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हिंदुओं से टैक्स, मंदिरों का विध्वंस, अपनी इन हरकतों से भारतीय इतिहास का विलेन बना था औरंगजेब

शाहजहां के बाद उत्तराधिकार को लेकर 1657-58 में उसके पुत्रों के बीच काफी झगड़ा हुआ. तब औरंगजेब ने अपनों पर ही कहर ढाया. औरंगजेब ने सत्ता पाने के लिए अपने भाइयों की हत्या की और पिता को कैद कर लिया था. उसकी सोच बाकी मुगल शासकों से काफी अलग थी.

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औरंगजेब
औरंगजेब

जब मुगल भारत आए तो शायद ही किसी ने सोचा होगा कि वे हमारे देश पर 300 साल राज करेंगे. साल 1504 में काबुल पर कब्जा करने के बाद मुगलों ने 1526 में भारत की जमीन पर कदम रखा था. दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को पानीपत की लड़ाई में शिकस्त मिली और इसके बाद दिल्ली व आगरा पर कब्जा जमाया. उस समय मुगलों का शासक बाबर था जिसकी उम्र महज 12 वर्ष थी. मुगलों ने साल 1857 तक भारत पर राज किया लेकिन जब भी भारतीय इतिहास के विलेन की बात होती है तो उनमें औरंगजेब का नाम सबसे पहले लिया जाता है. आइए जानते हैं इसके पीछे क्या-क्या कारण रहे.

अपनों को उतारा मौत के घाट, पिता को बनाया कैदी
बाबर के बाद हुमायूं ने 1530 से 1540 और फिर 1555 से 1556 तक, अकबर ने 1556 से 1605, जहांगीर ने 1606 से 1627, शाहजहां ने 1627 से 1658 तक राज किया था. शाहजहां के बाद उत्तराधिकार को लेकर 1657-58 में उसके पुत्रों के बीच काफी झगड़ा हुआ और तब औरंगजेब ने अपनों पर ही कहर ढाया. दारा शिकोह समेत उसके तीन भाइयों को मौत के घाट उतार दिया गया और शाहजहां को आगरा में कैद कर लिया गया था. बता दें कि औरंगजेब ने 1658 से 1707 तक भारत पर राज किया था.

हिंदुओं से वसूला जजिया कर
औरंगजेब, बाकियों से अलग विपरीत सोच वाला शासक था. उसने अपने पूर्वजों के द्वारा किए गए कामों पर पानी फेरने का काम किया. इतिहास के पन्नों में उसे दूसरे के धर्म को द्वेष भावना से देखनेवाला और कठौर नैतिकतावादी शब्दों से परिभाषित किया जाता है. उससे पहले जो भी शासक रहे उन्होंने कला और साहित्य का न सिर्फ समर्थन किया था बल्कि कलाकारों का काफी सम्मान भी करते थे. उसके विपरीत औरंगजेब का कला या साहित्य से कोई प्रेम नहीं था. 

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देवी-देवताओं के मंदिर तुड़वाए
औरंगजेब ने हिंदुओं पर पुराना, घृणित जजिया-कर लगाया, जो मुस्लिम राज्य में रहने वाले गैर मुस्लिम यानी हिंदुओं से वसूला जाता था. अगर कोई गैर मुस्लिम शख्स उस इलाके में रहना चाहता है तो उसे जजिया कर देना होता था. हिंदुओं को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए देवी-देवताओं के मंदिर तुड़वाने का काम किया. कहा जाता है, औरंगजेब ने मंदिरों को तुड़वाकर प्रजा के बड़े हिस्से को नाराज कर दिया था. उनमें वे राजपूत भी शामिल थे जो मुगल साम्राज्य का साथ दे रहे थे और उन्हें स्तंभ कहा जाता था. उत्तर में सिख और पश्चिम में  मराठा औरंगजेब के खिलाफ खड़े हो गए थे. जिसके बाद औरंगजेब की मृत्यु सन् 1707 में हुई थी. उसे दौलताबाद में स्थित फकीर बुरुहानुद्दीन की कब्र के अहाते में दफना दिया गया था.

 

 

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