बॉम्बे हाईकोर्ट में सोमवार को हिंदी-मराठी विवाद को लेकर दाखिल एक याचिका पर सुनवाई हुई. याचिका में मुंबई के वकील घनश्याम उपाध्याय ने MNS नेता राज ठाकरे और उनके राजनीतिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए दायर की थी. अधिवक्ता सुभाष झा, जो याचिकाकर्ता वकील घनश्याम उपाध्याय ने कोर्ट में कहा कि MNS के कार्यकर्ताओं द्वारा हिंदी भाषी बोलने वाले लोग जो मराठी भाषा नहीं बोल पाते उन्हें कथित तौर पर बिना मतलब का पीटा गया, ख़ासकर चुनाव के समय. अब नगर निगम का चुनाव आने वाले हैं.
मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम ए. अंखाड़ की बेंच ने कहा, 'जिन्हें निशाना बनाया गया है, वे सीधे कोर्ट में आ सकते हैं. सार्वजनिक हित याचिका क्यों?'
अधिवक्ता सुभाष झा ने कहा कि इससे बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं. यह देश की संप्रभुता को प्रभावित करता है. किसी को भाषा के हिसाब से कैसे निशाना बनाया जा सकता है. याचिका में कई मामलों का उल्लेख है जिसमें सिर्फ भाषा के आधार पर लोगों के साथ शारीरिक रूप से मारपीट की गई हो.
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अधिवक्ता झा ने कोर्ट में बताया कि पहले इस मामले को लेकर उन्होंने डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस और कमिश्नर ऑफ पुलिस को शिकायत की थी. हालांकि जब मामले पर कोई भी एक्शन नहीं लिया गया तो उन्होंने PIL दाखिल की.
हालांकि बेंच ने कहा, 'ऐसे नहीं.' और याचिका को बाद में सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया. समय की कमी के कारण सुनवाई आगे नहीं बढ़ सकी.
अधिवक्ता झा ने याद दिलाया कि याचिका केवल मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई के लिए है. बेंच ने कहा कि उन्हें लंबी तारीख लेनी चाहिए ताकि न्यायाधीश जो पहले बहस हुई है, उसे भूल जाएं. कोर्ट ने कहा कि याचिका कुछ हफ्तों बाद फिर से सुनी जाएगी.