संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को आजतक के खास कार्यक्रम 'एजेंडा आजतक' में शिरकत की. इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने चर्चा में चल रहे तमाम मुद्दों और संसद में चल रही बहसों पर अपनी बेबाक राय रखी. इस खास सत्र ‘संसद यूं ही चलेगी’* में संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के रवैये, संसद की कार्यवाही, वंदे मातरम् पर बहस, नेहरू की विरासत और राहुल गांधी से जुड़ी कई पर्दे के पीछे की बातों पर खुलकर जवाब दिए. इसी दौरान उन्होंने डीएमके, टीएमसी और सपा आदि को नसीहत दी कि वह कांग्रेस के बहकावे में न आएं.
रिजिजू ने कहा कि शीतकालीन सत्र की शुरुआत में ही विपक्ष ने लगातार दो दिन तक हंगामा किया और चर्चा को बाधित कर दिया. उन्होंने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह ने जब 65 प्रतिशत भाषण दे दिया, तब विपक्ष, खासकर राहुल गांधी, तथ्यों को सुने बिना ही वॉकआउट कर गए. रिजिजू के अनुसार, लोकतंत्र में संसद में होने वाली बहस का संदेश जनता तक पहुंचना चाहिए, लेकिन विपक्ष चर्चा से भागकर अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट गया. उन्होंने यह भी कहा कि 'कांग्रेस समेत विपक्ष इस मुद्दे पर पूरी तरह एक्सपोज हो गया है.'
SIR के मुद्दे पर किरेन रिजिजू ने कहा कि, जहां तक एसआईआर का सवाल है, गृहमंत्री के बोलने के बाद मुझे कुछ दोबारा समझाने की जरूरत नहीं है. लेकिन यह तय है कि इलेक्टोरल लिस्ट का साफ होना बहुत जरूरी है. अगर वोटर लिस्ट साफ नहीं होगी, तो चुनाव भी साफ नहीं हो पाएंगे. इतने बोगस वोटर्स लिस्ट में पड़े हुए हैं, उन्हें हटाना ही पड़ेगा. 2012 के बाद एसआईआर नहीं हुआ था. हमने इतने हजार वोट काटे हैं क्योंकि लोग जन्म लेते हैं तो कभी न कभी दुनिया छोड़कर भी जाते हैं. जब कोई इस दुनिया से जाता है, उसका नाम तो कटेगा ही.
लोग ट्रांसफर होते हैं, पोस्टिंग होती है, बिजनेस के लिए दूसरी जगह जाते हैं, यह ह्यूमन मोबिलिटी है. इसलिए वोटर लिस्ट का समय-समय पर शुद्धिकरण होना चाहिए. स्पेशल इंटेंसिव रिव्यू 1952 से कांग्रेस के समय में होता आ रहा है. अब वे इसे मुद्दा बना रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के दौर में कितनी बार एसआईआर हुआ, यह देख लीजिए. हमारे समय में तो अभी नियमित रूप से हो रहा है. उनके वोटर्स साफ हो रहे हैं, इसलिए उन्हें दिक्कत हो रही है.
अगर किसी असली वोटर का नाम गलत काटा गया होता, तो वह सामने आकर कहता कि मेरा नाम क्यों हटाया. कोई एक भी शिकायत नहीं आई. इसका मतलब जो नाम काटे गए हैं, वे सही में मौजूद ही नहीं थे. इसलिए कोई शिकायत नहीं आई. वो कहते हैं कि बीजेपी को चुनाव में कोई शिकायत नहीं है. मैं फिर सरल भाषा में कह रहा हूं, अगर आपका नाम वोटर लिस्ट से कट जाए तो आप जरूर बोलेंगे कि मेरा नाम क्यों काटा. इतने लोगों के नाम कटे, और किसी ने आवाज नहीं उठाई, इसका मतलब वे लोग थे ही नहीं.
डिटेंशन सेंटर को लेकर उन्होंने कहा कि, 'यह एक प्रशासनिक प्रक्रिया है, उस पर मैं कुछ नहीं कहूंगा. लेकिन अखिलेश जी, ममता बनर्जी और डीएमके को मैं कहना चाहता हूं कि कांग्रेस के बहकावे में ज्यादा न आएं, वरना तेजस्वी यादव जैसा हाल हो जाएगा, कांग्रेस सबको ले डूबेगी.
राहुल गांधी की सीट पक्की है. वे कांग्रेस के अध्यक्ष हों या न हों, वही पार्टी के बॉस हैं. ऑल इंडिया पार्टी होने के कारण कांग्रेस की कहीं न कहीं सरकार बनी रहती है—जैसे कर्नाटक, हिमाचल. लेकिन रीजनल पार्टियों के लिए हालात अलग होते हैं. उनकी एक सरकार गई तो सब खत्म हो जाता है. इसलिए राहुल गांधी के साथ ज्यादा घुलने-मिलने से भविष्य में उन्हें पछताना पड़ सकता है.