भजन और कीर्तन में देशभर के श्रद्धालुओं को सराबोर कर देने वाली आवाद हमेशा के लिए दुनिया छोड़ कर चली गई. मशहूर सिंगर नरेंद्र चंचल का 80 साल की उम्र में निधन हो गया. सर्वप्रिय विहार स्थित अपने घर पप उन्होंने अंतिम सांस ली. सिंगर के निधन से उनके प्रशंसकों के बीच दुख की लहर देखने को मिल रही है. सिंगर काफी समय से संगीत की दुनिया में सक्रिय थे और देशभर में बड़े उल्लास के साथ माता का जगराता करते थे. उनको सुनने के लिए हर छोटे से बड़े वर्ग के लोग पहुंचते थे. सोशल मीडिया पर भी उनके भजन और जगराते के वीडियोज वायरल होते थे. मगर बहुत कम लोगों को इस बात का अंदाजा होगा कि नरेंद्र चंचल बचपन में बड़े धार्मिक खयालों के नहीं थे.
एक इंटरव्यू के दौरान नरेंद्र चंचल ने बताया था कि- ''मेरे घर का वातावरण बड़ा धार्मिक था, मेरी मां पूजा करती थीं, माता की आराधना में लीन रहती थीं, घर में कीर्तन भी होता था, मगर उन दिनों मेरा ध्यान इस तरफ कम था. घर में कीर्तन होता था तो मैं क्रिकेट खेलने चला जाता था. मगर मेरी तकदीर में कुछ और ही लिखा था. गायक मैं अपनी मां की वजह से बना. मेरी मां सर्दियों में मुझे उठाकर सुबह-सुबह मंदिर ले जाया करती थीं. मेरे सात भाइयों में वे मुझे ही मंदिर ले जाती थीं. वे ऐसा क्यों करती थीं इस बारे में मैं आज सोचता हूं.''
कोरोना पर गाया आखरी गाना
''मंदिर में मैं बड़ा दुखी होकर जाता था मगर जब मैं वहां से आता था तो बड़ा मग्न होकर आता था. एक अलग सुकून मिलता था मुझे. उस वक्त की पौराणिक कहानियां सुनना बहुत अच्छा लगता था. वही कहानी मैं अपने दोस्तों को सुनाता था. संस्कार तो थे मेरे अंदर. बस उसे सही दिशा मिल गई. पहले मैं फिल्मों में भी गया मगर वहां मेरा मन नहीं लगा और मैं इस तरफ आ गया. मेरे जीवन में पहले से ही ये लिखा था कि मुझे भजन गाना है. ये होना ही था. बता दें कि 80 साल की उम्र में भी नरेंद्र चंचल कीर्तन और जगराते किया करते थे. साल 2020 में कोरोना काल में भी नरेंद्र चंचल का कोरोना पर ही लिखा हुआ एक गाना बहुत पॉपुलर हुआ था. सोशल मीडिया पर ये गाना खूब वायरल हुआ था.