अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ ने दुनियाभर में हड़कंप मचा दिया है. टैरिफ से मची उथल-पुथल के बीच अमेरिका के 50 राज्यों में बड़े पैमाने पर ट्रंप के विरोध में प्रोटेस्ट हो रहे हैं. लाखों लोग सड़कों पर उतर आए हैं और 'ट्रंप-मस्क गो बैक' के नारे लगा रहे हैं.
डोनाल्ड ट्रंप की मनमानी पर अमेरिकी भड़के हुए हैं. देश के 50 राज्यों में 150 से ज्यादा समूह ट्रंप के विरोध में प्रोटेस्ट कर रहे हैं. ये प्रोटेस्ट टैरिफ, छंटनी, अर्थव्यवस्था और मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर किया जा रहा है. प्रोटेस्ट करने वाले समूहों में सिविल राइट्स ग्रुप, श्रमिक संघ, एलजीबीटीक्यू और महिला अधिकारों से जुड़े ग्रुप शामिल हैं. ट्रंप के फैसलों से नाराज लाखों लोगों ने कैलिफोर्निया की सड़कों पर उतरकर ट्रंप पर देश को तबाह करने का आरोप लगाया है.
Hands Off प्रोटेस्ट का आयोजन कई समूहों ने मिलकर किया, जिनमें Indivisible, MoveOn और Women’s March से लेकर कई संगठन शामिल हैं. ट्रंप के विरोध में रविवार को देशभर में 1400 से ज्यादा रैलियां निकाली गईं. इन प्रोटेस्ट में शामिल होने के लिए तकरीबन छह लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया था. इस प्रोटेस्ट को Hands On का नाम दिया गया, जिसका मतलब होता है- हमारे अधिकारों से दूर रहो. इससे प्रदर्शनकारियों ने यह जताने की कोशिश की कि उनके अधिकारों पर किसी का नियंत्रण नहीं होना चाहिए.
राजधानी वॉशिगंटन से लेकर नेवादा तक ट्रंप पर बरसी जनता
ट्रंप के विरोध में देशभर की सड़कों पर उतरे लोगों ने न्यूयॉर्क में स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के अवतार में मुंह पर सांकेतिक पट्टी बांधकर प्रोटेस्ट किया. यूटा स्टेट कैपिटल हिल के बाहर भी प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने प्रोटेस्ट किया. वाशिंगटन मॉन्यूमेंट के पास प्रदर्शनकारियों ने इकट्ठा होकर अपना गुस्सा जाहिर किाय तो मैनहट्टन की सड़कें भीड़ से लबालब रहीं. प्रदर्शनकारी टैरिफ के साथ-साथ सरकारी नौकरियों में कटौती और सार्वजनिक सेवाओं की फंडिंग में कटौती से नाराज हैं.
अमेरिका के विभिन्न हिस्सों जैसे मिडटाउन मैनहट्टन से लेकर एंकोरेज, अलास्का तक प्रदर्शनकारियों ने ट्रंप और टेस्ला के सीईओ इलॉन मस्क की नीतियों का विरोध किया. उनका कहना था कि इन दोनों की नीतियां अमेरिकी लोकतंत्र और समाज के लिए खतरा बन गई हैं.
इस प्रोटेस्ट को 2017 के महिला मार्च और 2020 के ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन के बाद से ट्रंप के खिलाफ सबसे बड़े प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि ट्रंप का शासन देश को एक खतरनाक दिशा में ले जा रहा है, खासकर आर्थिक, श्रमिक, आव्रजन और मानवाधिकारों के मुद्दों पर उनकी नीतियों के कारण.
क्या है लोगों की चिंता?
रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप के टैरिफ से अमेरिका में इलेक्ट्रॉनिक्स सामान लगभग 100 फीसदी महंगा होने का अनुमान है. माना जा रहा है कि अमेरिका में विदेशी कंपनियों के सामान महंगे होंगे, जिसका सीधा असर अमेरिकी मिडिल क्लास पर पड़ेगा. उनका बजट पूरी तरह से बिगड़ने का अंदेशसा है. खाने-पीने के सामान से लेकर दवाइयां, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े, दातु, प्लास्टिक का सामान और गाड़ियां सब महंगी होंगी.
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