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बजट की इन बारीकियों को जानकर हैरान रह जाएंगे आप, कई प्रमुख मंत्रालयों का आवंटन घटा

जानकारों का कहना है कि पिछड़ती हुई इकोनॉमी को पटरी पर लाने के लिए कुछ और उपायों की जरूरत थी. इकोनॉमी में सुधार के लिए राजकोषीय उपाय का अवसर भी गंवा दिया गया. हैरान करने वाली बात यह है कि कृष‍ि मंत्रालय सहित कई प्रमुख मंत्रालयों के आवंटन में कटौती कर दी गई है. 

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बजट की बारीकियां हैरान करती हैं
बजट की बारीकियां हैरान करती हैं
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बजट की बारीकियां हैरान करती हैं
  • कई प्रमुुुख मंत्रालयों का आवंटन घटा
  • किसान सम्मान निध‍ि के आवंटन पर कैंची

वित्त मंत्री निर्मला सीतारण द्वारा पेश वित्त वर्ष 2021-22 के बजट को ग्रोथ का बजट कहा जा रहा है, जिसमें बुनियादी ढांचा विकास पर खास जोर दिया गया है. लेकिन आर्थ‍िक मामलों के जानकार इस बजट की बारीकियों को देखकर हैरान हैं. कृष‍ि मंत्रालय सहित कई प्रमुख मंत्रालयों के आवंटन में कटौती कर दी गई है. 

जानकारों का कहना है कि पिछड़ती हुई इकोनॉमी को पटरी पर लाने के लिए कुछ और उपायों की जरूरत थी. इकोनॉमी में सुधार के लिए राजकोषीय उपाय का अवसर भी गंवा दिया गया. 

इस बजट से काफी उम्मीदें थीं. इकोनॉमी पिछले 2 साल से सुस्ती के दौर में थी. महामारी के पहले ही सालाना जीडीपी ग्रोथ रेट एक दशक के निचले स्तर 4 फीसदी पर आ गया था. हर तरफ परेशानी का दौर था, लोगों के वेतन  में कटौती हो गई, नौकरियां चली गईं, आर्थ‍िक गतिविधियां घट गईं, इससे असंगठित क्षेत्र के ज्यादातर कामगार प्रभावित हुए.

इसलिए इस बार के बजट से उम्मीद थी कि तेज सुधार का रास्ता तैयार होगा. राजकोषीय घाटा तो असल में संख्या ही है, ज्यादा यह बात मायने रखती है कि सरकार की खर्च प्राथमिकताएं क्या हैं? इंडियन एक्सप्रेस के एक आर्टिकल में आर्थिक मामलों के जानकार हिमांशु मिश्र लिखते हैं कि यह एक विजनलेस बजट है.

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उनके मुताबिक सरकार ने पिछले साल करीब 30 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज दिया था. सरकार ने फूड सब्सिडी में बढ़त की, जनधन खातों में ज्यादा पैसा भेजा और मनरेगा के लिए ज्यादा पैसा खर्च किया. लेकिन सरकार ने इसके लिए कोई संसाधन नहीं जुटाए और न ही इससे कोई राजकोषीय घाटा बढ़ा क्योंकि सरकार ने इसके लिए जरूरी खर्चों और बजट में कटौती कर दी जैसे कृष‍ि ( 18,000 करोड़ रुपये), श‍िक्षा (14,000 करोड़ रुपये) और सामाजिक कल्याण (14,000 करोड़ रुपये). सच तो यह है कि कई मिनी बजट के ऐलान के बाद भी जो वास्तविक खर्च बढ़ा है वह पहले सामान्य वर्षों में होने वाली बढ़त से भी कम है.

हेल्थ के मेगा बजट का सच 

सरकार ने हेल्थ के लिए भारी भरकम 2.23 लाख करोड़ रुपये के बजट का ऐलान कर खूब वाहवाही लूटी है, लेकिन इसका सच भी हैरान करने वाला है. 

हेल्थ बजट में असल में पेयजल,स्वच्छता और पोषण जैसी कल्याण की योजनाएं भी शामिल हैं. इसमें 35 हजार करोड़ रुपये का वैक्सीन का खर्च भी शामिल है. सच तो यह है कि स्वास्थ्य मंत्रालय को 74,602 करोड़ रुपये ही दिये गए हैं, जो कि मौजूदा साल के संशोधित अनुमान 82,445 करोड़ रुपये से काफी कम है. 

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कृष‍ि मंत्रालय का बजट घटाया गया 

यही नहीं, जब किसान आंदोलन देश में चरम पर है. हर तरफ किसानों की बात हो रही है, ऐसे में सरकार ने कृषि मंत्रालय के बजट में कटौती कर दी है. वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में  मौजूदा साल के मुकाबले कृष‍ि मंत्रालय के आवंटन में 11,000 करोड़ रुपये की कटौती की गई है. वर्ष 2021-22 के बजट में इस मंत्रालय के लिए  करीब 1.31 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जबकि मौजूदा साल यानी 2020-21 के बजट में करीब 1.42 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. 

पीएम किसान निधि का आवंटन घटा 

यही नहीं, पीएम किसान निध‍ि के आवंटन को भी घटाया गया है. 2021-22 के बजट में पीएम किसान निधि के लिए 65000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि 2020-21 के बजट में इसके लिए 75,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. 

इसी तरह ग्रामीण विकास मंत्रालय के बजट में मौजूदा साल के संशोधित अनुमान के मुकाबले 52 फीसदी यानी करीब 66,000 करोड़ रुपये की भारी कटौती की गई है. उदाहरण के लिए मनरेगा के लिए बजट सिर्फ 73,000 करोड़ रुपये का दिया गया है, जबकि मार्च में इसके तहत काम करने वालों की मजदूरी में 11 फीसदी की बढ़त का ऐलान किया गया है. 

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इसी तरह प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए 2021-22 के बजट में 4,500 करोड़ रुपये का ही आवंटन किया गया और इसमें 23 फीसदी की भारी गिरावट आई है. इसी तरह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के बजट में 18 फीसदी, श‍िक्षा मंत्रालय के बजट में करीब 6 फीसदी की कटौती की गई है. 

 

 

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