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देर रात तक क्यों सोते नहीं बच्चे? डॉक्टर ने बताई बड़ी वजह, पेरेंट्स रखें खास ध्यान

आजकल बच्चे ठीक से नहीं सो पाते, जिससे उनका व्यवहार प्रभावित होता है और माता-पिता खासकर वर्किंग पेरेंट्स चिंतित रहते हैं. रात में बच्चे देर तक सोते नहीं है, जिसकी वजह से पेरेंट्स को समझ नहीं आता है कि ऐसा क्यों हो रहा है. इस पर डॉ. इमरान पटेल ने बताया है कि इसके पीछे की वजह क्या है.

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पेरेंट्स की वजह से बच्चों के व्यवहार में बदलाव आता है. (PHOTO:ITG)
पेरेंट्स की वजह से बच्चों के व्यवहार में बदलाव आता है. (PHOTO:ITG)

Children Sleep Routine: बड़े ही नहीं बल्कि आजकल बच्चे भी रात में ठीक से सोते नहीं हैं, जिसकी वजह से माता-पिता काफी परेशान रहते हैं. इस वजह से सुबह भी वो स्कूल जाने के लिए वो लेट उठते हैं और पूरे दिन वो चिड़चिड़ा रहते हैं. रात को नहीं सोना, बर्ताव में बदलाव और गुस्सा बच्चों में ज्यादा देखने को मिल रहा है. इन सबकी वजह से वो माता-पिता भी परेशान रहते हैं, खासतौर पर यह वर्किंग पेरेंट्स के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन चुका है. इस समस्या से कैसे निपटा जाए, इसका हल  चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. इमरान पटेल से, जो बच्चों के शारीरिक, मानसिक और इमोशनल ग्रोथ को लेकर अहम जानकारियां अक्सर सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं.

डॉ. इमरान पटेल बताते हैं कि जब माता-पिता लगातार स्ट्रेस में रहते हैं, तो उनका व्यवहार बच्चों पर सीधा असर डालता है. बच्चे यह नहीं समझते कि पेरेंट्स क्यों तनाव में हैं, लेकिन उनके चेहरे के भाव, आवाज का टोन और बॉडी लैंग्वेज को देखकर उनकी अपनी भावनाओं में भी अस्थिरता आने लगती है.

कोर्टिसोल बढ़ने से बिगड़ती है बच्चों की नींद

डॉक्टर बताते हैं कि जब पेरेंट्स स्ट्रेस में होते हैं तो उनका कोर्टिसोल हॉर्मोन बढ़ता है, तो उसी तरह से बच्चों का भी बढ़ जाता है. इससे उनके दिमाग में बेचैनी, गुस्सा, ओवरथिंकिंग और इमोशनल इंबैलेंस आने लगता है. इसकी वजह से उनमें कई बदलाव आते हैं,वर्किंग पेरेंट्स के लिए यह स्थिति और भी चुनौती बनी हुई है, क्योंकि उन्हें समय कम मिलता है और बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम भी इफेक्ट होता है.

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  • बच्चे देर से सोते हैं
  • रात में कई बार उठते हैं
  • सुबह थका हुआ महसूस करते हैं
  • दिनभर चिड़चिड़े रहते हैं

माता-पिता करें ये काम

बच्चों की नींद सुधारने के लिए पेरेंट्स को कुछ छोटी-छोटी आदतें अपनानी होंगी, जो धीरे-धीरे बच्चों के दिमाग को शांत करके उनकी नींद बेहतर बना देती हैं. 

  • अगर पेरेंट्स ही मोबाइल, टीवी या गुस्से में रहेंगे, तो बच्चे भी वैसी ही एनर्जी पकड़ लेते हैं. 
  • सोने से 1 घंटे पहले घर में लो-नॉइज एनवायरनमेंट रखें.
  • बच्चों का दिमाग पैटर्न पर काम करता है, इसलिए उनके डिनर से लेकर सोने की फिक्स बनाएं. 
  • मोबाइल, टीवी और टैबलेट की ब्लू लाइट मेलाटोनिन हॉर्मोन को दबा देती है, जिससे बच्चों को नींद ही नहीं आती. इसलिए सोने से कम से कम 1 घंटे पहले स्क्रीन बंद कर दें. 
  • पेरेंट्स पहले अपने स्ट्रेस को कंट्रोल करें, क्योंकि जब माता-पिता शांत होते हैं तो बच्चों पर भी उसका असर पड़ता है. 
  • कई बार बच्चों का डर भी नींद बिगाड़ता है, ऐसे में अंधेरा, अकेले सोना, अचानक शोर, सपने आदि. ऐसे में सोने से पहले 5 मिनट की बातचीत से ही उनका मन हल्का कर सकता है और नींद आसान हो जाती है. 
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