबसे बड़ा सवाल सवाल यह है कि इतनी बड़ी लापरवाही का असल जिम्मेदार कौन है. शुरुआती जांच कई पक्षों पर उंगली उठाती है.

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कौन है इस त्रासदी का जिम्मेदार?

क्लब प्रबंधन: क्लब के पास कथित तौर पर फायर डिपार्टमेंट की NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) नहीं थी और सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन किया गया. क्लब के मालिक (गौरव और सौरभ लूथरा) अभी भी फरार हैं, जिनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी हो गया है.

सरकारी सिस्टम की ढिलाई: मुख्यमंत्री सावंत ने खुद स्वीकार किया कि नियमों का उल्लंघन होने के बावजूद क्लब को संचालित करने की अनुमति दी गई.

फील्ड अधिकारी: तत्कालीन पंचायत निदेशक सिद्धि तुषार हरलंकर, गोवा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सदस्य सचिव डॉ. शमिला मोंटेरो और ग्राम पंचायत सचिव रघुवीर बागकर को लापरवाही के आरोप में निलंबित किया गया है. स्थानीय सरपंच ने भी दावा किया कि पंचायत द्वारा जारी डिमोलिशन नोटिस को निदेशालय के अधिकारियों ने स्टे कर दिया था.

इन सवालों के जवाब मिलना बाकी?

यह त्रासदी सिर्फ एक दुर्घटना नहीं है; यह एक सिस्टमैटिक नाकामी का नतीजा है. जिन सवालों के जवाब जांच पैनल (जिसमें दक्षिण गोवा कलेक्टर, फायर विभाग के उप निदेशक और फोरेंसिक निदेशक शामिल हैं) से अपेक्षित हैं, वे हैं:

बिना NOC के कैसे चल रहे हैं अन्य पब? गोवा में सैकड़ों नाइट क्लब/पब हैं. मौके पर मौजूद पर्यटकों ने बताया कि क्लब के पहले फ्लोर पर डांस के दौरान अचानक चारों ओर पटाखे फूटने लगे और भगदड़ मच गई. क्या अन्य स्थानों पर भी सुरक्षा नियमों की इसी तरह धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, जहां इलेक्ट्रिक पटाखे या इसी तरह की चीजें इस्तेमाल हो रही हैं?

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जांच क्यों नहीं हुई? जब पंचायत स्तर पर शिकायतें थीं और भाजपा विधायक माइकल लोबो ने भी बिना दस्तावेज़ीकरण लाइसेंस जारी होने का दावा किया, तो पहले सख्त जांच क्यों नहीं की गई?

आग से बचने का रास्ता क्यों नहीं था? संकरी गलियों के कारण फायर ब्रिगेड की गाड़ियां 400 मीटर दूर रोकनी पड़ीं और छोटे दरवाजों एवं एक पतले पुल की वजह से लोगों का बाहर निकलना लगभग असंभव हो गया. नतीजा यह हुआ कि ज्यादातर मौतें दम घुटने से हुईं और लोग ग्राउंड फ्लोर और किचन में फंस गए.

मौतों का कारण और सबक

अग्निशमन विभाग के अनुसार, अधिकांश मौतें दम घुटने (Suffocation) से हुईं, क्योंकि भागने के लिए छोटे दरवाजे और संकरी पुलिया ही थी. 100 से अधिक लोग डांस फ्लोर पर थे, और भागने की कोशिश में भगदड़ जैसी स्थिति बन गई.

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सबसे बड़ा सबक यह है कि नियमों का उल्लंघन कर चल रहे अन्य स्थानों की तत्काल जांच (Audit) हो. सीएम सावंत ने आश्वासन दिया है कि बिना अनुमति चल रहे क्लबों और भारी भीड़ वाले स्थानों का ऑडिट किया जाएगा. विपक्षी दल इस घटना को "सुरक्षा और शासन की आपराधिक विफलता" बता रहे हैं और सीएम सावंत के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.

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