Explainer: रूस और यूक्रेन के बीच क्या है विवाद, जिससे बढ़ गया है तीसरे विश्व युद्ध का खतरा

Russia-Ukraine Crisis: रूस और यूक्रेन के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है. इस विवाद से अब महाशक्तियों के बीच भी जंग छिड़ने का खतरा बढ़ गया है. अमेरिका और ब्रिटेन यूक्रेन का साथ दे रहे हैं. वहीं, रूस ने अंजाम भुगतने की चेतावनी दी है.

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रूस ने यूक्रेन सीमा पर टैंक और लाखों सैनिक तैनात कर दिए हैं. (फाइल फोटो-AP) रूस ने यूक्रेन सीमा पर टैंक और लाखों सैनिक तैनात कर दिए हैं. (फाइल फोटो-AP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 3:37 PM IST
  • यूक्रेन सीमा पर 1 लाख रूसी सैनिक तैनात
  • अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश यूक्रेन के साथ

Russia-Ukraine Crisis: रूस और यूक्रेन के बीच तनाव जारी है. दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूक्रेन सीमा पर रूस ने 1 लाख सैनिक तैनात कर रखे हैं. अमेरिका समेत कई देशों ने आशंका जताई है कि रूस यूक्रेन पर हमला कर सकता है.

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की आशंका इसलिए भी और बढ़ जाती है क्योंकि एक दिन पहले ही अमेरिका ने अपने नागरिकों को यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी है. इसके अलावा ऐसी भी खबरें हैं कि अमेरिका यूक्रेन स्थित कीव से अपने दूतावास खाली करवा रहा है.

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रूस और यूक्रेन के बीच पनपे इस तनाव ने महाशक्तियों के बीच जंग होने का खतरा भी बढ़ा दिया है. अमेरिका पहले ही संभावित युद्ध को लेकर रूस को चेतावनी दे चुका है. वहीं, ब्रिटेन और कनाडा ने भी यूक्रेन को सैन्य सहायता और युद्ध सामान मुहैया कराना शुरू कर दिया है. 

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दोनों देशों के बीच कैसे शुरू हुआ तनाव?

- यूक्रेन की सीमा पश्चिम में यूरोप और पूर्व में रूस के साथ लगती है. 1991 तक यूक्रेन सोवियत संघ का सदस्य था. रूस और यूक्रेन के बीच तनाव 2013 से शुरू हुआ. 

-  नवंबर 2013 में यूक्रेन की राजधानी कीव में तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का विरोध शुरू हो गया. यानुकोविच को रूस का समर्थन था, जबकि अमेरिका-ब्रिटेन प्रदर्शनकारियों का समर्थन कर रहे थे. फरवरी 2014 में यानुकोविच को देश छोड़कर भागना पड़ा.

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- इससे नाराज होकर रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया. साथ ही वहां के अलगाववादियों को समर्थन दिया. अलगाववादियों ने पूर्वी यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया. तब से ही रूस समर्थक अलगाववादियों और यूक्रेन की सेना के बीच लड़ाई चल रही है.

- क्रीमिया वही प्रायद्वीप है जिसे 1954 में सोवियत संघ के सर्वोच्च नेता निकिता ख्रुश्चेव ने यूक्रेन को तोहफे के तौर पर दिया था. 1991 में जब यूक्रेन सोवियत संघ से अलग हुआ तो कई बार क्रीमिया को लेकर दोनों के बीच तनातनी होती रही.

- दोनों देशों के बीच शांति कराने के लिए पश्चिमी देश आगे आए. 2015 में फ्रांस और जर्मनी ने बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में रूस-यूक्रेन के बीच शांति समझौता भी किया. इसमें संघर्ष विराम पर सहमति बनी.

क्रीमिया के रास्ते यूक्रेन सीमा पर हथियार और टैंक ले जाते रूसी सैनिक. (फाइल फोटो-AP)

तो फिर क्यों बढ़ रहा है तनाव

- रूस की वजह से यूक्रेन पश्चिमी देशों से अपने रिश्तों को बेहतर बनाने की कोशिश में जुटा है, जबकि रूस इसके खिलाफ है. सदस्य न होने के बावजूद यूक्रेन के NATO से अच्छे संबंध हैं. 1949 में सोवियत संघ का मुकाबला करने के लिए नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) की स्थापना हुई थी.

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- अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के 30 देश इस संगठन के सदस्य हैं. ट्रीटी के मुताबिक, अगर संगठन के किसी सदस्य देश पर तीसरा देश हमला करता है तो NATO के सभी सदस्य देश एकजुट होकर उसका मुकाबला करेंगे.

- रुस की मांग है कि NATO यूरोप में अपने विस्तार पर रोक लगाए. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने पिछले हफ्ते चेताते हुए कहा था कि अगर रूस के खिलाफ NATO यूक्रेन की जमीन का इस्तेमाल करता है तो अंजाम भुगतना होगा. 

- यूक्रेन NATO में शामिल होने की कोशिश कर रहा है. उधर रूस की चेतावनी पर NATO ने कहा है कि रूस को इस प्रक्रिया में दखल देने का अधिकार नहीं है.

- रूस को डर है कि अगर यूक्रेन NATO का हिस्सा बन गया और आगे युद्ध हुआ तो गठबंधन के देश उस पर हमला कर सकते हैं. ऐसे में तीसरे विश्व युद्ध का खतरा बढ़ गया है.

मौजूदा हालात क्या हैं?

रूसः पिछले साल अप्रैल में रूसी सैनिकों ने यूक्रेन सीमा के पास युद्धाभ्यास शुरू किया था. तनाव बढ़ा तो युद्धाभ्यास तो रोक दिया, लेकिन अब भी यूक्रेन सीमा पर 1 लाख जवान तैनात हैं. अमेरिकी इंटेलिजेंस के मुताबिक, रूस कभी भी यूक्रेन पर सैन्य हमला कर सकता है. 

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यूक्रेनः ब्रिटेन ने एंटी टैंक हथियार यूक्रेन भेजना शुरू कर दिए हैं. कनाडा ने भी स्पेशल फोर्स भेज दी है. अमेरिका की ओर से भी हथियारों की पहली खेप यूक्रेन भेजी गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने 90 टन की सैन्य सामग्री भेजी है जिसमें खतरनाक हथियार भी शामिल हैं.

 

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