केंद्र सरकार जीएसटी व्यवस्था में बड़ा बदलाव ला रही है. अब सिर्फ दो ही स्लैब होंगे 5% और 18%. प्रधानमंत्री मोदी ने इशारा किया है कि यह सुधार दिवाली तक लागू हो सकता है. जानकारों का कहना है कि यह कदम डेवलपर्स के लिए लागत कम करेगा, जिससे खरीदारों के लिए घर की कीमतें घटेंगी और रियल एस्टेट सेक्टर को मजबूती मिलेगी.
वर्तमान में, सीमेंट पर 28%, स्टील और टाइल्स पर 18%, और पेंट पर 28% जीएसटी लगाया जाता है. इन सामग्रियों पर ऊंचे टैक्स का सीधा प्रभाव घरों की कीमतों पर पड़ता है. नई प्रणाली में, सीमेंट जैसी महंगी सामग्रियों पर कर में राहत मिलने की संभावना है. हालांकि, लग्जरी घरों में उपयोग किए जाने वाले आयातित इंटीरियर डिज़ाइन पर कर बढ़ सकता है.
मान लीजिए एक अपार्टमेंट की कीमत 10 करोड़ रुपये है, तो इंटीरियर डिजाइन पर करीब 2 करोड़ रुपये खर्च किए जा सकते हैं. मौजूदा टैक्स सिस्टम में, यह लागत 2.56 करोड़ रुपये तक पहुंच जाती है, अगर टैक्स 40% तक बढ़ जाता है, तो यह लागत 2.8 करोड़ रुपये हो सकती है, जिससे लग्जरी घरों पर लगभग 24 लाख रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.
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निंबस ग्रुप के सीईओ, साहिल अग्रवाल कहते हैं- 'जीएसटी को सरल बनाना रियल एस्टेट सेक्टर के लिए एक सकारात्मक कदम होगा. वर्तमान में, विभिन्न दरों के कारण निर्माण लागत का सटीक अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है. सीमेंट, स्टील और अन्य सामग्री पर उच्च कर घरों की अंतिम कीमत को प्रभावित करते हैं. अगर पूरी प्रणाली को दो दरों में सरल बनाया जाता है, तो निर्माण लागत नियंत्रित रहेगी और ग्राहकों को अधिक पारदर्शिता मिलेगी."
सीआरसी ग्रुप के डायरेक्टर – मार्केटिंग एंड बिजनेस मैनेजमेंट, सलिल कुमार ने कहते हैं- 'सरकार के इस कदम से रियल एस्टेट सेक्टर को बड़ा फायदा होगा. टैक्स का बोझ कम होने से डेवलपर्स कम कीमत पर घर बना सकेंगे. इससे खरीदारों को भी फायदा होगा क्योंकि उन्हें साफ पता होगा कि टैक्स का सिस्टम आसान और पक्का है. लंबे समय से यह सेक्टर इस बदलाव की मांग कर रहा था, और अब यह कदम निवेशकों और ग्राहकों दोनों के लिए अच्छा है.
प्रतीक ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर, प्रतीक तिवारी कहते हैं, “हाउसिंग मार्केट में मांग तो बनी हुई है, लेकिन टैक्स की उलझनें ग्राहकों के लिए हमेशा एक चिंता रही हैं. अगर जीएसटी को दो श्रेणियों में कर दिया जाता है, तो यह खरीदारों को सीधा लाभ देगा और सेक्टर में लंबे समय तक स्थिरता सुनिश्चित करेगा. एक पारदर्शी और सरल टैक्स ढांचा बाजार में विश्वास को बढ़ाएगा और रियल एस्टेट उद्योग को अधिक व्यवस्थित तरीके से प्रगति करने में मदद करेगा."