तालिबान ने अफगानिस्तान में पोलियो टीकाकरण अभियान पर रोक लगा दी है. संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि अफगानिस्तान में सितंबर से पोलिया वैक्सीनेशन कैम्पेन शुरू होने वाला था, लेकिन उससे पहले ही तालिबान ने इसे निलंबित करने का फैसला लिया है और उसकी ओर से इस बारे में आधिकारिक सूचना भी यूएन को पहुंचा दी गई है. तालिबान ने ऐसा करने के पीछे कोई कारण नहीं बताया है.
पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी पोलियो वैक्सीनेशन करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों पर नियमित रूप से हमले की खबरें आती रहती हैं. आतंकवादी वैक्सीनेशन टीमों और उनकी सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों को निशाना बनाते हैं. कट्टरपंथी झूठा प्रचार करते हैं कि पोलियो वैक्सीनेशन ड्राइव बच्चों की नसबंदी करने की साजिश है, जिसे पश्चिमी देश बढ़ावा देते हैं. भ्रांति फैलाई जाती है कि इससे बच्चे नपुंसक हो जाएंगे या उनके शरीर में विकार आ जाएंगे.
अफगानिस्तान और पाकिस्तान में ही बचे हैं पोलियो के मामले
अफगानिस्तान दुनिया के उन दो देशों में से एक है जहां पोलियो (बच्चों को लकवाग्रस्त करने वाली बीमारी) का प्रसार पूरी तरह से रुक नहीं पाया है. दूसरा देश पाकिस्तान है. नाइजीरिया को साल 2020 में पोलियो मुक्त घोषित किया जा चुका है. भारत में भी इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए दशकों तक टीकाकरण अभियान चला. भारत में पोलिया टीकाकरण अभियान की शुरुआत 1972 में हुई थी और करीब चार दशक बाद, 27 मार्च 2014 को देश को पोलियो मुक्त घोषित किया गया था. डब्ल्यूएचओ ने इस साल अफगानिस्तान में पोलियो के 18 मामलों की पुष्टि की थी. 2023 में यह आंकड़ा सिर्फ 6 था.
डब्ल्यूएचओ ने यह भी बताया कि पोलियो वैक्सीनेशन कैम्पेन में महिलाओं की भागीदारी 20 प्रतिशत के करीब ही है, इसलिए अधिकतर बच्चों तक टीकाकरण की पहुंच सुनिश्चित नहीं हो पाती है. खासकर कंधार जैसे क्षेत्रों में. डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि अफगानिस्तान में पोलियो टीकाकरण पर रोक की वजह से पाकिस्तान में भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ने की बहुत ज्यादा संभावना है. क्योंकि अफगानिस्तान से बहुत लोग पाकिस्तान में आते जाते रहते हैं. अफगानिस्तान में पोलियो टीकाकरण अभियान को निलंबित करने से वैश्विक स्तर पर इस बीमारी के उन्मूलन के प्रयासों को बड़ा झटका लग सकता है.
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