पश्चिम बंगाल की राजनीति में नया तनाव उस समय पैदा हो गया जब निलंबित टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने दावा किया कि उनकी पार्टी AIMIM के साथ गठबंधन बनाने की तैयारी में है. हालांकि, अब AIMIM ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है. AIMIM प्रवक्ता असीम वकार ने स्पष्ट बयान देते हुए कहा कि असदुद्दीन ओवैसी "तोड़ने की मानसिकता रखने वाले" लोगों के साथ कभी नहीं जाएंगे.
AIMIM प्रवक्ता वकार ने आरोप लगाया कि हुमायूं कबीर सुवेंदु अधिकारी की कोर टीम के सदस्य हैं और उनके द्वारा यह दावा केवल राजनीतिक भ्रम फैलाने के लिए किया गया है. उन्होंने कहा, "जो लोग पैसे और तोड़फोड़ की राजनीति करते हैं, उनके साथ AIMIM कोई समझौता नहीं करेगी. जो अफवाह फैला रहे हैं कि AIMIM उनसे हाथ मिलाएगी, यह बिल्कुल असंभव है."
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब कबीर ने मुर्शिदाबाद में 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद जैसे ढांचे का शिलान्यास किया था. यह कार्यक्रम बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी के दिन आयोजित किया गया, जिससे क्षेत्र में पहले से मौजूद साम्प्रदायिक तनाव और बढ़ गया. मुर्शिदाबाद संवेदनशील जिला माना जाता है, जहां लगभग 67% मुस्लिम आबादी है. हाल ही में वक्फ बिल के खिलाफ हुई हिंसा में कई लोगों की जान भी गई थी.
शिलान्यास कार्यक्रम के लिए बड़े पैमाने पर इंतजाम किए गए थे. आयोजन स्थल पर लगभग 3,000 स्वयंसेवकों की ड्यूटी लगाई गई ताकि NH-12 पर कोई बाधा न आए. बताया गया कि 40,000 मेहमानों और 20,000 स्थानीय लोगों के लिए भोजन का इंतजाम किया गया, जिसके लिए सात कैटरिंग एजेंसियों को नियुक्त किया गया. सिर्फ भोजन पर करीब 30 लाख रुपये खर्च हुए, जबकि पूरे कार्यक्रम का बजट 70 लाख रुपये से अधिक था.
कबीर ने दावा किया था कि AIMIM के साथ गठबंधन बनकर बंगाल की राजनीति में "तीसरा विकल्प" तैयार होगा जो बीजेपी और टीएमसी दोनों के खिलाफ चुनौती पेश करेगा, लेकिन AIMIM के इनकार के बाद उनका यह दावा राजनीतिक रूप से कमजोर पड़ गया है.
विश्लेषकों का कहना है कि बाबरी-स्टाइल ढांचे के शिलान्यास और गठबंधन विवाद ने बंगाल की राजनीति में आगामी चुनावों से पहले नया तनाव पैदा कर दिया है, जिसके असर आने वाले दिनों में और स्पष्ट रूप से दिख सकते हैं.