स्विट्जरलैंड के एक होटल ने भारतीय मेहमानों को कायदे से रहने के लिए नोटिस जारी करते हुए उनके लिए बकायदा 'आचार संहिता' जारी की है. इस पर प्रमुख उद्योगपति और RPG ग्रुप के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने आपत्ति जताई है और इसकी आलोचना की है.
स्विट्जरलैंड के होटल जीस्टैड ने 'भारतीय मेहमानों' को संबोधित करते हुए एक नोटिस जारी करते हुए नियम-कायदों की पूरी एक सूची जारी की है जिसका पालन करते हुए वे होटल में छुट्टियों का आनंद ले सकते हैं. भारतीयों के लिए इस खास नियम जारी करने पर हर्ष गोयनका ने ट्वीट कर आपत्ति जताई है.
नाश्ते को लंच की तरह न लें
होटल के मैनेजर क्रिस्टीन मैट्टी के दस्तखत वाली नोटिस में कहा गया है कि भारतीय मेहमान नाश्ते की मेज से कुछ भी उठाकर नहीं ले जाएंगे और वहीं पर बैठकर खाएंगे. नोटिस में कहा गया है, 'कृपया अपने साथ कुछ न ले जाएं, यहां का खाना सिर्फ नाश्ते के लिए है. आपको यदि लंच बैग चाहिए तो आप सर्विस स्टाफ से ऑर्डर करें और इसके लिए भुगतान करें.'
नोटिस में कहा गया है कि 'अन्य मेहमान भी जायकेदार बफे का आनंद लेना चाहते हैं, इसलिए भारतीय मेहमानों को केवल वहां उपलब्ध बर्तन का ही इस्तेमाल करना चाहिए.'
शोर-शराबा न करें
भारतीयों को शोर-शराबा न करने की भी हिदायत दी गई है. नोटिस में कहा गया है, 'आपके अलावा होटल में दुनिया भर से आए मेहमान रहते हैं. वे भी शांति और सहजता चाहते हैं, इसलिए हमारा अनुरोध है कि कॉरिडोर में शांति बनाए रखें और बॉलकनी में भी तेज आवाज में बात न करें.'
हर्ष गोयनका ने इस नोटिस को अपने टि्वटर अकाउंट से साझा करते हुए कहा है कि वे इससे गुस्सा और अपमान महसूस कर रहे हैं और इसका विरोध करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि इस नोटिस से ऐसी धारणा बन रही है कि भारतीय तेज बोलते हैं, असभ्य हैं और पर्यटकों के रूप में सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील नहीं हैं. गोयनका ने भारतीय लोगों से भी यह अनुरोध किया है कि वे अपनी छवि में सुधार करें. उन्होंने कहा कि अब जब भारत एक इंटरनेशनल पावर बनता जा रहा है, हमारे पर्यटक हमारे ग्लोबल एम्बेसडर हैं. हम सबको मिलकर इस छवि को बदलना होगा.
गोयनका के ट्वीट के जवाब में बहुत से लोगों ने यह स्वीकार किया है कि भारतीय थोड़े तेज बोलने वाले और असंवेदनशील होते हैं, लेकिन उनका कहना है कि किसी होटल द्वारा इस तरह का नोटिस लगाना नस्लवादी है.Reading this notice I felt angry, humiliated and wanted to protest.
But a realisation dawned that we as tourists are loud, rude, not culturally sensitive. With India becoming an international power, our tourists are our best global ambassadors. Let’s work on changing our image! pic.twitter.com/7R4ZrZIXKi
— Harsh Goenka (@hvgoenka) July 22, 2019Advertisement
(www.businesstoday.in से साभार)