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दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह का पर्दाफाश, 4.25 करोड़ की ठगी, 5 जालसाज गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस ने एक हाई-टेक साइबर ठगी गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो फर्जी निवेश और आईपीओ योजनाओं के नाम पर लोगों से करोड़ों रुपए लूट रहा था. इस मामले में अब तक 4.25 करोड़ रुपए के ट्रांजैक्शन का खुलासा हुआ है. पुलिस ने छापेमारी कर पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

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दिल्ली पुलिस की पांच राज्यों में छापेमारी, कंबोडिया में बैठा गिरोह का मास्टरमाइंड. (Photo: X/@DelhiPolice)
दिल्ली पुलिस की पांच राज्यों में छापेमारी, कंबोडिया में बैठा गिरोह का मास्टरमाइंड. (Photo: X/@DelhiPolice)

दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने फर्जी निवेश योजनाओं के जरिए करोड़ों रुपए की ठगी करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह का पर्दाफाश किया है. यह गिरोह लोगों को शेयर और आईपीओ में ऊंचे रिटर्न का लालच देकर फंसाता था. उनके पैसे को क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर कंबोडिया स्थित संचालकों के पास भेज देता था. इस तरह गिरोह ने चार करोड़ 25 लाख रुपए की चपत लगाई है.

पुलिस उपायुक्त (दक्षिण-पश्चिम) अमित गोयल ने बताया कि ये गिरोह कई म्यूल अकाउंट्स यानी खच्चर खातों के जरिए पैसे को घुमाकर अंततः विदेशी वॉलेट में ट्रांसफर कर देता था. ये खाते अलग-अलग राज्यों के लोगों के नाम पर खोले गए थे. पुलिस ने हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में छापेमारी कर पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. इनका मास्टरमाइंड कंबोडिया में बैठा है.

आरोपियों की पहचान विक्रम (40), मुकुल (33), अक्षय (29), हरि किशन सिंह (38) और मंगू सिंह (27) के रूप में हुई है. पुलिस जांच के दौरान पहला सुराग हरियाणा के जींद से मिला, जहां से विक्रम पकड़ा गया. इसके बाद मुकुल को जीरकपुर (पंजाब) और अक्षय को ऊना (हिमाचल प्रदेश) से गिरफ्तार किया गया. हरि किशन सिंह को अमृतसर और मंगू सिंह को सीकर (राजस्थान) से गिरफ्तार किया.

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डीसीपी के मुताबिक, यह गिरोह सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स के जरिए लोगों को फर्जी निवेश योजनाओं में शामिल करता था. एक पीड़ित आर. चौधरी ने बताया कि उसे एक सोशल मीडिया ग्रुप में जोड़ा गया, जहां उसे निवेश के नाम पर ठगा गया. शुरुआत में छोटे-छोटे मुनाफे दिखाकर भरोसा जीता गया, लेकिन जैसे ही उसने मुनाफा निकालने की कोशिश की, लेन-देन रोक दिए गए. 

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पीड़ित ने 10.7 लाख रुपए ठगे जाने की शिकायत दर्ज कराई थी. जांच में खुलासा हुआ कि आरोपी एटीपे जैसे मैसेजिंग ऐप्स पर ग्रुप बनाकर म्यूल अकाउंट बनाने वालों को जोड़ते थे. इन खातों के जरिए ठगी गई रकम को पहले अलग-अलग बैंकों में भेजा जाता था और फिर उसे क्रिप्टोकरेंसी (यूएसडीटी) में बदलकर कंबोडिया में बैठे विदेशी संचालकों के वॉलेट में ट्रांसफर कर दिया जाता था. 

गिरोह इस ठगी की रकम में से करीब पांच प्रतिशत कमीशन के रूप में रखता था. राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर 15 से अधिक शिकायतें इस गिरोह से जुड़ी पाई गई हैं. पुलिस का कहना है कि आरोपी अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम मॉड्यूल का हिस्सा हैं. भारत में बैठे एजेंट सिर्फ पैसे ट्रांसफर करने का काम करते थे. कंबोडिया में बैठे मुख्य संचालकों की पहचान की जा रही है.

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दिल्ली पुलिस ने लोगों से अपील की है कि किसी भी ऑनलाइन निवेश स्कीम या क्रिप्टो मुनाफे के झांसे में न आएं. लोगों को लुभाने के लिए ये गिरोह छोटे-छोटे लाभ दिखाते हैं, लेकिन असल में उनका मकसद बैंक खातों को खाली करना होता है. डीसीपी ने भरोसा दिलाया कि इस अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह के बाकी सदस्यों को जल्द गिरफ्तार कर पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश कर दिया जाएगा.

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