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लखनऊ के पास, दाम अभी कम! गोंडा के 16 गांव बने 'प्रॉपर्टी हॉटस्पॉट'

14 किलोमीटर लंबे बाईपास के लिए भूमि अधिग्रहण शुरू हो गया है. ये बाईपास लखनऊ-बाराबंकी से यात्रा का समय करेगा. वहीं आसपास के इलाकों में प्रॉपर्टी के दामों में भी उछाल आने की संभावना है.

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बाईपास के लिए भूमि अधिग्रहण शुरू (Photo-AI-Generated
बाईपास के लिए भूमि अधिग्रहण शुरू (Photo-AI-Generated

उत्तर प्रदेश के गोंडा ज़िले में कर्नलगंज बाईपास के लिए आधिकारिक तौर पर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गई है. यह महत्वपूर्ण परियोजना क्षेत्र के एक प्रमुख यात्रा मार्ग पर यातायात की बड़ी रुकावट को दूर करेगी. लखनऊ-बाराबंकी से यात्रा का समय कम करने वाले 14 किलोमीटर लंबे बाईपास के लिए भूमि अधिग्रहण शुरू होने के कारण गोंडा के 16 गांव अचानक चर्चा का केंद्र बन गए हैं. इन गावों को 'प्रॉपर्टी हॉटस्पॉट' कहा जा रहा है. इस बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के मद्देनज़र, क्या यह गोंडा में निवेश का सही समय है?

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा शुरू किए गए इस 14 किलोमीटर लंबे बाईपास का मुख्य उद्देश्य लखनऊ और बाराबंकी से गोंडा की यात्रा के समय को कम करना है. यह न केवल यातायात को सुगम बनाएगा, बल्कि सीधे तौर पर क्षेत्र के आर्थिक और वाणिज्यिक भूगोल को भी बदल देगा.

आमतौर पर किसी भी शहर के पास से गुज़रने वाला बाईपास उस क्षेत्र के लिए विकास का गलियारा बन जाता है. इस बाईपास के कारण लगभग 16 गांव सीधे कनेक्टिविटी के दायरे में आ गए हैं. भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होते ही इन गांवों की ज़मीनों के दाम उछलने लगे हैं, जिससे यह क्षेत्र रातों-रात प्रॉपर्टी हॉटस्पॉट बन गया है.

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निवेश के अवसर और जोखिम

रियल एस्टेट में 'समय' सबसे महत्वपूर्ण कारक होता है. इस परियोजना के संदर्भ में निवेश के अवसरों और उससे जुड़े जोखिमों को समझना जरूरा है. भूमि अधिग्रहण की घोषणा होते ही अक्सर ज़मीन की कीमतों में तेज़ उछाल आता है. निवेशक तुरंत ज़मीन खरीदकर अधिग्रहण के बाद मिलने वाले मुआवज़े या बाईपास बनने के बाद होने वाली प्राकृतिक मूल्य वृद्धि से लाभ कमाना चाहते हैं. इस समय निवेश करने का मतलब है कि आप शुरुआती 'बूम' का फायदा उठा रहे हैं.

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असली और टिकाऊ लाभ तब मिलता है जब इन्फ्रास्ट्रक्चर वास्तव में काम करना शुरू कर देता है. बाईपास बनने के बाद, ये 16 गांव वेयरहाउसिंग, लॉजिस्टिक्स हब, कमर्शियल कॉम्प्लेक्स, और टाउनशिप जैसी गतिविधियों के लिए प्राइम लोकेशन बन जाएंगे. लखनऊ और बाराबंकी से बेहतर कनेक्टिविटी का अर्थ है कि छोटे और मध्यम आकार के उद्योग (SMEs) यहां की सस्ती ज़मीन का लाभ उठा सकते हैं, जिससे रोजगार और जनसंख्या घनत्व बढ़ेगा. दीर्घकालिक निवेशक इन कमर्शियल और आवासीय विकासों से बड़ा लाभ कमा सकते हैं.

निवेश करने से पहले ध्यान देने वाली बातें

केवल बाईपास के किनारे की ज़मीन ही नहीं, बल्कि यह भी देखें कि उस ज़मीन को आवासीय या वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए ज़ोन किया गया है या नहीं. कृषि भूमि पर निवेश करने से पहले उसके उपयोग परिवर्तन (Land Use Conversion) की प्रक्रिया को समझ लें.

स्थानीय विकास प्राधिकरण का मास्टरप्लान देखें. यह पता करें कि इन 16 गांवों के आसपास भविष्य की कौन सी परियोजनाएं (जैसे- औद्योगिक क्षेत्र या नया बस स्टैंड) प्रस्तावित हैं.

बड़े शहरों की तरह, छोटे शहरों के रियल एस्टेट बाज़ार में तुरंत खरीदार मिलना हमेशा आसान नहीं होता है. निवेश करने के बाद बेचने में समय लग सकता है.  भूमि अधिग्रहण वाली ज़मीनों में अक्सर स्वामित्व विवाद होते हैं, निवेश से पहले संपत्ति के सभी दस्तावेज़ों और कानूनी स्पष्टता की जांच ज़रूर करवा लें.

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केवल घोषणा पर भरोसा न करें, वास्तविक निर्माण कार्य शुरू होने की गति और फंडिंग की स्थिति देखें, धीमा निर्माण कार्य आपके निवेश को वर्षों तक फंसा सकता है.

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