महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर विपक्ष जहां 'खराब' वोटर लिस्ट में सुधार की मांग कर रहा है. वहीं अब सत्तारूढ़ शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के विधायक संजय गायकवाड़ ने भी चुनाव आयोग से अपील की है कि चुनाव को कम से कम 10 दिन के लिए टाल दिया जाए ताकि डुप्लीकेट यानी दोहराए गए मतदाताओं के नाम लिस्ट से हटाए जा सकें.
गायकवाड़ ने कहा कि फर्जी मतदान से गलत या बेईमान उम्मीदवारों की जीत हो सकती है. राज्य चुनाव आयुक्त दिनेश वाघमारे ने मंगलवार को बताया कि महाराष्ट्र के 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों के चुनाव दो दिसंबर को होंगे और मतगणना तीन दिसंबर को की जाएगी. हालांकि 29 नगर निगमों, 32 जिला परिषदों और 336 पंचायत समितियों के चुनाव की तारीखें अभी घोषित नहीं हुई हैं.
6 महीने की जांच में मिले 8000 डुप्लीकेट नाम
बुलढाणा सीट से विधायक और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के नेता संजय गायकवाड़ ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग ने वोटर लिस्ट से डुप्लीकेट नाम नहीं हटाए हैं. अगर चुनाव सिर्फ 10 दिन आगे बढ़ा दिए जाएं तो इन गलतियों को सुधारा जा सकता है.
उन्होंने दावा किया कि सिर्फ बुलढाणा जिले में ही हजारों वोटरों के नाम दोहराए गए हैं. उन्होंने सवाल किया कि क्या आयोग राज्यभर में लाखों वोटरों से लिखित गारंटी लेगा ताकि वोटर लिस्ट की सटीकता सुनिश्चित की जा सके? गायकवाड़ के अनुसार बुलढाणा शहर में छह महीने की जांच के बाद करीब 8000 डुप्लीकेट नाम मिले हैं.
डिलीटेड की मुहर लगाए आयोग
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग महज चार-पांच दिनों में फाइनल लिस्ट कैसे तैयार करेगा? फर्जी वोटिंग से बेईमान उम्मीदवार जीत सकते हैं. गायकवाड़ ने सुझाव दिया कि चुनाव आयोग को पारदर्शिता बनाए रखने के लिए ऐसे नामों पर सीधे 'Deleted' की मोहर लगा देनी चाहिए. उन्होंने बताया कि पिछले महीने भी उन्होंने आयोग से मांग की थी कि वोटर लिस्ट से दोहरी एंट्री वाले और मृत मतदाताओं के नाम हटाए जाएं.
वहीं विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) जिसमें शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट), एनसीपी (शरद पवार गुट) और कांग्रेस समेत सभी ने मंगलवार को कहा कि चुनाव आयोग वोटर लिस्ट में डुप्लीकेशन जैसी गलतियों को ठीक किए बिना चुनाव कराने की जल्दबाजी कर रहा है.
विपक्षी दलों ने की ये मांग
एक नवंबर को एमवीए दलों ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के साथ मिलकर सत्याचा मोर्चा (सत्य के लिए मार्च) नाम से विरोध प्रदर्शन किया था. विपक्षी दलों का आरोप है कि चुनाव आयोग मतदाता सूची में गड़बड़ियों जैसे एक ही व्यक्ति के कई नाम गलत तरीके से जोड़ने या हटाने पर आंख मूंदे बैठा है. उनका कहना है कि जब तक ये खामियां ठीक नहीं होतीं, तब तक स्थानीय निकाय चुनाव नहीं कराए जाने चाहिए.