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महात्मा गांधी और चार्ली चैपलिन के बीच हुई थी मुलाकात, इस मुद्दे पर हुई थी बहस

महात्मा गांधी को चार्ली चैपलिन के बारे में खास अंदाजा नहीं था. लेकिन चार्ली उनके बारे में जानते थे. दोनों के बीच हुई थी ये बातचीत.

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महात्मा गांधी और चार्ली चैपलिन
महात्मा गांधी और चार्ली चैपलिन

साइलेंट फिल्मों के दौर में एक सुपरस्टार के तौर पर उभरे एक्टर चार्ली चैपलिन ने साल 1931 में महात्मा गांधी से मुलाकात की थी. एक बेहद मुश्किल भरे बचपन के बाद सफलता की सीढ़ियां चढ़ने वाले चार्ली चैपलिन साल 1931 तक दुनिया के सबसे लोकप्रिय फिल्म स्टार के तौर पर शुमार हो चुके थे.

इसी साल चार्ली चैपलिन की महात्मा गांधी के साथ मुलाकात हुई थी. गांधी लंदन में दूसरे गोलमेज सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे थे. दक्षिण अफ्रीका से हिंदुस्तान लौटने के बाद वो पहली बार विदेशी दौरे पर थे. पहले गोलमेज सम्मेलन के नाकामयाब होने के बाद कांग्रेस की तरफ से प्रतिनिधि बनकर आए थे. असहयोग आंदोलन के प्रयोग के चलते दुनिया भर में गांधी का नाम हो चुका था.

ये वो दौर भी था जब मशीन, कलपुर्जे और कारखाने लोगों की जगह लेते जा रहे थे. गांधी इस बात से काफी दुखी थे कि यूरोप में मशीनों के चलते लोग बेरोजगार हो रहे हैं और यही यंत्र की तकनीक भारत में भी पैर पसार कर लोगों को बेरोजगार बना सकती है. हालांकि महात्मा गांधी और चार्ली चैपलिन की मुलाकात उम्मीदों के मुताबिक नहीं थी. दरअसल गांधी सिनेमा को पसंद नहीं करते थे और उन्हें फिल्मी सितारों के बारे में खास अंदाजा भी नहीं था. उन्होंने इस मीटिंग से पहले ये भी पूछा था कि चार्ली चैपलिन कौन है?

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गांधी और चैपलिन में इस विषय पर हुई थी बात

हालांकि चैपलिन को गांधी की विचारधारा के बारे में कुछ अंदाजा था. चैपलिन ने उनसे मशीनों को नापसंद करने की वजह के बारे में पूछा था. इस पर गांधी ने कहा था कि मशीनों के चलते हमें इंग्लैंड पर आश्रित होना पड़ा था और इससे बाहर निकलने के लिए एक ही उपाय है कि हम मशीनरी से बनी चीज़ों को बायकॉट करना शुरू कर दें. चैपलिन भी कहीं ना कहीं उनकी बात से पूरी तरह सहमत नहीं थे और वे मानते थे कि प्रगति के लिए मशीनों का होना भी जरूरी है. हालांकि वो इस बात से इंप्रेस थे कि गांधी अपने देश की फ्रीडम को लेकर किस हद तक जुटे हुए हैं.

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