बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने देश के सभी प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन मीडिया संस्थानों को चेतावनी दी है कि वो शेख हसीना के किसी भी बयान को प्रकाशित करने या ब्रॉडकास्ट करने से बचें. यह वॉर्निंग ऐसे वक्त में आई है जब पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाए जाने से बांग्लादेश में बवाल मचा हुआ है.
बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने मानवता के खिलाफ कथित अपराधों के लिए शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई.
सोमवार को शेख हसीना के समर्थक और उनके विरोधी गुटों में झड़प की खबरें सामने आईं. बीती रात ढाका में माहौल तनावपूर्ण बना रहा. बताया जा रहा है कि सोमवार की हिंसा में कम से कम दो लोग मारे गए हैं और दर्जनों घायल हैं.
बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने मानवता के खिलाफ कथित अपराधों के लिए शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई.
देश में फिर फैली हिंसा को देखते हुए मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने अब आदेश दिए हैं कि शेख हसीना के किसी बयान को न छापा जाए क्योंकि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को खतरा हो सकता है.
सोमवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में नेशनल साइबर सिक्योरिटी एजेंसी (NCSA) ने दावा किया कि हसीना के बयानों में ऐसे निर्देश या अपील हो सकती हैं जो 'हिंसा, अव्यवस्था और आपराधिक गतिविधियों' को उकसा सकती हैं और सामाजिक सामंजस्य बिगाड़ सकती हैं.
बांग्लादेश के अखबार 'द डेली स्टार' के मुताबिक, विज्ञप्ति में कहा गया, 'हम मीडिया से अपील करते हैं कि वो राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में जिम्मेदारी से काम करें. एजेंसी इस बात को लेकर फिक्रमंद है कि कुछ मीडिया संस्थान दोषी और फरार हसीना से जुड़े बयान ब्रॉडकास्ट या प्रकाशित कर रहे हैं.'
NCSA ने कहा कि जिन व्यक्तियों को अदालत ने दोषी ठहराया हो और जो फरार हों, उनके बयानों को ब्रॉडकास्ट करना या प्रकाशित करना साइबर सिक्योरिटी ऑर्डिनेंस के प्रावधानों का उल्लंघन है. एजेंसी ने चेतावनी दी कि प्रशासन 'ऐसे किसी भी कंटेंट को हटाने या ब्लॉक करने के लिए अधिकृत है जो राष्ट्रीय अखंडता, सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था को खतरे में डालती हो, या जातीय/धार्मिक घृणा फैलाती हो, या हिंसा को सीधे तौर पर उकसाती हो.'
एजेंसी ने यह भी कहा कि किसी नकली आइडेंटिटी का इस्तेमाल कर या सिस्टम में अवैध रूप से घुसकर नफरत फैलाने, जातीय भड़काऊ संदेश देने या हिंसा के लिए उकसाने की कोशिश करना दंडनीय अपराध है, जिसमें अधिकतम दो साल की जेल और/या अधिकतम 10 लाख टका तक का जुर्माना हो सकता है.
78 साल की शेख हसीना को बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने पिछले साल छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसा और मौतों के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई है. यह सजा उनकी अनुपस्थिति में सुनाई गई है. मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल को भी मौत की सजा दी गई.
हसीना छात्र आंदोलन के दौरान हो रही हिंसा के बीच 5 अगस्त को बांग्लादेश छोड़ भारत आ गई थीं. अदालत पहले ही उन्हें फरार घोषित कर चुकी है.
बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने शेख हसीना को फांसी दिए जाने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह निर्णय एक बुनियादी सिद्धांत को मजबूत करता है- 'कानून से ऊपर कोई नहीं है, चाहे वो कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो.'
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए शेख हसीना ने इन आरोपों को 'पक्षपाती और राजनीतिक रूप से प्रेरित' बताया है. उन्होंने कहा कि यह फैसला एक 'फर्जी ट्रिब्यूनल' ने सुनाया है जिसे एक ऐसी सरकार चला रही है जिसे जनता ने नहीं चुना है.
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