scorecardresearch
 

1993 में पाकिस्तानी गोलीबारी में हुए थे घायल...हौसले की मिसाल है Bipin Rawat का ये किस्सा

बिपिन रावत (Bipin Rawat) 1993 को सेना में यूनिट 5/11 गोरखा राइफल्स के मेजर थे और 17 मई, को उरी (कश्मीर) में गश्त के दौरान पाकिस्तान की ओर से हो रही भारी गोलीबारी की जद में आ गए थे. बिपिन रावत के पैर के टखने पर एक गोली लगी थी और दाहिने हाथ पर छर्रे का एक टुकड़ा लगा था.

Advertisement
X
Bipin Rawat (बिपिन रावत-फाइल फोटो)
Bipin Rawat (बिपिन रावत-फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • CDS बिपिन रावत का निधन हो गया
  • सालों पहले पाक की गोलीबारी में हुए थे घायल

CDS Bipin Rawat Helicopter Crash: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत (CDS Bipin Rawat) अब इस दुनिया में नहीं रहे हैं. तमिलनाडु में 08 दिसंबर 2021 को हुए हेलिकॉप्टर क्रैश हादसे में  CDS रावत का निधन हो गया है. रावत के साथ उनकी पत्नी की भी इस हेलिकॉप्टर हादसे (Helicopter Crash) में जान चली गई है. बिपिन रावत (Bipin Rawat) ने अपने जीवन का ज्यादातर वक्त भारतीय सेना (Indian Army) में सेवा देकर गुजारा है. 

बिपिन रावत ने सेना में रहते कई कठिन परिस्थितियां का सामना किया. 'इंडिया टुडे' के साथ अपने अनुभव को शेयर करते हुए उन्होंने बताया था कि 1993 को वे सेना में यूनिट 5/11 गोरखा राइफल्स के मेजर थे और 17 मई को उरी (कश्मीर) में गश्त के दौरान पाकिस्तान की ओर से हो रही भारी गोलीबारी की जद में आ गए थे. बिपिन रावत के पैर के टखने पर एक गोली लगी थी और दाहिने हाथ पर छर्रे का एक टुकड़ा लगा था.

किस्मत से उस वक्त उन्होंने कैनवस एंकलेट पहन रखा था, जिसकी वजह से गोली के तेज रफ्तार को तो झेल लिया था, लेकिन फिर भी उनका टखना चकनाचूर हो गया था. जिसके बाद उन्हें श्रीनगर के 92 बेस अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने शानदार कौशल का परिचय देते हुए हाथ और टखने को दुरुस्त कर दिया था.

Advertisement

बिपिन रावत ने बताया था कि गोली लगने के बाद सेना में एक युवा अधिकारी के रूप में उन्हें इस बात की टेंशन होती थी कि कहीं उन्हें महू (मध्य प्रदेश) में अपने सीनियर कमान कोर्स में शामिल होने से वंचित न रहना पड़े. हायर कमान कोर्स (सेना में पदोन्नति के लिए आवश्यक) के इसे पास करना जरूरी था. उस दौरान लोगों ने बिपिन रावत से कहा था कि सेना में अब उनका करियर खत्म हो चुका है.

लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और एक महीने बीमारी की छुट्टी ली. फिर धीरे-धीरे बैसाखी के सहारे चलना शुरू कर दिया. इसके बाद उन्हें रेजिमेंटल सेंटर लखनऊ में वापस तैनात किया गया. उरी में यूनिट के सीओ (कमांडिंग ऑफिसर) ने कहा था कि मिलिट्री सेक्रेटरी ब्रांच की सहमति हो तो वे बिपिन रावत को वापस यूनिट में रखने को तैयार हैं. 

बिपिन रावत के जीवन की कई घटनाएं रही हैं, यह उनमें से एक उनके हौसले और हिम्मत की मिसाल है. 1993 में पाकिस्तानी गोलाबारी में घायल होने के बावजूद न तो सेना में अपने करियर को प्रभावित होने दिया और न ही अपने जीवन को. जीवन की किसी भी बाधा के दौरान वो घबराए नहीं और खुद पर भरोसा रखते हुए आगे बढ़े. 

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement