शेख हसीना के खिलाफ इंटरपोल की मदद लेगा बांग्लादेश, यूनुस सरकार का फैसला

बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज़्जमान खान को मौत की सजा सुनाने के बाद अब प्रॉसिक्यूशन इंटरपोल की मदद से उन्हें भारत से वापस लाने की तैयारी कर रहा है. प्रॉसिक्यूशन जल्द ही बांग्लादेश विदेश मंत्रालय के जरिए इंटरपोल नोटिस के लिए अपडेटेड अनुरोध भेजेगा.

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शेख हसीना को बांग्लादेश ICT ने मौत की सजा सुनाई है. (File Photo) शेख हसीना को बांग्लादेश ICT ने मौत की सजा सुनाई है. (File Photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 18 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:16 PM IST

बांग्लादेश में राजनीतिक हलचल एक नई दिशा ले चुकी है. इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) की ओर से अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज़्ज़मान खान को मौत की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद अब उन्हें देश वापस लाने की प्रक्रिया तेज हो गई है.

प्रॉसिक्यूटर गाजी मुनावर हुसैन तमीम ने आज बताया कि प्रॉसिक्यूशन इंटरपोल की सहायता लेने के लिए अपनी पुरानी अर्जी अपडेट कर रहा है. जल्द ही विदेश मंत्रालय के माध्यम से एक नया अनुरोध भेजा जाएगा, जिसके आधार पर इंटरपोल नोटिस जारी किए जा सकेंगे. उन्होंने कहा, "इस प्रक्रिया पर काम शुरू हो चुका है."

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ट्रिब्यूनल-1 ने शेख हसीना और असदुज्जमान को पिछले साल जुलाई में हुए जनविद्रोह के दौरान कथित मानवता-विरोधी अपराधों के लिए दोषी करार दिया है. दोनों नेताओं को गैरहाजिर रहने पर मौत की सजा सुनाई गई, जबकि उस वक्त देश के पुलिस प्रमुख रहे चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को पांच साल की सजा दी गई. उन्होंने अदालत में बतौर 'अप्रूवर' गवाही देते हुए घटनाओं का विस्तृत वर्णन किया था.

तमीम ने बताया कि ट्रिब्यूनल ने आदेश दिया है कि फैसले की प्रमाणित प्रतियां प्रॉसिक्यूशन को और उन आरोपियों को दी जाएंगी जो फैसले के दौरान मौजूद थे.

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वहीं, जो दोषी फरार हैं, वे अगर 30 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करते हैं या गिरफ्तार होते हैं, तो उन्हें भी फैसले की प्रमाणित प्रति मिलेगी. एक अन्य प्रति ढाका के जिला मजिस्ट्रेट को भी भेजी जाएगी, ताकि फैसले के अनुपालन की प्रक्रिया शुरू हो सके.

बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि शेख हसीना और असदुज्जमान वर्तमान में भारत में होने की खबर है. ऐसे में इंटरपोल नोटिस जारी होना बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा मोड़ ला सकता है, क्योंकि इससे उन्हें विधिक प्रक्रिया के तहत वापस लाने का रास्ता खुल सकता है.

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