'यूक्रेन के लिए इस साल रूसी सेना को खदेड़ना मुश्किल', अमेरिकी जनरल का बड़ा दावा

अमेरिका के शीर्ष जनरल मार्क मिले ने शुक्रवार को कहा, "एक सैन्य दृष्टिकोण से मैं अभी भी इस बात पर कायम हूं कि इस वर्ष यूक्रेनी सेना के लिए रूसी सैनिकों को रूसी कब्जे वाले इलाकों से बेदखल करना बहुत मुश्किल होगा."

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:15 PM IST

रूस और यूक्रेन के बीच करीब 1 साल से युद्ध जारी है. हजारों लोग अपनी जान गवां चुके हैं. यूक्रेन के कई शहर तबाह हो चुके हैं. उन पर रूसी सेना का कब्जा है. स्थिति को देखते हुए पश्चिमी देश भी खुलकर यूक्रेन के पक्ष में उतर आए हैं. फिर चाहे अमेरिका हो या ब्रिटेन, सभी यूक्रेन को हथियार सप्लाई कर रहे हैं. इस सबके बीच अमेरिका के जनरल मार्क मिले ने बड़ा दावा किया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि यूक्रेन के लिए इस साल रूसी सेना को अपने क्षेत्र से खदेड़ना बहुत मुश्किल है. 

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शुक्रवार को अमेरिका के शीर्ष जनरल मार्क मिले ने कहा, "एक सैन्य दृष्टिकोण से मैं अभी भी इस बात पर कायम हूं कि इस वर्ष यूक्रेनी सेना के लिए रूसी सैनिकों को रूसी कब्जे वाले इलाकों से बेदखल करना बहुत मुश्किल होगा."

बता दें कि कुछ दिन पहले ही अमेरिकी सेना प्रमुख मार्क मिले और यूक्रेन के मुख्य सैन्य अधिकारी जनरल वालेरी जैलुजनी के बीच बैठक हुई थी. एक अज्ञात स्थान पर यह बैठक घंटों तक चली थी. अमेरिकी सैन्य अधिकारी मिले के प्रवक्ता ने बताया था कि दोनों नेताओं ने महसूस किया कि व्यक्तिगत रूप से मिलना महत्वपूर्ण है. दोनों के बीच रक्षा सहयोग के बारे में विस्तार से बात हुई है. पहली बार यूक्रेनी सैन्य अधिकारी से मिलकर मुलाकात हुई है.

ब्रिटेन ने भी की थी टैंक भेजने की घोषणा

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ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने हाल ही में यूक्रेन को चैलेंजर 2 टैंक भेजने का ऐलान किया था. जिसके बाद रूसी दूतावास ने इसका विरोध किया था और कहा था कि इससे युद्ध को बढ़ावा मिलेगा. अपनी ट्विटर हैंडल पर ब्रिटेन स्थित रूसी दूतावास ने कहा कि 14 जनवरी को प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेंस्की के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद ब्रिटेन सरकार ने अपनी प्रेस-विज्ञप्ति में यूक्रेन को चैलेंजर 2 टैंक प्रदान करने की अपनी योजना की सैद्धांतिक रूप से पुष्टि की. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन कीव को सशस्त्र करने और संघर्ष को बढ़ाने के मामले में शीर्ष नाटो सदस्य राज्य के रूप में अपनी स्थिति की पुष्टि करने का इरादा रखता है. युद्ध में टैंकों को भेजना दुश्मनी खत्म करने से बहुत दूर है. ये केवल युद्ध को बढ़ाने का काम करेगा.

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