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New Labour Codes: सैलरी, सेहत और ग्रेच्युटी पर तगड़ा फैसला... नए श्रम कानून की 10 बड़ी बातें

Labour Codes Details: नए श्रम कानून को 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में ये एक बड़ा कदम है. सरकार का कहना है कि नई व्यवस्था का मक­सद एक सुदृढ़ ढांचा तैयार करना है, जो न सिर्फ श्रमिकों की सुरक्षा बढ़ाए, बल्कि उद्योगों के लिए भी बेहतर माहौल बनाए.

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नए लेबर कोड में कामगारों का खास ध्यान. (Photo: ITG)
नए लेबर कोड में कामगारों का खास ध्यान. (Photo: ITG)

मोदी सरकार ने श्रम सुधारों पर अब तक का सबसे बड़ा दांव चल दिया है, श्रम से जुड़े 29 कानूनों को खत्म कर दिया है, उसके बदले 21 नवंबर से देश में 4 चार नए श्रम कानून (Labour Codes) लागू हो गए हैं. सरकार का कहना है कि 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में ये एक बड़ा कदम है. 

दरअसल, यह बदलाव देश की रोजगार और औद्योगिक व्यवस्था को नई परिभाषा देने वाला साबित हो सकता है. इससे 40 करोड़ कामगारों को सोशल सिक्योरिटी कवरेज मिलेगा, यानी देश की आधी से ज्यादा वर्कफोर्स को पहली बार सुरक्षा के दायरे में लाया गया है. आइए जानते हैं, देश में लागू 4 नए लेबर कोड के बारे में... क्या कुछ बदलने वाला है.

1. पुराने 29 श्रम कानून खत्म
फिलहाल देश में जो श्रम कानून लागू हैं, वो बहुत पुराने यानी करीब 1930-1950 के बीच का है. पुराने श्रम कानून इकोनॉमी फ्रेंडली नहीं थे, गिग-वर्कर्स, प्लेटफॉर्म वर्क, प्रवासी श्रमिक जैसे टर्म शामिल नहीं थे. लेकिन अब नए कानून में इन कामगारों के हितों का ध्यान रखा गया है.

2. समय पर सैलरी और नियुक्ति पत्र जरूरी
नए लेबर कोड के अंतर्गत नियुक्ति पत्र अनिवार्य होंगे, यानी हर कामगार को नियुक्ति पत्र देना होगा. न्यूनतम वेतन का दायरा सभी श्रमिकों तक बढ़ेगा.समय पर वेतन देना कानूनन होगा. सरकार का तर्क है कि इससे रोजगार और शर्तों की पारदर्शिता बढ़ेगी. देशभर में न्यूनतम वेतन लागू होगा, ताकि कोई भी सेलरी इतना कम न हो कि जीवन यापन मुश्किल हो. 

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3. कर्मचारियों की सेहत की जांच 
कर्मचारियों की सेहत को लेकर इस कानून में खास ख्याल रखा गया है. 40 वर्ष से ऊपर वाले श्रमिकों को निःशुल्क वार्षिक स्वास्थ्य-जांच मिलेगी. यानी साल में एक बार फ्री हेल्थ चेक-अप की सुविधा मिलेगी. ठेका कर्मचारियों को भी स्वास्थ्य लाभ और सामाजिक सुरक्षा लाभ दिया जाएगा.जोखिम-भरे क्षेत्रों के कामगारों को 100% हेल्थ सिक्युरिटी की गारंटी मिलेगी, खासकर खनन, केमिकल, कंस्ट्रक्शन जैसे हाई-रिस्क जॉब वालों को पूर्ण सुरक्षा.

4. महज 1 साल की नौकरी पर ग्रेच्युटी
अभी तक देश में 5 साल तक नौकरी के बाद गेच्युटी मिलती है, लेकिन अब नए कानून में केवल एक साल की पक्की नौकरी के बाद कर्मचारियों को ग्रेच्युटी मिलेगी. प्राइवेट सेक्टर में जॉब करने वालों के लिए ये बड़ी खुशखबरी है. 

