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'IIT के लिए कड़ी मेहनत करना बेकार', एक्स स्टूडेंट के ट्वीट के बाद सही-गलत की बहस शुरू

सोशल मीडिया पर IIT दिल्ली की पूर्व छात्र पुलक मेहता ने जोर देकर कहा, "मैंने अभी कोटा फैक्ट्री S3 (सीजन 3) देखी है और 10 साल पहले IIT-दिल्ली में सफलता प्राप्त करने के बाद, मुझे लगता है कि IIT में एडमिशन पाने के लिए कड़ी मेहनत करना बेकार है यह आंटियों द्वारा आपकी सराहना करने के अलावा, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है."

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IIT Delhi
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देशभर के लाखों छात्र हर साल इंजीनियरिंग कोर्सेज में एडमिशन के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. बहुत से छात्र जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम (JEE) मेन्स की तैयारी की लिए अपना घर और परिवार को छोड़कर दूसरे राज्य जाते हैं. ताकि उनका एडमिशन देश के टॉप आईआईटी कॉलेज में हो सके. जेईई-एनईईटी एस्पिरेंट्स की लाखों की संख्या और कोचिंग सेंटर्स की वजह से इसे 'कोचिंग हब' कहा जाता है. लेकिन क्या 'IIT में एडमिशन के लिए कड़ी मेहनत करना बेकार है'. एक पूर्व आईआईटी स्टूडेंट के ट्विटर पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर इसे लेकर बहस छिड़ गई है. 

दरअसल, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (IIT दिल्ली) के एक पूर्व छात्र ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है क्योंकि उनका मानना ​​है कि “IIT में एडमिशन पाने के लिए कड़ी मेहनत करना बेकार है और इसके लायक नहीं है”. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पहले ट्विटर) पर एक वायरल पोस्ट में पुलक मेहता ने कहा कि उन्होंने 20 जून को नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुए कोटा फैक्ट्री के तीसरे सीज़न को देखने के बाद मैंने इसके बारे में सोचा. 

सोशल मीडिया पर IIT दिल्ली की पूर्व छात्र पुलक मेहता ने जोर देकर कहा, “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है,” उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, “मैंने अभी कोटा फैक्ट्री S3 (सीजन 3) देखी है और 10 साल पहले IIT-दिल्ली में सफलता प्राप्त करने के बाद, मुझे लगता है कि IIT में एडमिशन पाने के लिए कड़ी मेहनत करना बेकार है और इसकी जरूरत नहीं है. आंटियों द्वारा आपकी सराहना करने के अलावा, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है और 10 साल बाद, 99 प्रतिशत छात्र वापस उसी जगह पर पहुंच जाते हैं."

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पुलक ने अपनी पोस्ट में कहा कि, "चिंता और अवसाद में रहने और एक ही मंजिल पर पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करने के बजाय, आराम करना और मौज-मस्ती करना कहीं बेहतर है." हालांकि पुलक ने बाद में अपनी पोस्ट डिलीट कर दी है. 

पुलक के पोस्ट के बाद सोशल मीडिया यूजर्स दो खेमों बटे नजर आए. कुछ यूजर्स पुलक की बात से सहमत नजर आए तो अधिकतर यूजर्स ने उनकी आलोचना की है. एक  यूजर ने बताया कि अगर आईआईटी वास्तव में "पॉइंटलेस" होता, तो पुलक ने एक्स पर अपने बायो में इसे लिखा नहीं किया होता.

यूजर ने लिखा, "पूरे सम्मान के साथ, अगर आईआईटी आपके लिए दरवाजे नहीं खोल रहा होता, तो आपने इसे अपने ट्विटर बायो में नहीं जोड़ा होता. टेक्निकल जैसे क्षेत्रों में, जहां आप कोडिंग असेसमेंट के साथ अपनी योग्यता साबित कर सकते हैं, निश्चित रूप से डिग्री बहुत मायने नहीं रखती. लेकिन नॉन-टेक्निकल फील्ड के लिए, डिग्री एक फ़िल्टर पॉइंट के रूप में काम करती है."

एक अन्य यूजर ने लिखा है, "सहमत हूं, मैं एक आईआईटीयन नहीं हूं, इसलिए मेरी राय मायने नहीं रखती, लेकिन इसका एक दूसरा पहलू यह भी है कि कड़ी मेहनत उम्मीदवारों को अधिक सहनशील बनाता है ताकि वे बड़ी चुनौतियों का सामना कर सकें." एक यूजर ने लिखा, "बिल्कुल, पेरेंट्स अपने बच्चों पर आईआईटी के लिए दबाव डाल रहे हैं, जो चरम पर पहुंच गया है. वे बिल्कुल भी सोशल नहीं होते. केवल किताबी ज्ञान ही एकमात्र चीज़ नहीं है.” 

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पुलक की बात से असहमत एक एक्स यूजर ने अपना एक्सपीरियंस शेयर किया, “वास्तव में नहीं. मैंने हाल ही में एक नौकरी के लिए आवेदन करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें केवल आईआईटीयन चाहिए. इसलिए इससे बाहर निकलो.”

 

बता दें कि 'कोटा फैक्ट्री', जिसने पुलक मेहता के दिमाग में यह विचार जगाया, राजस्थान के उस शहर पर आधारित एक सीरीज़ है जो अपने कोचिंग सेंटरों के लिए जाना जाता है. शहर के छात्रों के जीवन पर आधारित, कोटा फैक्ट्री मुख्य रूप से किरदार - वैभव - के जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम को क्रैक करके इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्टनोलॉजी (IIT) में एडमिशन पाने के प्रयासों पर आधारित है.

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