IMF ने पाकिस्तान के 7 अरब डॉलर के बेलआउट प्रोग्राम में 11 नई शर्तें जोड़ी हैं, जिससे सिर्फ़ 18 महीनों में कुल शर्तें 64 हो गई हैं. यह शर्ते इसलिए पेश की गई हैं, ताकि पाकिस्तान में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने, चीनी सेक्टर को उदार बनाने और बढ़ती रेमिटेंस लागत को ठीक किया जा सके. इसी कारण आईएमएफ इन शर्तों के साथ पाक्स्तिान पर दबाव डाल रहा है. आइए जानते हैं ये शर्तें कौन -कौन सी हैं.
आईएमएफ के 11 शर्तें कौन-कौन सी?
IMF का कहना है कि नए उपाय गवर्नेंस की कमियों को कम करने, पावर सेक्टर में नुकसान को रोकने, पाकिस्तान की टैक्स मशीनरी में सुधार करने और उन स्ट्रक्चरल कमियों को दूर करने के लिए जरूरी हैं जो आर्थिक सुधार में रुकावट डाल रही हैं.
शुगर सेक्टर को लेकर रखी बड़ी शर्त
आईएमएफ चाहता है कि पाकिस्तान चीनी उद्योग पर पहले से जमे हुए वर्ग के प्रभाव को खत्म करे. जून 2026 तक पाकिस्तान को इसके लिए कुछ शर्तों को पूरा करना होगा. चीनी बाजार के उदारीकरण के लिए एक नेशनल पॉलिसी बनानी होगी. लाइसेंसिंग, प्राइस कंट्रोल, आयात या निर्यात अनुमतियों और ज़ोनिंग से संबंधित सुधारों पर सहमति बनानी होगी.
फाइनेंस सेक्टर में बड़ा सुधार
पाकिस्तान को मई 2026 तक सीमा पार भुगतान के लिए रेमिटेंट कॉस्ट और संरचनात्मक बाधाओं का आकलन पूरा करना होगा, क्योंकि अनुमान है कि रेमिटेंट लागत 1.5 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है. स्थानीय करेंसी बांड मार्केट के विकास में आने वाली बाधाओं पर एक अलग स्टडी सितंबर 2026 तक पूरा किया जाना चाहिए, जिसके बाद एक रणनीतिक कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए.
टैक्स सिस्टम में सुधार
संघीय राजस्व बोर्ड के लगातार खराब प्रदर्शन ने सुधारों के एक नए दौर को जन्म दिया है. दिसंबर 2025 तक, पाकिस्तान को कर्मचारियों की आवश्यकता, सुधार के महत्वपूर्ण पड़ावों, राजस्व पर पड़ने वाले प्रभावों और प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों पर फोकस करते हुए एक विस्तृत एफबीआर सुधार रोडमैप को अंतिम रूप देना होगा. इसके अलावा, आवश्यक कानून और कर्मचारियों में बदलाव समेत मिनिमम तीन प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में सुधारों को पूरी तरह से लागू करना होगा.
विद्युत क्षेत्र और कॉर्पोरेट प्रशासन सुधार
बिजली क्षेत्र में लगातार हो रहे नुकसान को कम करने के लिए, आईएमएफ ने पाकिस्तान के सामने कुछ शर्तें रखी हैं. दिसंबर 2025 तक HESCO और SEPCO में निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए शर्तों को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए. अगले संघीय बजट से पहले सात सबसे बड़ी संस्थाओं के साथ सार्वजनिक सेवा दायित्व (पीएसओ) समझौतों पर हस्ताक्षर करना होगा. नॉन लिस्टेड कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट प्रशासन और अनुपालन को आधुनिक बनाने के लिए कंपनी अधिनियम, 2017 में संशोधन पेश करना.
पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा रहीं ये 11 शर्तें
11 नई शर्तों को शामिल करने से संकेत मिलता है कि आईएमएफ पाकिस्तान की सुधार प्रगति को असमान और अपर्याप्त मानता है, जिससे भविष्य में पैसा देने से पहले अधिकारियों पर दबाव बढ़ रहा है. इस कारण यह 11 शर्तें पाकिस्तान पर रखी गई हैं.