Salman Rushdie: लेखक सलमान रुश्दी पर जानलेवा अटैक के बाद क्यों होने लगी ईरान की चर्चा?

Salman Rushdie attack Iran: सलमान रुश्दी पर अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में एक कार्यक्रम के दौरान मंच पर हमला हुआ तो ईरान भी सुर्खियों में आ गया. सलमान रुश्दी पर हुए जानलेवा हमले के बाद ईरान ऐसे ही सुर्खियों में नहीं आ गया. इसके तार उस धमकी और फतवे से जुड़े हैं जब सलमान रुश्दी का विवादित उपन्यास 'द सैटेनिक वर्सेज' प्रकाशित हुआ था...

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सलमान रुश्दी (फाइल फोटो) सलमान रुश्दी (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 9:50 PM IST

दुनिया के मशहूर लेखक सलमान रुश्दी पर अमेरिका में एक शख्स ने हमला कर दिया. न्यूयॉर्क में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे सलमान रुश्दी पर 24 साल के युवा ने चाकू से कई बार वार किया जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए. हाथ की नसें फट गई हैं तो वहीं लीवर को भी नुकसान पहुंचा है. सर्जरी किए जाने पर सलमान रुश्दी की एक आंख जाने का खतरा भी उत्पन्न हो गया है. न्यूयॉर्क पुलिस ने बयान जारी कर हमलावर को गिरफ्तार कर लिए जाने की जानकारी दी है. वहीं, सलमान रुश्दी पर हुए इस जानलेवा हमले के बाद ईरान की भी चर्चा होने लगी है.

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सलमान रुश्दी पर हुए जानलेवा हमले के बाद ईरान की चर्चा ऐसे ही नहीं हो रही. 75 साल के सलमान रुश्दी को उनके उपन्यास मिडनाइट्स चिल्ड्रन के लिए बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. बुकर पुरस्कार जीतने के बाद सलमान रुश्दी का एक और उपन्यास आया जिसका नाम था 'द सैटेनिक वर्सेज' (The Satanic Verses).

साल 1988 में प्रकाशित इस पुस्तक को लेकर विवाद खड़ा हो गया. ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह खुमैनी ने इसे इस्लाम धर्म का अपमान बताया और सलमान रुश्दी के खिलाफ फतवा जारी कर दिया.

रुश्दी पर रखा था 3 मिलियन डॉलर का इनाम

अयातुल्लाह खुमैनी ने सलमान रुश्दी को जान से मारने वाले के लिए इनाम का भी ऐलान कर दिया था. सलमान रुश्दी को मारने वाले के लिए तीन मिलियन अमेरिकी डॉलर के इनाम का ऐलान किया गया था. अयातुल्लाह खुमैनी के फतवे का असर 13 देशों में साफ देखने को मिल रहा था. सलमान रुश्दी को मौत की धमकियों का सामना करना पड़ा.

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साल 1989 में आए इस फतवे के बाद सलमान रुश्दी को नौ साल तक छिपकर रहना पड़ा. बाद में ईरान की ओर से ये कहा गया कि वह सलमान रुश्दी को मारने का समर्थन नहीं करता. हालांकि, साल 2012 में ईरान के एक संगठन ने सलमान रुश्दी को मारने वाले के लिए इनामी राशि 3 मिलियन डॉलर से बढ़ाकर 3.3 मिलियन डॉलर करने का ऐलान कर दिया.

क्यों विवादों में रहा उपन्यास?

सलमान रुश्दी के चौथे उपन्यास 'द सैटेनिक वर्सेज' की खरीद और बिक्री पर भारत समेत कई देशों में बैन है. सलमान रुश्दी के इस उपन्यास में पैगंबर मोहम्मद का अपमान किए जाने का आरोप लगाते हुए बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए थे. कई देशों में विरोध-प्रदर्शन हुए और इस उपन्यास की प्रतियां फूंकी गई थीं. भारत में तब राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार थी. राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने इस उपन्यास की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था.

कहा तो ये भी जाता है कि अपने इस उपन्यास में सलमान रुश्दी ने मुस्लिम धर्म की एक परंपरा को लेकर लिखा है जिसकी वजह से पूरा विवाद हुआ. ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह खुमैनी ने सलमान रुश्दी के खिलाफ फतवा जारी किया तो इसके बाद इस उपन्यास का दूसरी भाषाओं में अनुवाद करने वाले भी निशाना बनाए गए. सलमान रुश्दी के इस उपन्यास का जापानी भाषा में अनुवाद करने वाले हितोशी इगाराशी की हत्या हुई तो इटैलियन में अनुवाद करने वाले पर भी जानलेवा हमला हुआ. इस पुस्तक के प्रकाशक को निशाना बनाकर भी हमले किए गए थे.

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अब जबकि सलमान रुश्दी पर एक कार्यक्रम के दौरान जानलेवा अटैक किया गया है तो लोग फिर से ईरान की उस धमकी को याद कर रहे हैं. हालांकि, हमले करने वाला 24 साल का युवा अमेरिका के न्यूजर्सी का ही रहने वाला है. पुलिस के साथ एफबीआई भी मामले की जांच में जुट गई है और अभी तक हमले के मोटिव का पता नहीं चल सका है.

न्यूयॉर्क के गवर्नर ने व्यक्त की संवेदना

सलमान रुश्दी पर हुए हमले के बाद न्यूयॉर्क के गवर्नर ने बयान जारी कर उनके और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है. ब्रिटेन ने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ट्वीट कर सलमान रुश्दी के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की है. ब्रिटेन में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार भारतीय मूल के ऋषि सुनक ने सलमान रुश्दी को फ्री स्पीच और आर्टिस्टिक फ्रीडम का चैंपियन बताते हुए हमले पर हैरानी जताई है.

पेन अमेरिका की सीईओ नोजल ने कहा है कि सलमान रुश्दी को दशकों से निशाना बनाया जाता रहा है लेकिन वे न तो कभी झुके और ना ही लड़खड़ाए. हमारी संवेदनाएं निडर सलमान के साथ हैं. उन्होंने सलमान रुश्दी के जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हुए कहा कि उनकी आवश्यक आवाज को मौन नहीं कराया जा सकता.

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