बुधवार को विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने वर्कफोर्स मोबिलिटी पर बात की. वर्कफोर्स मोबिलिटी (कार्यबल का आवाजाही करना) पर बात करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि आज की अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में यह एक बेहद महत्वपूर्ण फैक्टर बन चुका है. उन्होंने जोर देकर कहा कि कानूनी रास्तों से होने वाली मोबिलिटी बहुत फायदा पहुंचाती है जबकि अवैध तरीके आपराधिक और राजनीतिक एजेंडा को बढ़ावा देते हैं. इसी दौरान उन्होंने पश्चिमी देशों में प्रवासियों के खिलाफ बढ़ते विरोध की भी चर्चा की.
इंडिया वर्ल्ड एनुअल कॉन्क्लेव 2025 (India's World Annual Conclave 2025) में बोलते हुए जयशंकर ने इमिग्रेशन के मुद्दे पर कहा कि अमेरिका और यूरोपीय देश आज अपने देश की मुश्किलों के लिए प्रवासियों को दोष देते हैं लेकिन यह समस्या उनकी अपनी बनाई हुई है.
उन्होंने कहा, 'अगर अमेरिका या यूरोप में प्रवासियों की बढ़ती संख्या को लेकर चिंताएं हैं, तो इसकी वजह यह है कि उन्होंने बहुत सोच-समझकर और जानबूझकर पिछले दो दशकों में अपनी कंपनियों को दूसरे देशों में स्थानांतरित होने दिया.'
कॉन्क्लेव में विदेश मंत्री ने कहा कि अक्सर वैश्वीकरण पर चर्चा व्यापार के संदर्भ में होती है, लेकिन वर्कफोर्स की आवाजाही और उससे जुड़ी परिस्थितियां भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं.
उन्होंने कहा, 'वैश्वीकरण के इस युग में हम आमतौर पर व्यापार पर ही ध्यान देते हैं… लेकिन हम काम और उससे जुड़ी मोबिलिटी की बात अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं… जब मोबिलिटी कानूनी और औपचारिक होती है, तो इसका बहुत व्यापक और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है… लेकिन जब ऐसा नहीं होता, तो यह हर तरह के गलत बिजनेस के लिए चुंबक जैसा बन जाता है.'
जयशंकर ने आगे कहा कि अवैध मोबिलिटी मानव तस्करी नेटवर्क और राजनीतिक व अलगाववादी उद्देश्यों वाली ताकतों को आकर्षित करती है.
उन्होंने कहा, 'तस्करी और उससे जुड़े अपराधों को देखिए तो यह अलग-अलग तरह के एजेंडों वाले लोगों को आकर्षित करता है- राजनीतिक एजेंडा, अलगाववादी एजेंडा और ये सभी अवैध मोबिलिटी से जुड़ जाते हैं.'
विदेश मंत्री ने इसी दौरान कहा कि भारत के वर्कर्स दुनिया के हर देश में पहुंच रहे हैं. उन्होंने कहा कि संघर्षग्रस्त इलाकों में अगर भारतीय वर्कर्स फंस जाते हैं तो उन्हें लाने का काम भी लगातार होता रहा है.
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, 'जब कहीं संघर्ष होता है, तो हम उदासीन या तटस्थ रहने का जोखिम नहीं उठा सकते. पिछले तीन सालों में हम अलग-अलग संघर्ष क्षेत्रों से 28,000 भारतीयों को वापस लेकर आए हैं. मोबिलिटी से जुड़े सरकारी समझौते हमारी कूटनीति का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. हमारे पास ऐसे 21 समझौते हैं.'
उन्होंने आगे कहा, 'अनुमानों के अनुसार, लगभग 20 लाख भारतीय इस समय ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटरों में काम कर रहे हैं. और इन केंद्रों का वार्षिक राजस्व अनुमान लगभग 65 से 75 अरब डॉलर के बीच माना जाता है.'
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