मोदी सरकार के इस फैसले से दुनिया में गहराया संकट

भारत के गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध का असर दिखने लगा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतों में लगभग 6 प्रतिशत का उछाल देखा गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के इस प्रतिबंध की मार सबसे अधिक अफ्रीका और मध्य पूर्व के देशों पर पड़ेगी. इन देशों में खाद्य संकट और गहराता जाएगा.

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भारत सरकार के एक फैसले से अंतरराष्ट्रीय बाजार में और बढ़ी गेहूं की कीमतें (Photo- PTI) भारत सरकार के एक फैसले से अंतरराष्ट्रीय बाजार में और बढ़ी गेहूं की कीमतें (Photo- PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 मई 2022,
  • अपडेटेड 1:30 PM IST
  • वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमतों में भारी उछाल
  • भारत के गेहूं पर निर्यात प्रतिबंध का असर
  • अफ्रीका और मध्य पूर्व के देशों पर होगा असर

भारत ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमतों में बड़ा उछाल आया है. वैश्विक बाजार में गेहूं की आपूर्ति बाधित होने से खाद्य संकट गहराता जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में मिलने वाले एक बुशल (1 Bushel- 27.216 KG) गेहूं की कीमत शिकागो में 5.9 फीसदी तक बढ़कर 12.47 डॉलर हो गई है. भारत की तरफ से निर्यात प्रतिबंध के बाद वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमतों में लगभग 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.

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रूस और यूक्रेन वैश्विक बाजार में गेहूं के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक हैं. दोनों देश मिलकर दुनिया के गेहूं निर्यात जरूरत के एक तिहाई हिस्से की पूर्ति करते हैं. फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण इस वर्ष गेहूं की कीमतों में 60 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है.

भारत, चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है. पिछले साल खराब मौसम के कारण गेहूं के बड़े उत्पादक, जिनमें यूक्रेन भी शामिल था, वैश्विक बाजार में गेहूं की पर्याप्त आपूर्ति नहीं कर पाए थे. लेकिन भारत में गेहूं की अच्छी पैदावार हुई जिससे वैश्विक बाजार में आपूर्ति नहीं रुकी और कीमतों में बढ़ोतरी भी नहीं हुई.

लेकिन, इस साल भारत की घरेलू महंगाई 8 वर्षों के अपने उच्चतम स्तर पर है और देश में गेहूं की कीमतें बढ़ गई हैं. इसे देखते हुए सरकार ने गेहूं के निर्यात को रोक दिया है. भारत में पिछले दो महीनों में काफी गर्मी पड़ी है जिससे तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक चला गया है. इससे गेहूं की फसल को नुकसान हुआ है. गेहूं उत्पादक राज्यों में गर्म हवाओं ने फसल को कमजोर कर दिया है. भारत में मॉनसून के आने में भी हफ्तों लग सकते हैं.

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निर्यात पर प्रतिबंध को लेकर भारत सरकार का कहना है कि कुछ अपवादों को छोड़कर उसने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. जिन देशों के साथ गेहूं को लेकर डील हो गई है और जो कमजोर देश खाद्य सुरक्षा के लिए गेहूं की मांग करेंगे, उन्हें छोड़कर भारत अब किसी देश को गेहूं का निर्यात नहीं करेगा.

ऑस्ट्रेलियाई बैंक वेस्टपैक में बाजार रणनीति के वैश्विक प्रमुख रॉबर्ट रेनी भारत के गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध को लेकर कहते हैं, 'इस प्रतिबंध से विशेष रूप से विकासशील देशों के लोगों के लिए भोजन की कमी का जोखिम बढ़ जाएगा.'

कॉमनवेल्थ बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया में कृषि रणनीति के निदेशक टोबिन गोरे का कहना है कि गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध वैश्विक बाजारों के लिए एक बड़ा बदलाव होगा.

गोरे ने कहा, 'इस स्थिति से निपटने के लिए हमें भारतीय गेहूं की जगह किसी और जगह से गेहूं लेकर इस कमी को पूरा करना होगा. मुझे डर है कि ये प्रतिबंध वैश्विक बाजार में गेहूं को लेकर शुरू में हड़बड़ाहट पैदा करेगा. कमी का आकलन करने के लिए बाजार को कुछ समय लगेगा.'

गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध का भारत का ये फैसला अमेरिकी कृषि विभाग के एक पूर्वानुमान के कुछ ही दिनों बाद आया है. पूर्वानुमान में कहा गया था कि 2022-23 में चार साल में पहली बार वैश्विक गेहूं उत्पादन में गिरावट आएगी. संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम ने भी इस महीने कहा था कि यूक्रेन में युद्ध ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की नाजुकता को अचानक से उजागर कर दिया है और खाद्य सुरक्षा पर इसके गंभीर परिणाम होंगे.

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वेस्टपैक के रॉबर्ट रेनी ने कहा है कि भारतीय प्रतिबंध का असर अफ्रीका और मध्य पूर्व के विकासशील बाजारों पर सबसे ज्यादा असर पड़ने की संभावना है. उन्होंने कहा, 'यह मानवीय मुद्दे हैं जो हमारे सामने हैं. दुर्भाग्य से, हमने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया है. मुझे लगता है कि इस पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है.'  

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