समाजवादी पार्टी (SP) से निष्कासित किए गए विधायक अभय सिंह, मनोज पांडे और राकेश प्रताप सिंह को अब विधानसभा से असंबद्ध कर दिया गया है.
हालांकि, विधानसभा से असंबद्ध करने का मतलब विधायकी रद्द करना नहीं है. इस फैसले का मतलब ये होगा कि अब विधानसभा में तीनों विधायक समाजवादी पार्टी के विधायक के तौर पर नहीं बैठेंगे. कुल मिलाकर इन तीनों विधायकों को अब निर्दलीय माना जाएगा.
उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने नौ जुलाई से तीनों विधायकों की विधानसभा की सदस्यता असंबद्ध करने का आदेश जारी किया. पांच जुलाई को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तीनों विधायकों को पार्टी से निष्कासित करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा था.
इसके बाद नौ जुलाई को उन्हें विधानसभा की सदस्यता से असंबद्ध किया गया. विधायक राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह, मनोज पांडेय को विधानसभा में असंबद्ध घोषित किया गया. इन सभी विधायकों ने राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग कर बीजेपी प्रत्याशी संजय सेठ को जिताया था.

बता दें कि समाजवादी पार्टी ने पार्टी विरोधी गतिविधियों का हवाला देते हुए तीनों विधायकों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया था. पार्टी ने इन विधायकों पर सांप्रदायिक और विभाजनकारी सियासत को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसान विरोधी, महिला विरोधी, युवा विरोधी और व्यापार विरोधी नीतियों का समर्थन करने का आरोप लगाया था.
सपा ने कहा था कि पार्टी अपनी मूल विचारधारा और सिद्धांतों के खिलाफ किसी भी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगी. पार्टी ने यह भी कहा था कि वह पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल किसी भी सदस्य के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी. निष्कासित विधायकों को सुधरने का मौका दिया गया था, लेकिन वे ऐसा करने में विफल रहे.