दिल्ली के कई बड़े प्रतिष्ठित स्कूलों को 16 जुलाई को एक धमकी भरा ईमेल लिखा, जिसमें कहा गया कि क्लासरूम के आसपास बैकपैक में बम रखा गया है. स्कूल प्रशासन ने जैसे ही इन ईमेल को देखा उन्होंने तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम और नजदीकी पुलिस स्टेशन मे इस मेल के मिलने की जानकारी दी.
दिल्ली पुलिस की टीम, दिल्ली फायर सर्विस की टीम, बम डिस्पोजल स्क्वाड और डॉग स्क्वाड बम की जानकारी मिलते ही तुरंत मौके पर पहुंच गए. जब भी जहां कहीं भी बम मिलने की कॉल मिलती है, फिर चाहे वह कोई बाजार हो, अस्पताल हो, स्कूल हो या फिर एयरक्राफ्ट. तो एक स्टैंडर्ड प्रोसीजर के तहत कदम उठाए जाते हैं और एजेंसी उसे गंभीरता से फॉलो करती हैं.
बम की खबर झूठी होने या अफवाहन होने के बावजूद तमाम एजेंसियां चप्पे-चप्पे की छानबीन करती है. मेल मिलने के बाद कई स्कूलों ने इनकी छुट्टी कर दी. मामला बड़े स्कूलों का था लिहाजा दिल्ली पुलिस ने जांच तुरंत शुरू कर दी. जांच लोकल पुलिस और साइबर यूनिट में शुरू की.
स्कूल से ईमेल के ओरिजिन का पता किया गया और फिर पुलिस टीम में उसे ट्रैक करना शुरू कर दिया. जिन स्कूलों में 16 जुलाई को मेल आया था, उनमें द्वारका सेक्टर-19 का एक स्कूल ऐसा था, जिसे लगातार दो दिन ईमेल मिला था. लोकल पुलिस ने जब मेल की जांच की तो पता लगा कि 15 जुलाई को जो मेल किया गया था उसे एक 12 साल के बच्चे ने भेजा था जो खुद छात्र था.
पुलिस ने ट्रैक करने के बाद जब उस छात्र का पता लगाया तो सबसे पहले उस छात्र की काउंसलिंग की गई. काउंसलिंग के जरिए यह समझने की कोशिश की गई कि बच्चे ने आखिर क्यों ऐसा किया वजह क्या थी और साथ ही साथ बच्चे के माता-पिता को भी बच्चों का ध्यान रखने की नसीहत दी गई. हालांकि जो अन्य स्कूलों को मेल आए, उनकी जांच अभी जारी है.
क्या कहता है कानून?
स्कूलों में बम की झूठी कॉल करने वालों के खिलाफ कानून सख्त है. भारतीय दंड संहिता से पहले इंडियन पीनल कोर्ट में भी इनके खिलाफ सख्त कानून थे.
स्कूल में बम की झूठी कॉल करना एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है क्योंकि इससे न केवल दहशत फैलती है बल्कि प्रशासन और पुलिस की संसाधनों की भी बर्बादी होती है. 2024 में लागू हुए भारतीय न्याय संहिता (BNS) में ऐसे मामलों से निपटने के लिए साफ निर्देश हैं. बीएनएस के तहत बम की झूठी कॉल करने वाले के खिलाफ कई धाराओं में केस दर्ज किया जा सकता है, जिसमें धारा 176- सार्वजनिक शांति भंग करने की मंशा से झूठी सूचना देना है. अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर झूठी सूचना देता है जिससे डर, घबराहट या अव्यवस्था फैलती है, जैसे बम की कॉल, तो उस पर यह धारा लग सकती है. पांच साल की कैद या जुर्माना या दोनो हो सकता है.
इसके साथ ही धारा 353- सार्वजनिक सेवाओं में बाधा डालना. स्कूल में बम की झूठी कॉल से पुलिस, दमकल और प्रशासन की सेवाओं में बाधा आती है. यह धारा भी लागू हो सकती है. पांच साल की कैद या जुर्माना या दोनो हो सकता है. इसके अलावा भी कुछ ऐसी धाराएं ही जिन्हें पुलिस जांच के दौरान मिले सबूत के आधार पर लगा सकती है, जिनमें धारा 124 (आपराधिक धमकी), धारा 281 (झूठी अफवाह फैलाना जिससे जनहानि हो सकती है).
अगर आरोपी नाबालिग (school student) है!
ऐसे मामलों में ज्यादातर पुलिस काउंसलिंग के बाद छात्रा को दोबारा ऐसे ना करने की नसीहत देकर छोड़ देती है लेकिन अगर पुलिस को मामला गंभीर लगा तो जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत मामला चलेगा. कुछ मामलों में कम्युनिटी सर्विस भी कराई जा सकती है.
हालांकि अगर स्कूल चाहे तो इस मामले में एफआईआर दर्ज करवा सकता है. अगर छात्र नाबालिग है तो उसके खिलाफ डिसिप्लिनरी कार्रवाई भी हो सकती है, छात्र को निलंबित भी किया जा सकता है. पिछले 12 महीनों (2024 नवंबर से 2025 जुलाई तक) दिल्ली‑NCR के स्कूलों को करीब 200 से 250 झूठी बम धमकी वाली कॉल या ईमेल प्राप्त हुई हैं. एक मई 2024 को एक ही दिन में करीब 100 स्कूलों को धमकी भरा मेल आया था. दिसंबर 2024 में लगभग 40 स्कूलों को धमकी भरा मेल भेजा गया था।
अब तक की जांच
जब भी स्कूलों को धमकी भरा ईमेल आता है तो इसकी जांच लोकल पुलिस के साथ-साथ साइबर यूनिट भी करती है ताकि जल्द से जल्द उसे स्त्रोत का पता किया जा सके जिसने इन ईमेल को किया है. 15 जुलाई को द्वारका जिले के स्कूल को भेजे गए मेल को एक 12 साल के छात्र ने भेजा था जबकि फरवरी 2024 से जनवरी 2025 तक भेजे गए कई ईमेल के पीछे एक बारहवीं के छात्र निकला था.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक प्रारंभिक जांच में छात्र ने बताया था कि उसने यह मेल सिर्फ मजाक में कर दिए थे. जांच के दायरे में छात्र के माता-पिता भी आए थे क्योंकि पुलिस को पता लगा था कि उनका किसी एनजीओ से भी संबंध है.
हालांकि जांच में एक बार पुलिस को आईपी एड्रेस ट्रेस करते वक्त हंगरी के सर्वर और उसके बाद रूस के सर्वर से मेल रूट होने की जानकारी मिली थी इस मामले में अभी तक कोई ब्रेक थ्रू नहीं मिल सका है.