इंडिगो एयरलाइंस संकट (IndiGo Crisis) जारी है. इसके चलते बीते 10 दिन में हजारों हवाई यात्रियों को परेशानियों से जूझना पड़ा है. यही नहीं जहां एयरलाइन कंपनी की मार्केट वैल्यू और इसकी साथ को नुकसान पहुंचा है, तो इसके शेयरों में पैसे लगाने वाले निवेशक भी बेहाल हैं. इस बीच बड़ा सवाल ये कि जिस परेशानियों की वजह से देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस संकट में आई है, उससे भारत की एविएशन इंडस्ट्री कुछ सबक लेगी? आइए जानते हैं ऐसी बड़ी कमियों के बारे में...
CEO से चेयरमैन तक ने मांगी माफी
IndiGo Crisis ने पूरे देश में बीते 10 दिनों में हड़कंप मचा दिया, इस दौरान हर रोज सैकड़ों उड़ाने रद्द हुईं. ग्राहकों को हुई परेशानी के चलते सरकार भी एयरलाइंस पर सख्त हुई और Flight Cut समेत बड़ी कार्रवाई कीं. इस समस्या के चलते IndiGo CEO पीटर एल्बर्स ही नहीं, बल्कि चेयरमैन विक्रम सिंह मेहता तक को माफी मांगनी पड़ी. हालांकि, उन्होंने ये साफ किया कि एयरलाइन ने नए नियमों को दरकिनार करने के लिए जानबूझकर यह संकट पैदा किया, ये गलत है.

IndiGo पर अब तक क्या-क्या कार्रवाई?
इंडिगो संकट के चलते ग्राहकों को हुई परेशानी पर सख्त एक्शन लेते हुए एविएशन मिनिस्ट्री ने IndiGo Airline कैंसिलेशन कम करने के लिए इंडिगो के ऑपरेशंस में 10% की कटौती कर दी, जिससे उसकी रोजाना की करीब 2200 उड़ानों में से 220 फ्लाइट्स कम हो जाएंगी. इसके साथ ही नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने स्पष्ट किया कि इंडिगो को नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों में कोई विशेष छूट नहीं दी जाएगी.
कई रिपोर्ट्स में ये दावा भी किया जा रहा है कि इंडिगो पर सरकार का डंडा अभी रुकने वाला नहीं है और एयरलाइन पर 1000 करोड़ तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. विमानन नियामक (DGCA) ने इंडिगो के कॉर्पोरेट दफ्तर में अपने अधिकारियों को तैनात किया है. रिपोर्ट्स की मानें, तो 8 सदस्यीय ओवरसाइट टीम इंडिगो के कामकाज और ऑपरेशंस पर नजर रखेगी. इनमें विमानों की संख्या और स्थिति से लेकर पायलटों की संख्या और उनकी उपलब्धता, क्रू के कामकाजी घंटे और स्टैंडबाय क्रू की पूरी डिटेल की निगरानी शामिल है.
रिफंड, मुआवजा और सरकार का डंडा
इंडिगो में संकट को लेकर एविएशन मिनिस्टर राम मोहन नायडू ने कहा है कि एयरलाइन, चाहे कितनी भी बड़ी हो, यात्रियों को इस तरह परेशान नहीं कर सकती. उन्होंने 65 फीसदी मार्केट शेयर वाली देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी में आई इस परेशानी के बीच डोमेस्टिक एयरलाइन मार्केट में नई कंपनियों को बढ़ावा देने की भी बात कही.अगर रिफंड की बात करें, तो इंडिगो ने अब तक करीब 827 करोड़ रुपये रिफंड जारी कर चुकी है. वहीं गुरुवार को एक बड़ा ऐलान करते हुए 5000 से 10000 रुपये का मुआवजा और ट्रैवल वाउचर देने का भी ऐलान किया है.

एविएशन इंडस्ट्री की ये बड़ी कमियां उजागर
पहली कमी: बीते 10 दिन से जारी इस संकट से भारतीय एविएशन इंडस्ट्री में उजागर हुई कमियों के बारे में, तो सबसे बड़ी कमी एक ही बड़ी एयरलाइन पर अत्यधिक निर्भरता होना सामने आई है. पूरे भारतीय एविएशन मार्केट में 65 फीसदी की हिस्सेदारी यही बयां भी कर रही है. सिर्फ सबसे बड़ी एक एयरलाइन में संकट आया, तो पूरे देश में उड़ानें प्रभावित हो गईं. यही नहीं दूसरी एयरलाइनों ने किराए में अचानक बढ़ोतरी कर ग्राहकों को दोहरा झटका दे दिया.
दूसरी कमी: एक और बड़ी कमी जो इस संकट से उजागर हुई, वो है पायलट, केबिन क्रू और टेक्नीशियंस की एविएशन इंडस्ट्री में भारी कमी. अगर ये कमी न होती, तो यात्रियों को इस बड़े संकट से न जूझना पड़ता. बता दें कि नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों के तहत पायलटों की साप्ताहित छुट्टी के 36 घंटे से बढ़ाकर 48 घंटे किया गया है और ये इंडिगो संकट की सबसे बड़ी वजह बनी.
एयरलाइन के पास इसे मैनेज करने के लिए वर्कफोस ही नहीं थी. इससे साफ होता है कि भारत में एविएशन मार्केट तेजी से बढ़ा है, लेकिन ट्रेनिंग कैपेसिटी, पायलट्स-केबिन क्रू की संख्या उस स्तर पर नहीं बढ़ी है. हालात ये है कि पायलट्स के ओवरटाइम की नौबत आ गई है, टेक्नीशियनों और ग्राउंड स्टाफ पर लोड और बढ़ गया है.
तीसरी कमी: ज्यादातर भारतीय एयरलाइंस कम मुनाफे पर चल रही हैं, जबकि लागत (ATF प्राइस, मेंटेनेंस, लीज रेंट) इससे बहुत ज्यादा है. इसका असर ये होता है कि कोई भी संकट आता है तो कैश-फ्लो ही बिगड़ जाता है. हालांकि, IndiGo बड़े मार्केट शेयर वाली कंपनी है, तो इसे काफी हद तक झेल भी लेती है, लेकिन ऐसी ही समस्याएं आने पर छोटे कैरियर के बंद होने की संभावना बढ़ जाती है. किसी भी ऑपरेशनल गड़बड़ी का असर सीधा और तत्काल असर उड़ानों पर दिखता है.