तारिक रहमान और 'हवा भवन' का काला अतीत... भारत विरोधी छवि से बाहर निकल पाएंगे Dark Prince?

तारिक रहमान बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे हैं. वे 2008 से लंदन में रह रहे थे और वहीं से BNP का नेतृत्व कर रहे थे. शेख हसीना शासनकाल में उन पर कई मामलों में सजा सुनाई गई थी, जिन्हें BNP राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताता रहा है.

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तारिक रहमान के हवान भवन की हिस्ट्री क्या है (Photo: PTI) तारिक रहमान के हवान भवन की हिस्ट्री क्या है (Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:06 PM IST

बांग्लादेश की राजधानी ढाका के पॉश इलाके बनानी में आज 'The Azure' नाम से एक आलीशान बहुमंजिला इमारत खड़ी है. कांच और स्टील से बनी यह इमारत दूर से दिखती है. लेकिन करीब दो दशक पहले इसी जमीन पर खड़ा था हवा भवन. यह हवा भवन किसी जमाने में आधुनिकता का प्रतीक नहीं था बल्कि बाहुबल और आतंक का अड्डा था. 

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यह हवा भवन बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के अध्यक्ष और ‘डार्क प्रिंस’ कहलाने वाले तारिक रहमान का विवादित पॉलिटिकल ऑफिस था. 2001 से 2006 के बीच बीएनपी के शासनकाल में हवा भवन बांग्लादेश में एक वैकल्पिक सत्ता केंद्र था. यह हवा भवन बांग्लादेश के राष्ट्रपति भवन (गणभवन) से महज छह किलोमीटर की दूरी पर था. गणभवन से तत्कालीन प्रधानमंत्री खालिदा जिया सरकार चलाती थीं तो हवा भवन से तारिक रहमान सत्ता की कमान संभालते थे. उस समय बड़े पैमाने पर आरोप लगे कि बांग्लादेश की सरकार हवा भवन से तारिक रहमान ही चला रहे थे.

इसे उस समय के राजनयिकों, खुफिया अधिकारियों, पत्रकारों और यहां तक कि बीएनपी के नेताओं ने भी स्वीकार किया कि सरकार के असल फैसले गणभवन से नहीं बल्कि हवा भवन से होते थे. 2004 के ढाका ग्रेनेड हमले की साजिश भी यहां रची गई, जिसका मकसद तत्कालीन अवामी लीग प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की हत्या था.

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रिपोर्टों के मुताबिक, हवा भवन से ही बांग्लादेश की सरकार चलती थी. सभी बड़ी प्लानिंग और योजाएं इसी भवन से ही चलती थी. 2004 की शुरुआत में, खुफिया एजेंसियों और सरकारी अधिकारियों की सक्रिय मदद से चटगांव बंदरगाह के जरिए हथियारों की एक पूरी खेप भारत के अलगाववादी संगठन ULFA के लिए मंगाई गई. यहां फाइलें प्रधानमंत्री कार्यालय से भी तेज चलती थीं. व्यवसायी कतार में खड़े रहते थे. राजनीतिक विरोधियों को मैनेज किया जाता था. राज्य संस्थाओं को मोड़ा जाता था. करीब 17 साल बाद, पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया और पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान के बेटे तारिक रहमान गुरुवार को बांग्लादेश लौटे.

बता दें कि 60 साल के तारिक रहमान लंदन से ही बीएनपी के कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. उनकी मां खालिदा जिया 23 नवंबर से अस्पताल में भर्ती हैं. 

‘डार्क प्रिंस’ तारिक रहमान का हवा भवन आज मौजूद नहीं है. लेकिन बेलगाम सत्ता, भ्रष्टाचार और हिंसा की उसकी छाया अब भी जिंदा है. तारिक रहमान की राजनीति का यह दूसरा अध्याय प्रायश्चित होगा या पुनरावृत्ति, यही सवाल विशेषज्ञों को मथ रहा है.

लेकिन ‘डार्क प्रिंस’ नाम कहां से आया?

यह उपनाम न तो बांग्लादेशी मीडिया ने गढ़ा और न ही अवामी लीग ने. यह नाम अमेरिका ने दिया. दिसंबर 2005 में ढाका स्थित अमेरिकी दूतावास की कार्यवाहक राजदूत जूडिथ ए. चमास ने तारिक रहमान को “डार्क प्रिंस” कहा. उन्होंने लिखा कि तारिक के पास “ज़िया नाम, राजनीतिक चालाकी और हवा भवन के जरिए व्यापारियों से वसूले गए टोल से जमा की गई अकूत नकदी थी.

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पूर्व अमेरिकी राजदूत जेम्स एफ. मोरियार्टी ने तो उन्हें बांग्लादेश में लूटतंत्र और हिंसक राजनीति का प्रतीक बताया. विकीलीक्स (2011) के मुताबिक, उन्होंने आरोप लगाया कि तारिक सरकारी ठेकों, नियुक्तियों और कानूनी राहत के बदले खुलेआम रिश्वत मांगते थे और अमेरिका में उनके प्रवेश पर रोक की सिफारिश की. इन्हीं सार्वजनिक हुए केबल्स ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हवा भवन युग की छवि गढ़ी.

