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संदेशखाली केस में मुख्य गवाह के बेटे-ड्राइवर की हादसे में मौत, कोर्ट में दूसरे केस में होनी थी पेशी

संदेशखली केस में मुख्य गवाह भोला घोष अपने बेटे सत्यजीत के साथ एक दूसरे मामले में पेश होने के लिए कोर्ट जा रहे थे. उसी वक्त रास्ते में हाईवे पर एक ट्रक से उनकी कार टकरा गई. जोरदार हादसा हुआ, जिसमें उनके बेटे और ड्राइवर की मौके पर ही मौत हो गई.

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पश्चिम बंगाल के बोयारमारी के पास बसंती हाईवे पर ट्रक से टकराई कार. (File Photo: ITG)
पश्चिम बंगाल के बोयारमारी के पास बसंती हाईवे पर ट्रक से टकराई कार. (File Photo: ITG)

पश्चिम बंगाल के हाई प्रोफाइल संदेशखली केस में शाहजहां शेख के खिलाफ मुख्य गवाह भोला घोष की कार बोयारमारी के पास बसंती हाईवे पर एक खाली ट्रक से भिड़ गई. ये हादसा इतना भयानक था कि गवाह के बेटे सत्यजीत घोष और कार के ड्राइवर शाहनूर मोल्ला की मौके पर ही मौत हो गई. 

इस हादसे में भोला घोष गंभीर रूप से घायल हो गए. यह तब हुआ जब वो अपने बेटे के साथ बशीरहाट सब-डिविजनल कोर्ट में एक दूसरे मामले में सुनवाई के लिए जा रहे थे. इसका संदेशखाली केस से कोई संबंध नहीं है. लेकिन मुख्य गवाह के साथ हुए इस हादसे को लोग सामान्य नहीं मान रहे हैं.

इस हादसे की टाइमिंग और टारगेट ने पूरे मामले में शक गहरी कर दी है. स्थानीय लोग और परिजन इसे महज सड़क हादसा मानने को तैयार नहीं हैं. सोशल और राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज है कि क्या यह एक सड़क हादसा था या फिर केस से जुड़े गवाहों को धमकाने की साजिश थी. 

सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के बाहुबली नेता रहा शाहजहां शेख वैसे भी बंगाल की राजनीति और अपराध की दुनिया में एक विवादित चेहरा रहा है. प्रवर्तन निदेशालय की टीम पर हमले, संदेशखाली में महिलाओं के यौन उत्पीड़न और अवैध जमीन कब्जाने के आरोपों में वह पहले से जेल में बंद है.

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उसका आपराधिक इतिहास इतना लंबा है कि इलाके के लोग उसका नाम लेते ही सिहर उठते हैं. बांग्लादेश से आया शाहजहां पहले मजदूरी करता था. कभी ईंट-भट्ठे में काम, कभी नाव चलाना, कभी सवारी ढोना. लेकिन साल 2002 में मजदूर यूनियन बनाते ही उसकी पकड़ बढ़ी.

वह माकपा के करीब पहुंच गया. सत्ता का संरक्षण मिला तो उसने जमीनों पर कब्जा करना शुरू कर दिया. लीज पर खेत लेने के नाम पर किसानों को धमकाना, फिर पैसे देना बंद करना और अंत में खेत पर जबरन कब्जा कर लेना.

उसके लिए ये सब इलाके में आम बात हो गई. साल 2011 में सत्ता बदली और साल 2012 में शाहजहां शेख टीएमसी में शामिल हो गया. पार्टी बदल गई, लेकिन तौर-तरीके वही रहे. दबंगई बढ़ती गई, राजनीतिक ताकत के सहारे उसका रसूख भी बढ़ता गया. ज्योतिप्रिय मलिक जैसे दिग्गज नेताओं की छाया मिलने के बाद शाहजहां का कद बड़ा हो गया. वो संदेशखली टीएमसी इकाई का अध्यक्ष बन गया.

उसकी संपत्ति भी उसी रफ्तार से बढ़ी. 17 कारें, 43 बीघा जमीन, करोड़ों के जेवर और इतना पैसा कि सटीक आंकड़ा भी स्थानीय लोग बता नहीं पाते. उसके दो सबसे करीबी गुर्गे शिबू हजरा और उत्तम सरदार पूरे इलाके में खौफ कायम रखते थे. अब ऐसे रसूखदार आरोपी के खिलाफ गवाही देने जा रहे गवाह की कार का एक्सीडेंट होना. उसमें बेटे और ड्राइवर की मौत होना. कई बड़े सवाल खड़े कर गया है.

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