दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है. अरविंद केजरीवाल भी अपनी कुर्सी नहीं बचा पाए. चुनाव में उन्हें यह कहते सुना जा सकता था कि बीजेपी उन्हें 'भ्रष्टाचारी' बुलाती है और अगर इस बात में सच्चाई है तो उन्हें 'वोट नहीं मिलनी चाहिए.' नतीजे आ गए हैं और बीजेपी ने 48 सीटों के साथ राजधानी पर कब्जा किया है. आइए छह पॉइंट्स में इस चुनाव को समझते हैं.
1. 2025 का दिल्ली विधानसभा चुनाव असल में अरविंद केजरीवाल के नाम पर एक रेफरेंडम यानी एक जनमत संग्रह था, जहां उनके ब्रांड पॉलिटिक्स का भी एक लिटमस टेस्ट हुआ. मतदाताओं ने उन्हें नापसंद किया. उनके ब्रांड पॉलिटिक्स में शामिल फ्री शिक्षा, फ्री बिजली और फ्री पानी को मतदाताओं ने स्वीकारने से इनकार किया, और इस बार वह अपनी सीट तक बचाने में नाकाम रहे. इस चुनाव को अगर आसान भाषा में कहें तो यह पूरी तरह एंटी-इनकंबेंसी वाला चुनाव साबित हुआ.
2. अरविंद केजरीवाल की इमेज को भी उनके दूसरे कार्यकाल में काफी नुकसान हुआ. उनकी सरकार पर लगे घोटालों के आरोप ने भी रही बची कसर पूरी कर दी, जिससे मतदाताओं का उनपर विश्वास कम हुआ. दिल्ली शराब घोटाला से लेकर शीशमहल के निर्माण तक, कुछ ऐसे मामले उभरे, जिसने पूरी आम आदमी पार्टी के लिए मुसीबत तो खड़ी की है, केजरीवाल भी इससे बच नहीं सके.
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3. बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ जबरदस्त अभियान चलाई. विधानसभा में एकमात्र विपक्षी पार्टी रही बीजेपी ने केजरीवाल के खिलाफ शराब घोटाले से लेकर शीशमहल के निर्माण तक के मामले को ग्रासरूट लेवल तक पहुंचाया और जनता को अपने पक्ष में लाने में कामयाबी पाई. कैंपेन को लोकलाइज कर बीजेपी ने केजरीवाल की कमजोरी का जमकर प्रचार किया.
4. कांग्रेस पार्टी ने भी अरविंद केजरीवाल के खिलाफ इस चुनाव में मोर्चा खोल दिया. राहुल गांधी, प्रियंका गांधी से लेकर पार्टी के तमाम नेता खासतौर पर अरविंद केजरीवाल पर हमलावर रहे. आसान भाषा में कहें तो कांग्रेस ने केजरीवाल की पॉलिटिकल इक्वीटी में बड़ी सेंधमारी की.
5. दिल्ली में मिडिल क्लास की एक बड़ी आबादी रहती है और इस वर्ग के मतदाताओं का केजरीवाल पर विश्वास कम होना उनके लिए सबसे बड़ी दुविधा साबित हुई. मसलन, राजधानी में बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी की वजह से मिडिल क्लास की नाराजगी बढ़ी, और आज नतीजे के रूप में सामने है.
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6. आखिरकार बीजेपी ने दिल्ली की सत्ता में 27 साल बाद वापसी कर ली. दिल्ली ने मोदी के 'डबल इंजन' मॉडल को स्वीकार किया, जहां मोदी प्रधानमंत्री होंगे और बीजेपी का ही सीएम होगा.