'अगर दबाव बढ़ा तो जनता के साथ मिलकर...', बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस की चेतावनी

पिछले नौ महीनों में बांग्लादेश, विशेषकर उसकी राजधानी ढाका, बड़े जनआंदोलनों और दर्जनों सड़कों पर प्रदर्शन का गवाह बना है. प्रमुख सलाहकार कार्यालय से जारी बयान में कहा गया, 'अगर कोई कार्रवाई सरकार की स्वायत्तता, सुधार प्रयासों, न्यायिक प्रक्रियाओं, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों या सामान्य प्रशासनिक कामकाज में बाधा डालती है और इसके कारण सरकार अपने सौंपे गए दायित्वों को पूरा करने में असमर्थ हो जाती है, तो सरकार जनता से परामर्श कर आवश्यक निर्णय लेगी.'

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस (File Photo) बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस (File Photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 मई 2025,
  • अपडेटेड 7:05 AM IST

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस और उनके साथियों ने शनिवार को साफ कहा कि अगर उन पर चुनाव कराने या किसी और मुद्दे पर बेवजह दबाव बनाया गया, तो वे जनता के साथ मिलकर जवाबी कार्रवाई करेंगे. यह बयान तब आया है जब सेना प्रमुख और BNP (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) ने दिसंबर तक चुनाव कराने की मांग की है.

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दरअसल, पिछले नौ महीनों में बांग्लादेश, विशेषकर उसकी राजधानी ढाका, बड़े जनआंदोलनों और दर्जनों सड़कों पर प्रदर्शन का गवाह बना है. प्रमुख सलाहकार कार्यालय से जारी बयान में कहा गया, 'अगर कोई कार्रवाई सरकार की स्वायत्तता, सुधार प्रयासों, न्यायिक प्रक्रियाओं, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों या सामान्य प्रशासनिक कामकाज में बाधा डालती है और इसके कारण सरकार अपने सौंपे गए दायित्वों को पूरा करने में असमर्थ हो जाती है, तो सरकार जनता से परामर्श कर आवश्यक निर्णय लेगी.'

यूनुस समर्थक संघर्ष के लिए तैयार

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूनुस समर्थक अंतरिम सरकार को बचाने के लिए सड़क से लेकर हर मोर्चे पर संघर्ष के लिए तैयार हैं. यह वही जनआंदोलन था जिसने 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना की सरकार को उखाड़ फेंका और उन्हें ढाका से भागने पर मजबूर किया. इसके बाद से अधिकतर मुद्दे संसद की बजाय सड़कों पर उठाए गए हैं और सरकार ने प्रदर्शनकारियों और इस्लामी भीड़ के दबाव में कई बार झुकाव दिखाया है.

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आवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने से लेकर शेख मुजीबुर रहमान के धानमंडी 32 निवास को जलाने और महिला अधिकार सुधारों का विरोध करने तक, बांग्लादेश में हाल के समय में जनशक्ति को प्रभावी रूप में देखा गया है.

यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार, छात्र-निर्मित नेशनल सिटिज़न्स पार्टी (NCP) और इस्लामी समूहों ने जनआंदोलन की ताकत को पहचान लिया है. यहां तक कि BNP भी अपनी ताकत दिखाने के लिए रैलियां कर रही है.

'विदेशी साजिशें और हारे हुए तत्व बाधा बन रहे हैं'

मुख्य सलाहकार कार्यालय की ओर से जारी एक और चेतावनी में कहा गया है कि अगर हारे हुए तत्वों या विदेशी साजिशों से प्रेरित बाधाएं सरकार के काम में रुकावट डालती हैं, तो वह जनता को सच्चाई बताएगी और उनके साथ मिलकर निर्णय लेगी.

यूनुस और जुलाई 2024 के जनआंदोलन के नेतृत्वकर्ताओं को जनता का अपार समर्थन मिला था क्योंकि लोगों को उम्मीद थी कि यह शेख हसीना के शासन से एक नई शुरुआत होगी — जहां भ्रष्टाचार और राजनीतिक विरोधियों का जबरन गायब होना आम बात थी. हालांकि, शुरुआती उत्साह अब ठंडा पड़ता दिख रहा है, क्योंकि देश की आर्थिक विकास दर गिर रही है और कानून-व्यवस्था की स्थिति भी बिगड़ रही है.

इस्तीफा नहीं देंगे यूनुस

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शनिवार को हुई एक अनौपचारिक सलाहकार परिषद की बैठक के बाद यूनुस के इस्तीफे की अटकलों के बीच साफ किया गया कि वह अंतरिम सरकार के प्रमुख बने रहेंगे. यह बयान उनके सहयोगियों, विशेषकर छात्र आंदोलन के नेता नाहिद इस्लाम द्वारा 22 मई को यह कहे जाने के बाद आया कि यूनुस इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं.

बांग्लादेश की राजनीतिक हलचल में यूनुस के संभावित इस्तीफे को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. यूनुस शनिवार को BNP और जमात-ए-इस्लामी के नेताओं से बातचीत करेंगे और रविवार को अन्य दलों से अपने सरकारी निवास ‘जमुना’ में मिलेंगे.

दिसंबर तक चुनाव कराने का दबाव

यूनुस के इस्तीफे की धमकी BNP के विरोध और सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज़-ज़माँ की उस चेतावनी के बाद आई, जिसमें उन्होंने कहा कि दिसंबर तक चुनाव कराना जरूरी है. यूनुस और उनके सलाहकार, जो कि निर्वाचित नहीं हैं, शेख हसीना के पलायन के बाद सरकार में आए थे — जब आरक्षण विरोधी आंदोलन व्यापक जनआक्रोश में बदल गया था.

पूर्व मंत्री और BNP नेता मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने चेतावनी दी कि आगामी चुनाव को टालने और नागरिकों को उनके मताधिकार से वंचित करने के लिए सुनियोजित साजिश चल रही है.

बांग्लादेशी नागरिकों को डर है कि उनके लोकतांत्रिक अधिकारों को फिर से छीन लिया जाएगा, जैसा कि 1971 में देश की स्वतंत्रता के बाद कई बार हुआ है. सबसे हालिया उदाहरण 2006 का है, जब एक सैन्य समर्थित कार्यवाहक सरकार सत्ता में आई थी.

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