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स्पेस से आदित्य-L1 पर आया बड़ा अपडेट, ISRO ने दी सेहत की जानकारी

इसरो ने X (ट्वीट)  करके जानकारी दी, आदित्य-L1 ठीक से काम कर रहा है और उसने अपनी कक्षा बदल ली है. भारत की ओर से अंतरिक्ष में भेजे गए पहले सूर्य मिशन आदित्य-एल1 की कक्षा बदलाव की अगली प्रक्रिया पांच सितंबर 2023 को होनी है. इस दौरान भारतीय समयानुसार देर रात लगभग तीन बज रहे होंगे.

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भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य-L1 (फाइल फोटो)
भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य-L1 (फाइल फोटो)

शनिवार को इसरो के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च हुए आदित्य-L1 मिशन पर इसरो ने बड़ा अपडेट दिया है. अपनी लॉन्चिंग के एक दिन बाद रविवार को आदित्य-L1 ने अपनी कक्षा बदल ली है और अब वह दूसरी कक्षा में स्थापित हो गया है. जारी प्रक्रिया के अनुसार इसे 16 दिनों तक पृथ्वी की परिक्रमा करनी है, इसके बाद ही वह सूर्य की ओर अपने मार्ग पर बढ़ जाएगा. आदित्य एल-1 16 दिनों में पांच बार पृथ्वी की कक्षा बदलेगा. इसरो के अपडेट के मुताबिक, अब 5 सितंबर को दोबारा कक्षा में बदलाव होगा. 

कक्षा में अगला बदलाव 5 सितंबर को
जानकारी के मुताबिक, इसरो ने X (ट्वीट)  करके जानकारी दी, आदित्य-L1 ठीक से काम कर रहा है और उसने अपनी कक्षा बदल ली है. भारत की ओर से अंतरिक्ष में भेजे गए पहले सूर्य मिशन आदित्य-एल1 की कक्षा बदलाव की अगली प्रक्रिया पांच सितंबर 2023 को होनी है. इस दौरान भारतीय समयानुसार देर रात लगभग तीन बज रहे होंगे. आदित्य एल-1 235 x 19500 किलोमीटर की कक्षा से निकलकर 245km x 22459 km की कक्षा में पहुंच चुका है. आदित्य एल-1 की यह पहली बड़ी सफलता है और इसके सूरज की ओर पहला पग बढ़ाना भी कहा जा रहा है. 

लॉन्चिंग पर राज्य मंत्री ने दी थी बधाई
इससे पहले आदित्य-एल1 मिशन पर राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बधाई देते हुए कहा था कि यह वास्तव में भारत के लिए एक सुखद क्षण है. हमें पीएम मोदी को भी धन्यवाद देना होगा जिन्होंने इसरो के द्वार खोले. लॉन्च देखने के लिए इसरो में 10,000 लोग मौजूद थे. यह पहले अकल्पनीय था. मिशन के लिए देश भर के विज्ञान संस्थानों ने सहयोग किया. कुल मिलाकर, यह एक बड़ी छलांग है.

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परियोजना निदेश निगार शाजी की सराहना की
इसरो एक रोल मॉडल है, जिसका दूसरों को अनुकरण करना चाहिए. बाहर के वैज्ञानिक समुदाय ने कुशाग्रता दिखाई है. उन्होंने सराहना करते हुए कहा कि, परियोजना निदेशक निगार शाजी ने अकेले ही इस परियोजना के लिए अपने जीवन के 7-8 साल समर्पित किये और कड़ी मेहनत की. अप्रत्यक्ष रूप से उन्होंने स्वयं को इस मिशन के लिए समर्पित कर दिया.

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