महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने अयोग्यता मामले में एकनाथ शिंदे और उद्धव गुट के नेतृत्व वाली शिवसेना के विधायकों को नोटिस जारी किया है. उन्होंने शिवसेना के 40 विधायकों और ठाकरे गुट के 14 विधायकों को सात दिन में अपना पक्ष रखने के लिए कहा है. उन्हें अयोग्यता के खिलाफ कार्रवाई से बचने के लिए सभी सबूत जमा करने को कहा गया है. दिलचस्प बात यह है कि आदित्य ठाकरे और रुतुजा को नोटिस नहीं दिया गया है. एक दिन पहले स्पीकर नार्वेकर ने बताया था कि उन्हें केंद्रीय चुनाव आयोग से शिवसेना के संविधान की एक प्रति मिल गई है. इसका और अध्ययन करने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
इस हफ्ते की शुरुआत में, शिवसेना (यूबीटी) ने सुप्रीम कोर्ट से विधानसभा अध्यक्ष को अयोग्यता याचिकाओं पर जल्द सुनवाई करने का निर्देश देने की मांग की थी.
अविभाजित शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में विधायक सुनील प्रभु ने पिछले साल जून में बगावत करने और नई सरकार बनाने के लिए बीजेपी से हाथ मिलाने पर शिंदे और अन्य 15 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की थी.
इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था. 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसला में कहा था कि एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने रहेंगे. साथ ही यह भी कहा था कि वह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार को बहाल नहीं कर सकती, क्योंकि शिंदे के विद्रोह के मद्देनजर शिवसेना नेता ने शक्ति परीक्षण का सामना किए बिना इस्तीफा देने का फैसला किया.
फैसला करने का अधिकार सिर्फ स्पीकर का
सुप्रीम कोर्ट की 1992 की संविधान पीठ के एक फैसले के मुताबिक, अध्यक्ष/सभापति द्वारा निर्णय लेने से पहले कोर्ट इस पर फैसला नहीं सुना सकती है. साथ ही इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है.
हालांकि एक मामले में स्पीकर द्वारा अयोग्यता याचिका पर फैसला लेने के लिए कोर्ट ने समय सीमा तय कर दी थी. ये केशम मेघचंद्र सिंह बनाम मणिपुर विधानसभा स्पीकर के मामले में SC का 2020 का फैसला था. तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि स्पीकर को उचित समय अवधि में निर्णय लेना होगा. अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए कोर्ट ने 3 महीने निर्धारित किए थे.
3 जजों की पीठ ने कहा था कि दसवीं अनुसूची के तहत एक न्यायाधिकरण के रूप में कार्य करते हुए अध्यक्ष उचित अवधि के भीतर अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए बाध्य हैं. साथ ही कोर्ट ने माना था कि यह प्रत्येक मामले के तथ्यों पर निर्भर करेगा.