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Bullet Train in India: पहले 2022, फिर 2023 और अब 2026... बुलेट ट्रेन को दौड़ने में देरी क्यों?

Bullet Train in India: सितंबर 2017 में जब बुलेट ट्रेन के लिए हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का शिलान्यास किया गया था, तब 2022 तक इस प्रोजेक्ट के पूरा होने की उम्मीद जताई गई थी. बाद में इसकी डेडलाइन 2023 तक बढ़ा दी गई. अब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उम्मीद जताई है कि 2026 तक बुलेट ट्रेन शुरू हो जाएगी.

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भारत की पहली बुलेट ट्रेन E5 सीरीज की शिंकानसेन होगी. (फाइल फोटो)
भारत की पहली बुलेट ट्रेन E5 सीरीज की शिंकानसेन होगी. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की लागत 1.08 लाख करोड़ रुपये
  • जापान की मदद से बन रहा हाई स्पीड रेल कॉरिडोर
  • मुंबई से अहमदाबाद की दूरी 2 घंटे में पूरी होगी

साल 2015 में मुंबई से अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन शुरू करने की घोषणा की गई. बुलेट ट्रेन के लिए भारत ने जापान के साथ समझौता किया. सितंबर 2017 में इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया गया. तब रेलवे ने कहा था कि 15 अगस्त 2022 तक मुंबई से अहमदाबाद के बीच हाई स्पीड रेल शुरू करने की पूरी कोशिश की जाएगी. साल 2022 की इस गाइडलाइन को एक साल बढ़ाकर 2023 कर दिया. और अब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि 2026 तक बुलेट ट्रेन शुरू होने की उम्मीद है.

अश्विनी वैष्णव ने बताया कि 2026 तक सूरत से बिलिमोरा के बीच पहली बुलेट ट्रेन चलाने का टारगेट रखा गया है. उन्होंने कहा कि काम बहुत अच्छा चल रहा है और उम्मीद है कि 2026 तक सेवा शुरू हो जाएगी. 

अहमदाबाद से मुंबई तक हाई स्पीड रेल कॉरिडोर बनाया जा रहा है, जिस पर बुलेट ट्रेन दौड़ेगी. इस ट्रेन की रफ्तार 320 किलोमीटर प्रति घंटा होगा. बुलेट ट्रेन से अहमदाबाद से मुंबई के बीच का सफर 2 घंटे 7 मिनट में पूरा हो जाएगा. अभी इन दो शहरों के बीच बस से सफर करने पर 9 घंटे और ट्रेन से 6 घंटे का समय लगता है.

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क्या है बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट? 5 प्वॉइंट्स में समझें

1. भारत की पहली बुलेट ट्रेन के लिए जापान मदद कर रहा है. इसके लिए भारत और जापान के बीच समझौता हुआ है. इस पूरे प्रोजेक्ट पर 1.08 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है, जिसमें से 88 हजार करोड़ रुपये यानी 81% का कर्ज जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) से मिला है.

2. भारत की पहली बुलेट ट्रेन अहमदाबाद से मुंबई के बीच चलेगी. इसके लिए 508.09 किलोमीटर लंबा हाई स्पीड रेल कॉरिडोर बनाया जा रहा है. 463 किमी का कॉरिडोर जमीन के ऊपर होगा और 26 किमी का कॉरिडोर टनल में बनाया जाएगा. 

3. ये बुलेट ट्रेन गुजरात, महाराष्ट्र और दादरा नगर हवेली से गुजरेगी. इसमें 12 स्टेशन होंगे. इनमें से 8 स्टेशन गुजरात और चार महाराष्ट्र में बनाए जाएंगे. इस प्रोजेक्ट की पूरी जिम्मेदारी नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (NHSRCL) की है. 

4. NHSRCL का अनुमान है कि ट्रेन सर्विस शुरू होने के बाद हर दिन 17,900 यात्री इससे सफर करेंगे. हर आधे घंटे के अंतर पर रोजाना 35 फेरे लगाए जाएंगे. सुबह 6 बजे से रात के 12 बजे तक बुलेट ट्रेन दौड़ा करेगी. 

5. 2020 में जापान ने भारत में दौड़ने वाली बुलेट ट्रेन की तस्वीर जारी की थी. उसमें बताया गया था कि E5 सीरीज की शिंकानसेन बुलेट ट्रेन भारत में दौड़ेगी. ये ट्रेन 255 मीटर लंबी होगी और इसमें 10 बोगियां होंगी. शुरुआती 24 में से 6 ट्रेनों को भारत में असेंबल किया जाएगा.

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कहां तक पहुंचा इसका काम?

- रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के काम का जायजा लिया. उन्होंने बताया कि 61 किमी के रूट पर पिलर को रख दिया गया है और 150 किमी रूट पर काम चल रहा है.