2005 में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने लगातार पांचवें साल बांग्लादेश को दुनिया का सबसे भ्रष्ट देश घोषित किया. विश्व बैंक ने भ्रष्टाचार का हवाला देते हुए तीन बड़ी विकास परियोजनाओं की फंडिंग रद्द कर दी. अमेरिकी दूतावास के अनुसार, तारिक रहमान ने सैकड़ों मिलियन डॉलर की अवैध संपत्ति जबरन वसूली, रिश्वत और कमीशन से जमा की.

सीमेंस पर आरोप है कि उसने सभी सौदों पर 2 फीसदी कमीशन तारिक और उनके भाई आराफात रहमान कोको को दिया. चीनी कंपनी हार्बिन ने 80 मेगावाट पावर प्रोजेक्ट के लिए 7.5 लाख डॉलर दिए. मोनेम कंस्ट्रक्शन ने 4.5 लाख डॉलर चुकाए. एक उद्योगपति के बेटे के हत्या मामले में दखल के लिए 2.1 करोड़ टका लेने का आरोप भी लगा. ज़िया ऑर्फ़नेज ट्रस्ट के पैसे जमीन खरीद और चुनाव प्रचार में इस्तेमाल होने के आरोप लगे.

तत्कालीन PMO के प्रधान सचिव कमाल उद्दीन सिद्दीक़ी ने तारिक को विंड टनल कहा था. उन्होंने खालिदा ज़िया द्वारा अपने भ्रष्ट बेटे को संरक्षण देना उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक विफलता बताया. 2006 तक मंत्रिमंडल 60 मंत्रियों तक बढ़ा. अमेरिकी राजदूत पैट्रिशिया ब्यूटेनिस ने इसे तारिक के एहसानमंदों का गिरोह कहा.

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अमेरिकी और बांग्लादेशी अधिकारियों के अनुसार, इस दौरान आतंकी संगठनों को राजनीतिक संरक्षण मिला. PMO सचिव सिद्दीकी ने बताया कि तारिक के JMB और JMJB से संबंध थे और हवा भवन से आए फोन कॉल पर आतंकियों को छोड़ा गया.

क्या तारिक ग्रेनेड हमले से जुड़े थे?

हरकत-उल-जिहाद-अल इस्लामी बांग्लादेश (HuJI-B) प्रमुख मुफ्ती अब्दुल हन्नान ने अदालत में कहा कि हवा भवन में हुई बैठक में तारिक ने 2004 ग्रेनेड हमले के लिए पूरा सहयोग देने का निर्देश दिया. 21 अगस्त 2004 को शेख हसीना को निशाना बनाकर हमला हुआ. इस दौरान अवामी लीग के 24 कार्यकर्ताओं की मौत हुई.

शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय के मुताबिक, 14 अगस्त को हवा भवन में हुई बैठक में तारिक ने हत्या का आदेश दिया. इसके बाद सबूत मिटाने, हमलावरों को भगाने और घायलों को मदद न देने के आरोप लगे. बाद की जांच ने हवा भवन को साजिश का केंद्र बताया. BNP-जमात शासन में हिंदुओं, अहमदियों, पत्रकारों, महिलाओं और आदिवासियों पर व्यापक हमले हुए.

2001 चुनावों के बाद 18,000 से ज्यादा हिंसक घटनाओं में BNP-जमात नेताओं की भूमिका पाई गई.  2009 में शेख हसीना के सत्ता में आने के बाद हवा भवन को ध्वस्त कर दिया गया. तारिक रहमान के खिलाफ कुल 84 मामले दर्ज किए गए. 2008 में लंदन रवाना होने से पहले उन्हें गिरफ्तार किया गया था और पैरोल की शर्तों के तहत राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगा दी गई थी. BNP का दावा रहा है कि ये सभी मामले राजनीतिक प्रतिशोध के तहत गढ़े गए झूठे आरोप थे.

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शेख हसीना के शासनकाल में तारिक रहमान को भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और ग्रेनेड हमले से जुड़े कई मामलों में सजा सुनाई गई. लेकिन 2024 में शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश की अदालतों ने सभी सजाएं रद्द कर दीं और तारिक रहमान को बरी कर दिया, जिससे उनकी राजनीतिक वापसी का रास्ता खुल गया. इन तमाम वर्षों के दौरान तारिक रहमान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए BNP के नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते रहे.

गुरुवार को तारिक रहमान एक ऐसे बांग्लादेश लौटे, जो राजनीतिक रूप से बेहद अस्थिर है. फरवरी में होने वाले चुनावों से कुछ ही हफ्ते पहले उनकी वापसी हुई है, जिनमें BNP को अग्रणी दावेदार के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि यह राह आसान नहीं है. जमात-ए-इस्लामी और मोहम्मद यूनुस समर्थित नेशनल सिटिजंस पार्टी तेजी से उभर रही हैं, जबकि इस्लामवादी समूहों को राज्य की ओर से खुले समर्थन भले न सही, पर मौन संरक्षण मिलता दिखाई दे रहा है.

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