रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के किंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के मौके पर अपने चीनी समकक्ष एडमिरल डोंग जून के साथ अहम द्विपक्षीय बैठक की. इस दौरान उन्होंने चीनी रक्षा मंत्री के समक्ष चार सूत्री फॉर्मूला रखा ताकि दोनों देशों के रिश्तों में सुधार हो और आगे कभी गलवान जैसी स्थिति पैदा न हो. तनाव कम करने की योजना में इस बात पर जोर दिया गया कि भारत-चीन 2024 की उस योजना का पालन करें जिसमें दोनों देश एक पेट्रोलिंग व्यवस्था पर सहमत हुए थे.
राजनाथ सिंह ने चीनी रक्षा मंत्री के सामने जो चार सूत्रीय फॉर्मूला रखा, उसमें शामिल बाते हैं-
1. डिसएंगेजमेंट- 2024 के डिसएंगेजमेंट प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए.
2. तनाव कम करना: सीमा पर तनाव कम करने के प्रयास किए जाने चाहिए.
3. सीमांकन एवं परिसीमन: बॉर्डर के सीमांकन और परिसीमन के तय टार्गेट को हासिल करने के लिए सीमा विवाद को सुलझाने की प्रक्रिया में तेजी की जरूरत है.
4. विशेष प्रतिनिधि स्तर तंत्र: संबंधों को सुधारने और मतभेदों को सुलझाने के लिए नई प्रक्रिया तैयार करने की खातिर मौजूदा विशेष प्रतिनिधि तंत्र का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
क्या है 2024 का डिसएंगेजमेंट प्लान?
2024 के डिसएंगेजमेंट प्लान के तहत भारत और चीन तनाव कम करने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पेट्रोलिंग व्यवस्था को लेकर सहमत हुए थे.
भारत-चीन सैनिकों के बीच गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास ही 2020 में झड़प हुई थी जिसके बाद चीन और भारत दोनों में पेट्रोलिंग के क्षेत्र को लेकर विवाद शुरू हो गया था. अक्टूबर 2024 में दोनों देश पेट्रोलिंग के लिए एक व्यवस्था पर सहमत हुए.
क्या हुआ था गलवान में?
भारत और चीन के बीच साल 2020 में स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो गई थी. चीन ने सीमा पर आक्रामकता दिखानी शुरू की और फिर एक मई 2020 को भारत-चीन के सैनिक पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील के पास एक-दूसरे से लड़ पड़े.
इस दौरान दोनों तरफ से सैनिकों के घायल होने की खबरें आईं लेकिन तनाव यही नहीं थमा बल्कि फिर 15 जून को दोनों देशों के सैनिकों में झड़प शुरू हो गई. झड़प में भारतीय सेना के मुताबिक, 20 सैनिकों की मौत हो गई. वहीं, चीन की तरफ से साफ नहीं हुआ कि उसके कितने सैनिक झड़प में मारे गए हैं. हालांकि, बाद में आई कई रिपोर्टों में कहा गया कि चीन को भारत से कहीं ज्यादा नुकसान हुआ था और उसके ज्यादा सैनिक मारे गए थे.
गलवान घाटी संघर्ष के बाद से भारत और चीन का तनाव चरम पर पहुंच गया था लेकिन फिर फरवरी 2021 में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई और दोनों देशों ने तनाव कम करने की प्रक्रिया की शुरुआत की. दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ता हुई जिसके बाद अक्टूबर 2024 में भारत-चीन एक डिसएंगेजमेंट प्लान पर सहमत हुए.
चीनी रक्षा मंत्री के साथ हालिया बैठक में राजनाथ सिंह ने जो प्लान पेश किया, उसमें इसी का जिक्र है कि डिसएंगेजमेंट प्लान का पालन हो ताकि रिश्तों में सुधार और आपसी विश्वास की बहाली हो.
चीन के सामने भारत ने उठाया पाकिस्तान स्पॉन्सर आतंकवाद का मुद्दा
चीनी रक्षा मंत्री के साथ बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान स्पॉन्सर सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस मुद्दे के खिलाफ अब भारत ऑपरेशन सिंदूर के जैसा ही जवाब देगा.
बैठक के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक तस्वीर साझा करते हुए रक्षा मंत्री ने भारत और चीन दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में सकारात्मक गति बनाए रखने पर जोर दिया. उन्होंने लगभग छह सालों के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा के फिर से शुरू होने पर भी खुशी जताई.
रक्षा मंत्री ने ट्वीट किया, 'किंगदाओ में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून के साथ बातचीत की. हमने द्विपक्षीय संबंधों से संबंधित मुद्दों पर रचनात्मक और दूरदर्शी बातचीत की. लगभग छह सालों के अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने पर अपनी खुशी जताई. दोनों पक्षों के लिए यह जरूरी है कि वे इस सकारात्मक गति को बनाए रखें और द्विपक्षीय संबंधों में नई मुश्किलों को आने से रोकें.'
उन्होंने एडमिरल डोंग जून को बिहार की एक मधुबनी पेंटिंग भेंट की.
चीन ने बयान जारी कर रिश्तों पर क्या कहा?
मुलाकात को लेकर चीन ने भी एक बयान जारी किया है. चीन ने बयान में कहा कि भारत चीन के साथ किसी भी तरह का टकराव नहीं चाहता और संवाद, आपसी विश्वास को बढ़ा रहा है. हालांकि, द्विपक्षीय बैठक को लेकर भारत की तरफ से कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है.
भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों की बैठक ऐसे वक्त में हुई है जब राजनाथ सिंह ने एससीओ शिखर सम्मेलन के संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था. एससीओ की अध्यक्षता कर रहे चीन और उसके सदाबहार दोस्त पाकिस्तान ने एससीओ के बयान में आतंकवाद के मामले से ध्यान भटकाने की कोशिश की थी और 22 अप्रैल के पहलगाम हमले का जिक्र नहीं किया था जिसमें पाकिस्तान स्पॉन्सर आतंकियों ने 26 लोगों की हत्या कर दी थी.
हालांकि, दस्तावेज में बलूचिस्तान का जिक्र कर भारत पर अप्रत्यक्ष तरीके से कटाक्ष किया गया था कि वो पाकिस्तानी प्रांत में अशांति फैला रहा है. भारत ने चीन और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देते हुए डॉक्यूमेंट पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था.
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