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'केरल में SIR तारीख पर फैसला दो दिन में करें', चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

अदालत में यह मसला तब उठा, जब राजनीतिक दलों ने स्थानीय निकाय चुनाव को देखते हुए SIR की आखिरी तारीख में विस्तार की मांग की. सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग ने कोर्ट को बताया कि SIR के लिए 25 हजार अलग स्टाफ तैनात किया गया है और चुनावी स्टाफ पूरी तरह अलग है, इसलिए प्रक्रियाओं में प्रत्यक्ष टकराव की स्थिति नहीं है.

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केरल में दिसंबर के दूसरे सप्ताह में स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं. (File Photo- ITG)
केरल में दिसंबर के दूसरे सप्ताह में स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं. (File Photo- ITG)

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केरल में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की तारीख बदलने से जुड़ी याचिकाओं पर अहम निर्देश जारी किया. अदालत ने निर्वाचन आयोग से कहा है कि वह इन अर्जियों पर दो दिन के भीतर निर्णय लेकर स्पष्ट कर दे कि SIR की प्रक्रिया की समयसीमा बढ़ाई जा सकती है या नहीं. अदालत में यह मसला तब उठा, जब राजनीतिक दलों ने स्थानीय निकाय चुनाव को देखते हुए SIR की आखिरी तारीख में विस्तार की मांग की.

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि सरकारी मशीनरी को कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन कुछ राजनीतिक दल समय की कमी का हवाला देकर आपत्ति जता रहे हैं. कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से पूछा कि क्या स्थानीय चुनाव की व्यस्तताओं को ध्यान में रखते हुए गणना फॉर्म भरने की तारीख एक और हफ्ते के लिए बढ़ाई जा सकती है.

सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग ने कोर्ट को बताया कि SIR के लिए 25 हजार अलग स्टाफ तैनात किया गया है और चुनावी स्टाफ पूरी तरह अलग है, इसलिए प्रक्रियाओं में प्रत्यक्ष टकराव की स्थिति नहीं है. आयोग ने यह भी जानकारी दी कि पहले ही गणना फॉर्म भरने की अंतिम तारीख 4 दिसंबर से बढ़ाकर 11 दिसंबर कर दी गई है.

हालांकि राजनीतिक दलों ने इसे अपर्याप्त बताते हुए और विस्तार की मांग की है. इस पर अदालत ने निर्देश दिया कि केरल की राजनीतिक पार्टियां बुधवार शाम 5 बजे तक निर्वाचन आयोग के समक्ष अपने औपचारिक आवेदन जमा करें. इसके बाद आयोग दो दिनों के भीतर मांगों पर "सहानुभूतिपूर्वक विचार" करते हुए अंतिम निर्णय ले.

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उल्लेखनीय है कि केरल में दिसंबर के दूसरे सप्ताह में स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं. राज्य सरकार ने भी चुनावी प्रक्रिया के बीच SIR को स्थगित करने या समय बढ़ाने की मांग वाली याचिका दाखिल की थी, जिसमें चुनावी व्यस्तताओं और प्रशासनिक बोझ का हवाला दिया गया था.

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