तुर्की में भीषण भूकंप ने 1000 से अधिक लोगों की जान ले ली है. इस मुश्किल घड़ी में भारत ने तुर्की को हर संभव मदद की पेशकश की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप में जान-माल के भारी नुकसान पर शोक व्यक्त किया है और कहा है कि भारत तुर्की के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है.
भूकंप को लेकर तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन के एक ट्वीट के जवाब में पीएम मोदी ने ट्वीट किया, 'तुर्की में भूकंप के कारण जान-माल के नुकसान से दुखी हूं. शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं. आशा करता हूं कि घायलों की सेहत में जल्द सुधार आए. भारत तुर्की के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है और इस त्रासदी से निपटने के लिए हर संभव मदद देने के लिए तैयार है.'
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी तुर्की में इस तबाही पर शोक जताया है. उन्होंने ट्वीट किया, 'तुर्की में आए भूकंप में जान-माल की क्षति से काफी दुखी हूं. तुर्की के विदेश मंत्री को अवगत करा दिया गया है कि इस कठिन समय में हमारी संवेदना और समर्थन तुर्की के साथ हैं.'
पीएम मोदी के आदेश पर भारत तुर्की को तुरंत मदद भेज रहा है. भारत ने NDRF की रेस्क्यू टीम, मेडिकल टीम और दवाईयां तुरंत तुर्की भेजने का ऐलान किया है.
प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि पीएम मोदी के निर्देश पर तुर्की को तत्काल मदद भेजने के लिए पीएम के मुख्य सचिव पीके मिश्रा ने अहम बैठक बुलाई. बैठक में फैसला लिया गया कि तुर्की को जल्द से जल्द राहत सामग्री भेजी जाएगी. NDRF की दो टीमें तुर्की रवाना होंगी जिसमें विशेष डॉग स्कॉड सहित 100 जवान शामिल होंगे. दक्ष डॉक्टरों और पेरामेडिक्स की एक मेडिकल टीम भी तुर्की रवाना होने के लिए तैयार है.
तुर्की और सीरिया में सोमवार की सुबह 7.8 तीव्रता का एक बड़ा भूकंप आया जिसमें अब तक 1300 लोगों की मौत की खबर सामने आई है. बताया जा रहा है कि इस प्राकृतिक हादसे में पांच हजार से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं. इस भूकंप में तीन हजार के करीब इमारतें गिर गईं और मलबे के भीतर हजारों लोग दब गए. तुर्की का ऐतिहासिक गजियांटेप कैसल भी इस भूकंप में ढह गया. 2,200 से अधिक साल पहले बना यह कैसल तुर्की के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता था.
भूकंप के तेज झटके साइप्रस, लेबनान, इजरायल के कुछ हिस्सों, फिलिस्तीन और मिस्र में भी महसूस किए गए. तुर्की के अधिकारियों ने भूकंप के बाद लेवल 4 अलार्म घोषित किया है जिसका अर्थ यह हुआ कि इस भीषण आपदा से निपटने के लिए तुर्की को अंतरराष्ट्रीय मदद की जरूरत है.
अमेरिका, रूस आदि देशों ने भी तुर्की की मदद की पेशकश की
भारत की तरह ही अमेरिका, रूस, जर्मनी आदि देशों ने भी तुर्की को मदद भेजने की बात कही है. अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने ट्वीट किया, 'तुर्की और सीरिया में आज के विनाशकारी भूकंप से बहुत चिंतित हूं. मैं तुर्की के अधिकारियों के संपर्क में हूं और उन्हें बताया गया है कि अमेरिका सभी आवश्यक मदद करने के लिए तैयार है. हम तुर्की के साथ मिलकर स्थिति पर बारीकी से निगरानी रखना जारी रखेंगे.'
रूस ने भी तुर्की के साथ एकजुटता दिखाते हुए कहा कि उसे उम्मीद है कि देश जल्द ही इस आपदा से उबर जाएगा. रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय की तरफ से कहा गया, 'रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने तुर्की के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है. रूस तुर्की को सभी जरूर मदद देने के लिए तैयार है.'
रूस के आपातकालीन स्थिति मंत्रालय ने घोषणा की कि भूकंप के बाद सहायता के लिए 100 सदस्यीय बचाव दल और दो IL-76 हवाई जहाज तुर्की जाने के लिए तैयार हैं जो प्रभावितों की मदद करेंगे.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भी ट्वीट कर विनाशकारी भूकंप पर गहरा शोक जताया है. उन्होंने लिखा, 'घायलों के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं. इस वक्त हम तुर्की के लोगों के साथ खड़े हैं और हर संभव मदद को तैयार हैं.'