5. कामकाजी महिलाओं के लिए खास नियम 
नए कानून के तहत अब महिलाओं को रात की शिफ्ट में काम की अनुमति होगी. हालांकि इसमें महिला की सहमति और वर्किंग प्लेस में सुरक्षा का उपाय होना चाहिए. इसके अलावा महिलाओं को समान वेतन और सम्मान की गारंटी में इस कानून में है. ट्रांसजेंडर को भी काम में बराबरी का हक मिलेगा. 

6. गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स की पहली बार कानूनी पहचान
नए लेबर कोड में गिग और प्लेटफॉर्म वर्क को परिभाषित किया गया है. गिग वर्कर्स और प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स को पहली बार कानूनी पहचान मिलेगी. उन्हें PF, बीमा, पेंशन जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभ मिल सकेंगे. अब एग्रीगेटर्स को उनके टर्नओवर के 1-2% देना होगा, जो कि मैक्सिमम 5% तक होगा. लाभार्थी कीड का यूनिवर्सल खाता नम्बर (UAN) लिंक किया जाएगा, जिससे दूसरे राज्य के कर्मचारियों को भी पोर्टेबिलिटी के तहत जोड़ा जाएगा. 

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7. ओवरटाइम पर दुगने वेतन की गारंटी
नए लेबर कोड में ओवरटाइम को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है, कर्मचारियों की शिकायत रहती थी कि कंपनी सही से ओवरटाइम का भुगतान नहीं करती है. लेकिन नए लेबर कानून में ओवरटाइम कराने पर दुगने वेतन की गारंटी दी गई है. 
  
8. कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स के लिए खुशखबरी
अब कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स भी स्थाई कर्मचारियों जैसी सुरक्षा पाएंगे. पहली नौकरी, यानी युवाओं को न्यूनतम वेतन की गारंटी मिलेगी. प्रवासी और अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिक सामाजिक-सुरक्षा नेटवर्क में आ सकेंगे. 

9. कानूनी अनुपालन  अब और आसान 
अब कई रजिस्ट्रेशन और रिपोर्टिंग की जगह सिंगल लाइसेंस और सिंगल रिटर्न मॉडल होगा, जिससे कंपनियों का कम्प्लायंस बोझ घटेगा. वर्षों पुराने कानून, जो कि काफी जटिल और बिखरे हुए थे, वो खत्म हो जाएंगे. मुख्यतौर पर 29 बिखरे कानूनों को समेटकर चार लेबर कोड बनाए गए हैं. इसका लक्ष्य उद्योगों को लाल-फीताशाही से मुक्ति दिलाना है.

10. कंपनी और कर्मचारी के बीच विवाद पर नया नियम
नई व्यवस्था में 'इंस्पेक्टर-कम-फैसिलिटेटर' होंगे, जो ज्यादातर गाइडेंस देंगे न कि दंडात्मक कार्रवाई. साथ ही उद्योग विवादों के लिए दो-सदस्य ट्राइब्यूनल होंगे, जहां कर्मचारी सीधे जा सकते हैं. सरकार का दावा है कि इन कोडों से कामगारों को व्यापक सामाजिक सुरक्षा और सम्मान मिलेगा, जबकि उद्योगों को कम जटिलता और बेहतर पूंजी निवेश का अवसर मिलेगा. 

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नए श्रम कानून (Labour Codes) को 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में ये एक बड़ा कदम है. सरकार का कहना है कि नई व्यवस्था का मक­सद एक सुदृढ़ मजदूर-ढांचा तैयार करना है, जो न सिर्फ श्रमिकों की सुरक्षा बढ़ाए, बल्कि उद्योगों के लिए भी प्रतिस्पर्धात्मक माहौल बनाए. मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा है कि ये सुधार 'आत्मनिर्भर भारत' के विज़न के अनुरूप हैं और 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में एक मज़बूत आधार होंगे. 

बता दें, केंद्र सरकार ने 21 नवंबर 4 केंद्रीय श्रम कोड  Code on Wages, 2019, Industrial Relations Code, 2020, Code on Social Security, 2020 और Occupational Safety, Health and Working Conditions Code, 2020 को प्रभावी कर दिया है.

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