- उनका दावा है कि महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण को लेकर बात अटकी हुई है, जिस वजह से वहां काम धीमी गति से आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि ये नेशनल प्रोजेक्ट है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.

- इसी साल 6 अप्रैल को उन्होंने लोकसभा में बताया था कि गुजरात और दादरा नगर हवेली के कुल 352 किमी रूट पर दिसंबर 2020 से सिविल काम शुरू कर दिया गया है. 

- NHSRCL ने बताया कि 5 जून तक 90 फीसदी से ज्यादा जमीन का अधिग्रहण हो चुका है. इस प्रोजेक्ट के लिए 1,396 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है, जिसमें 1,260.76 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है.

- अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन के लिए गुजरात में 954.28 हेक्टेयर जमीन चाहिए, जिसमें से 942.72 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जा चुकी है. जबकि, महाराष्ट्र में 433.82 हेक्टेयर जमीन चाहिए, जिसमें से 310.14 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण हो चुका है. वहीं, दादरा नगर हवेली में जरूरत की पूरी 7.90 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण हो चुका है.

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- NHSRCL के मुताबिक, जमीन अधिग्रहण की वजह से गुजरात, दादरा नगर हवेली और महाराष्ट्र के 4 हजार से ज्यादा परिवार प्रभावित हुए हैं. 297 गांव इसके दायरे में आए हैं. प्रभावित लोगों को मुआवजा दिया गया है. मार्च 2021 तक करीब 5 हजार करोड़ रुपये का मुआवजा लोगों को दिया जा चुका था.

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2022 में दौड़नी थी ट्रेन, फिर टाइम कहां लग गया?

- फरवरी में आजतक की RTI का जवाब देते हुए NHSRCL ने बताया था कि अभी तक इस प्रोजेक्ट का 17 फीसदी काम पूरा हो चुका है. कोरोना महामारी और भूमि अधिग्रहण में देरी की वजह से प्रोजेक्ट में देरी हो रही है.

- अभी 90 फीसदी से ज्यादा जमीन का अधिग्रहण हो चुका है, लेकिन अभी भी 135 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन का अधिग्रहण होना बाकी है. महाराष्ट्र में जमीन अधिग्रहण करने में देरी हो रही है. 

- दिसंबर 2020 में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने बताया था कि महाराष्ट्र ने 4 महीने में 80 फीसदी जमीन अधिग्रहण का वादा किया है. उनकी ये बात कहे हुए डेढ़ साल बीत गया है और अब तक महाराष्ट्र में जरूरत की 71 फीसदी जमीन का ही अधिग्रहण हो पाया है. 

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- जानकार मानते हैं कि जमीन अधिग्रहण करने के बाद भी 500 किलोमीटर से ज्यादा दूरी के किसी प्रोजेक्ट को पूरा होने में तकरीबन 5 साल का समय लगता है. ऐसे में ये प्रोजेक्ट पूरा होने में 2030 तक का समय लग सकता है. लेकिन, पूरा होने में जितनी देरी होगी, उससे इसकी लागत भी बढ़ जाएगी.

बुलेट ट्रेन से फायदा क्या होगा?

- समय बचेगाः NHSRCL ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि पूरी तरह से बुलेट ट्रेन शुरू होने का बाद हर दिन 17,900 यात्री इससे सफर करेंगे. वहीं, 2053 तक हर दिन 92,900 यात्री बुलेट ट्रेन से सफर कर सकते हैं. अभी अहमदाबाद से मुंबई जाने में 6 घंटे का समय लगता है, लेकिन बुलेट ट्रेन ने 2.07 घंटे में ये सफर पूरा हो जाएगा. 

- अर्थव्यवस्था में तेजी आएगीः लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और यूनिवर्सिटी ऑफ हैम्बर्ग की एक स्टडी बताती है कि जिन देशों में हाई स्पीड रेल सिस्टम है, वहां की जीडीपी में 2.7% तक का इजाफा हुआ है. इसके अलावा इस प्रोजेक्ट से 90 हजार नौकरियां भी पैदा होने की उम्मीद है. इस प्रोजेक्ट में 75 लाख टन सीमेंट और 21 लाख टन स्टील का इस्तेमाल होगा, जो भारत में ही बनेगा.

- पर्यावरण भी सुधरेगाः हाई स्पीड रेल से कार्बन का उत्सर्जन भी कम होता है. UIC की रिपोर्ट के मुताबिक, 600 किमी की यात्रा में बुलेट ट्रेन से 8.1 किलो कार्बन का उत्सर्जन होता है. जबकि, इतनी ही दूरी की हवाई यात्रा पर 93 किलो और कार से सफर में 67.4 किलो कार्बन निकलता है.

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