भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना क्या बनाया, बौखलाए पड़ोसी ने भारत के 15 शहरों पर हमला करने की कोशिश की जिसे एयर डिफेंस सिस्टम से नाकाम कर दिया गया. भारत ने पाकिस्तान के हमले को नाकाम करने के लिए एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम, जिसे सुदर्शन-400 भी कहा जाता है, का इस्तेमाल किया है.
यह पहली बार है जब भारत ने इस शानदार एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल किया है जिसे उसने अपने पुराने दोस्त रूस से खरीदा है. भारत आज जिस शानदार एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल कर रहा है, उसे हासिल करना बिल्कुल भी आसान नहीं था बल्कि अमेरिका ने बड़ी रुकावटें डाली थी और भारत को प्रतिबंधों की धमकी भी दी थी.
S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद और अमेरिका के CAATSA प्रतिबंध का डर
भारत ने साल 2018 में रूस के साथ एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद के लिए एक समझौता किया था. भारत ने पांच एयर डिफेंस सिस्टम के लिए समझौता किया जिसकी कुल लागत 5 अरब डॉलर ले ज्यादा की थी. भारत ने रूस के साथ जब यह समझौता किया तो रूस का कट्टर प्रतिद्वंद्वी अमेरिका बेहद नाराज हुआ था.
भारत को डर था कि अगर वो रूस से मिसाइल डिफेंस सिस्टम लेता है तो अमेरिका उस पर CAATSA (Countering America's Adverseries Through Sanctions Act) कानून के तहत प्रतिबंध लगा देगा.
अमेरिका में CAATSA एक्ट साल 2017 में आया था जिसमें कहा गया था कि अगर रूस, उत्तर करिया या ईरान के साथ कोई देश रक्षा या जासूसी से संबंधित कोई समझौता करता है तो उसे इस नियम के तहत अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा.
एस-400 की खरीद के लिए तुर्की पर अमेरिका ने लगाया था प्रतिबंध
भारत का यह डर इसलिए भी जायज था क्योंकि रूस से इसी मिसाइल डिफेंस सिस्टम के समझौते को लेकर तुर्की पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिया था. तुर्की ने एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद ने लिए साल 2017 में रूस से 2.5 अरब डॉलर का समझौता किया था. इस समझौते को लेकर दिसंबर 2020 में तत्कालीन जो बाइडेन प्रशासन ने तुर्की पर प्रतिबंध लगा दिया था.
भारत ने रूस से जब समझौता किया तो अमेरिका की तरफ से भारत पर काफी दबाव बनाया गया. अमेरिका ने कहा कि भारत अगर रूस से ये मिसाइस डिफेंस सिस्टम लेता है वो तो भारत के खिलाफ भी सख्त रुख अपनाएगा और सिस्टम खरीद के बाद भारत पर प्रतिबंध भी लगाए जाएंगे. 2021 में अमेरिका के तत्कालीन उप राष्ट्रपति वेंडी शेरमन ने बिना नाम लिए भारत को चेताया था और कहा था, 'अगर कोई देश एस-400 मिसाइल सिस्टम के इस्तेमाल की सोचता है तो यह काफी खतरनाक है.'
लेकिन उनकी इस चेतावनी के बाद ही दिसंबर 2021 में एस-400 की पहली यूनिट भारत पहुंची थी.
पहली यूनिट के आने के बाद भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों का डर सता रहा था और अमेरिकी दबाव भी बढ़ रहा था लेकिन जुलाई 2022 में भारत से अमेरिकी प्रतिबंध का डर खत्म हो गया. दरअसल, अमेरिका में ही कुछ सासंद भारत को CAATSA में छूट देने की वकालत करने लगे थे. इंडो-पैसिफिक में चीन की बढ़ती आक्रामकता को देखते हुए उनका कहना था कि भारत को ऐसे डिफेंस की जरूरत है.
इसके बाद जुलाई में यूएस हाउस ऑफ रेप्रेजेंटेटिव्स ने कानून में संशोधन कर भारत को इस प्रतिबंध से मुक्त कर दिया था.
भारत को तीन एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम मिल चुके हैं जबकि दो और सिस्टम आने अभी बाकी हैं. रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध की वजह से बाकी दो सिस्टम्स के आने में देरी हो रही है. पिछले साल अक्टूबर में वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कहा था कि भारत को बाकी दो मिसाइल डिफेंस सिस्टम्स 2025 तक मिल जाएंगे.
S-400 के आने से मजबूत हुई सेना, क्यों है इतना खास?
एस-400 के भारतीय वायुसेना में शामिल होने से भारत की सेना कितनी मजबूत हुई है, बीती रात इसका बेहतरीन उदाहरण देखने को मिला है. ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर, पंजाब और गुजरात के 15 शहरों को निशाना बनाने की कोशिश की लेकिन एस-400 ने पाकिस्तान के सभी कोशिशों को नाकाम कर दिया है.
इस संबंध में भारत सरकार ने कहा है कि 7 मई की रात पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों के जरिए भारत के कई शहरों में हमला करने की कोशिश की थी. लेकिन भारत ने यूएएस ग्रिड और एयर डिफेंस सिस्टम के जरिए उन्हें तबाह कर दिया.
एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को दुनिया की सबसे प्रभावी एयर डिफेंस सिस्टम्स में से एक माना जाता है. यह डिफेंस सिस्टम सभी तरह के मिसाइल हमले को हवा में नष्ट कर सकता है. जरूरत पड़ने पर 5-10 मिनट के भीतर इसे प्रभावित इलाके में तैनात किया जा सकता है. एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम बैलेस्टिक मिसाइलों के अलावा विमानों, क्रूज, हाइपरसोनिक हथियारों को पल में तबाह कर सकता है.
रिपोर्टस के मुताबिक, एस-400 एक बार में 72 मिसाइलें छोड़ सकती है. इसकी सबसे अच्छी बात है कि यह एक मोबाइल सिस्टम है यानी सड़क के जरिए इसे कहीं भी लाया-ले जाया जा सकता है.
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