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बड़ी बेटी को पसंद नहीं आया था वंदे मातरम्, तब बंकिम बाबू ने कहा था, एक दिन...

वंदे मातरम् गीत के रचयिता बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के परिवार के सदस्य सजल और जॉयदीप चट्टोपाध्याय ने 'एजेंडा आजतक' मंच पर बंकिम बाबू के जीवन से जुड़ी खास बातें और वंदे मातरम् गीत के पीछे की कहानी साझा की.

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एजेंडा आजतक के मंच पर शिरकत करने पहुंचे कवि डॉ. कुमार विश्वास और बंकिम बाबू के परिवार की पांचवी पीढ़ी के दो सदस्य
एजेंडा आजतक के मंच पर शिरकत करने पहुंचे कवि डॉ. कुमार विश्वास और बंकिम बाबू के परिवार की पांचवी पीढ़ी के दो सदस्य

वंदे मातरम् पर संसद से लेकर सड़क तक चर्चाएं जारी हैं. गुरुवार को 'एजेंडा आजतक' के मंच पर भी इस मुद्दे पर बातचीत हुई. इस मौके पर वंदे मातरम् गीत लिखने वाले कवि-विचारक बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की पांचवी पीढ़ी के परिवार के दो सदस्य इस कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने बंकिम बाबू के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें शेयर कीं साथ ही वंदे मातरम् से भी जुड़ा किस्सा शेयर किया.

बता दें कि, सजल चट्टोपाध्याय और जॉयदीप चट्टोपाध्याय बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की पांचवीं पीढ़ी के पारिवारिक सदस्य हैं. इस दौरान सजल चट्टोपाध्याय ने परिवार में अपने बड़ों से सुना तबका किस्सा शेयर किया,जब बंकिम बाबू ने वंदे मातरम् गीत लिखा था.    

क्या बोली थीं बंकिम बाबू की बड़ी बेटी?

सजल चट्टोपाध्याय ने कहा कि जब बकिंम बाबू ने यह गीत लिखा था तो उस वक्त क्या हुआ था. वह कहते हैं कि परिवार के बड़ों से हमने इसका किस्सा सुना है. 'जब बंकिम बाबू यह गीत लिखे थे तब उन्होंने इसे सबसे पहले अपनी बड़ी बेटी शरत कुमारी देवी को दिखाया था. उन्होंने इस गीत को देखा और फेंक दिया. बोलीं- ये क्या है? 

उन्होंने बताया कि 'बंकिम बाबू ने गीत लिखकर अपनी बेटी शरत कुमारी दिखाया... तो वो फेंक दी उसको. बंकिम बाबू बोले- तुम फेक दी इसको? तो उनकी बेटी बोलीं- हां पिताजी! ये क्या लिखा है आपने? ये कोई नहीं पढ़ेगा. ये फालतू है. छोड़िए इसको, आपकी बदनामी हो जाएगी.

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'बंकिम जी अपनी बड़ी बेटी को बहुत मानते थे. तब बंकिम जी (सजल के चट्टोपाध्याय के परदादा) ने अपनी बेटी से कहा कि इस गीत को रहने दो, 'हम जब नहीं रहेंगे तो एक दिन लोग इसके बारे में बातें करेंगे और सोचेंगे कि बंकिम बाबू क्या लिखकर गए थे.' सजल चट्टोपाध्याय ने कहा कि आज वही हो रहा है. 

'देश से बड़ा कोई नहीं होता- बंकिम बाबू ने हमें सिखाया'
वहीं वंदे मातरम् को लेकर जॉयदीप चट्टोपाध्याय ने कहा कि, हमने बचपन में इस गीत की खूब कहानियां सुनी हैं. इस गीत की महिमा सुनते हुए हम बड़े हुए हैं. सोचिए, बंकिम बाबू ने हमें सिखाया कि देश से बड़ा कोई नहीं होता है. देश हमारे अस्तित्व का एक नाम है. आप सोचिए कि इस गीत की क्या ताकत है, कि जिसको फांसी हो रही थी, उसके चेहरे पर कोई दुख की बात नहीं है, बल्कि उसके होठों पर था तो सिर्फ वंदे मातरम्. ये सिर्फ एक गीत नहीं ऐसा मंत्र है जिसमें हजारों सूर्य की शक्ति है. हमारी परंपरा ऐसी है कि हम मानते हैं कि माता सबसे ऊपर है, और बंकिम चंद्र ने हमें देश को ही माता मानना सिखाया.

बंकिम बाबू के नाम पर बने यूनिवर्सिटी
इस दौरान जब दोनों चट्टोपाध्याय बंधुओं से पूछा गया कि आज इतने सालों बाद और जब देश वंदे मातरम् के 150 वर्ष मना रहा है तो आपकी क्या इच्छा है? इस पर सुजॉय ने कहा कि हम और हमारा परिवार चाहते हैं कि भारत में बंकिम चंद्र के नाम से यूनिवर्सिटी हो और भारत के कोने-कोने में हर स्टेट में बंकिम भवन रिसर्च सेंटर बने और वंदे मातरम् भवन बनाए जाए.ताकि लोग वंदे मातरम् और इसकी महानता को फिर से न भूल जाएं.

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