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ट्वीट कर लिखा कि फ्रांस इस दुख की घड़ी में तुर्की के लोगों के साथ खड़ा है और हम तुर्की को हर संभव मदद भेज रहे हैं. उन्होंने अपने ट्वीट में आगे कहा, 'विनाशकारी भूकंप के बाद हमें तुर्की और सीरिया से डरा देने वाली तस्वीरें देखने को मिल रही हैं.'
इजरायल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने भी तुर्की को जल्द मदद भेजने की बात कही है. उन्होंने कहा, 'इस संकट की घड़ी में मेरी संवेदनाएं तुर्की के लोगों के साथ हैं. तुर्की सरकार के आग्रह पर मैंने सभी अधिकारियों को चिकित्सा, बचाव और जीवन रक्षक सहायता प्रदान करने के लिए तुरंत तैयार रहने का निर्देश दिया है.' नेतन्याहू ने कहा है कि रेस्क्यू टीमों को भेजने की घोषणा आने वाले घंटों में की जाएगी.
वहीं, यूरोपीय यूनियन ने भी तुर्की को बड़ी मदद भेजने की घोषणा की है. यूरोपीय यूनियन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने ट्विटर पर लिखा, 'आज सुबह आए विनाशकारी भूकंप के बाद हम तुर्की और सीरिया के लोगों के साथ पूरी एकजुटता से खड़े हैं.'
यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने भी तुर्की के लोगों के साथ अपनी संवेदना व्यक्त की. यूरोपीय यूनियन ने घोषणा की है कि खोज और बचाव दल को तुर्की भेजा जा रहा है. संकट प्रबंधन के लिए यूरोपीय आयुक्त जानेज लेनार्सिक ने ट्वीट कर जानकारी दी कि नीदरलैंड और रोमानिया की टीमें तुर्की के लिए रवाना हो चुकी हैं.
विपदा की इस घड़ी में दुश्मन देशों का भी मिला सहारा
तुर्की को आपदा की इस मुश्किल घड़ी में अपने पुराने दुश्मन देशों का साथ भी मिल रहा है. तुर्की और ग्रीस के बीच सीमा को लेकर सालों से विवाद चलता आ रहा है. दोनों पड़ोसी देशों के बीच सांस्कृतिक विवाद भी लंबे समय से चलता आ रहा है. इसके बावजूद ग्रीस ने इस वक्त तुर्की को मदद की पेशकश की है.
ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस ने ट्वीट कर अपनी संवेदना व्यक्त की और कहा कि ग्रीस तुर्की को मदद देने के लिए तैयार है.
नाटो, इस्लामिक सहयोग संगठन ने भी तुर्की के लोगों के प्रति संवेदना जताते हुए मदद की पेशकश की है.
पहले भी आपदा प्रभावित देशों की मदद करता आया है भारत
भारत इससे पहले भी कई मौकों पर प्राकृतिक आपदा प्रभावित देशों की मदद करता आया है. साल 2015 में नेपाल में विनाशकरी भूकंप आया था जिसने कम से कम1800 लोगों की जान ले ली. इस आपदा में भारत ने नेपाल की काफी मदद की थी. भारतीय सेना ने नेपाल में अपने राहत और बचाव अभियान को 'ऑपरेशन मैत्री' का नाम दिया था. भारत ने भारी मात्रा में राहत और बचाव सामग्री नेपाल को भेजी थी. भारत ने अपने आठ एम-17 हेलिकॉप्टर नेपाल भेजे थे जिन्होंने बचाव कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भारतीय वायुसेना का विमान सी-17 भी राहत काम में लगा था.
जनवरी 2010 में हैती में आए विनाशकारी भूकंप ने पूरे देश को तबाह कर दिया था. 7.0 की तीव्रता वाले भूकंप ने हैती को भारी नुकसान पहुंचाया था. इस भूकंप में राष्ट्रपति भवन समेत कई सरकारी भवन गिर गए थे. भूकंप में एक लाख से अधिक लोग मारे गए और तीस लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे. भारत ने प्रभावित देश की मदद के लिए पचास लाख डॉलर दिया था. हैती को भारत ने हर तरह से मदद की थी और देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को दोबारा खड़ा करने में बड़ी भूमिका निभाई थी.
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