कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी इन दिनों रायबरेली और अमेठी पर फोकस किए हुई हैं. वह अपने भाई राहुल गांधी के चुनावी प्रचार के लिए रायबरेली में थीं, जब उन्होंने आजतक से खास बातचीत की. इंडिया टुडे के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई से बातचीत में उन्होंने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा और कांग्रेस की एंटी-हिंदू ब्रांडिंग से जुड़े सवालों के भी जवाब दिए.
यह पूछे जाने पर कि क्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में ना जाना कांग्रेस पार्टी की गलती थी? प्रियंका ने कहा, "अगर हर चीज को राजनीतिक नजरिए से देखें तो आप कुछ भी कह सकते हैं. धर्म एक राजनीतिक मसला नहीं है. धर्म हर हिंदुस्तानी के दिल का मसला है. हर हिंदुस्तानी के दिल में भगवान हैं. चाहे राम हों, चाहे शिव जी हों या चाहे किसी और धर्म के हों. धर्म हर हिंदुस्तानी के दिल में है."
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'आस्था का आदर होना चाहिए' - प्रियंका गांधी
प्रियंका गांधी ने कहा, "जहां आस्था है उसका आदर होना ही चाहिए. इसमें गलती की या गलती नहीं की यह एक राजनीतिक नजरिया है. जो प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम था उसमें बीजेपी से न्यौता आया था, जो कांग्रेस पार्टी ने स्पष्ट भी किया था. हम पूरी तरह से आदर करते हैं. देश की बात जहां आती है उसका हम आदर ना करें ऐसा हो ही नहीं सकता. हम देश के प्रतिनिधि हैं."
"हम हिंदू विरोधी पार्टी बन ही नहीं सकते', बोलीं प्रियंका
कांग्रेस पार्टी की एंटी-हिंदू के ब्रांडिंग पर प्रियंका गांधी ने कहा, "मीडिया ने बड़ी भूमिका निभाई है इस ब्रांडिंग में. हमारी पार्टी के सबसे बड़े नेता थे महात्मा गांधी. स्वतंत्रता का आंदोलन महात्मा गांधी का था. स्वतंत्रता आंदोलन जो था, सत्य और अंहिंसा का आंदोलन था, उसी से तमाम नेता जुड़े. जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पूरी जायदाद देश को देकर आंदोलन से जुड़े."
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प्रियंका गांधी ने कहा, "वो पूरा आंदोलन हिंदू धर्म की सीख पर आधारित था. सत्यमेव जयते, सत्य के पथ पर चलना ये हिंदू धर्म की सीख है. हर हिंदू गुरू, संत ने यही कहा है. पूरा आंदोलन उसी आधार पर चला. पूरी पार्टी ने उस आंदोलन में हिस्सा लिया. 13-14 साल लोग जेल में रहे. हमारी पार्टी का आधार ही ये है. महात्मा गांधी जी को गोली लगती है तो उनके मुंह से निकलता है हे राम, हे राम, हे राम. हम कहां से धर्म विरोधी पार्टी बन सकते हैं. हम धर्म विरोधी पार्टी बन ही नहीं सकते."