नरेंद्र मोदी ने रविवार शाम लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. पीएम मोदी के साथ 71 अन्य मंत्रियों ने भी पद की शपथ ली जिसमें कई मंत्री बीजेपी के एनडीए गठबंधन से थे. साल 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद यह पहली बार हो रहा है कि पीएम मोदी एक गठबंधन वाली सरकार चलाएंगे क्योंकि इस बार भाजपा 272 सीटों के बहुमत से चूक गई और उसे महज 240 सीटें ही मिली हैं. पीएम मोदी के तीसरी बार शपथ लेने और भारत में एक गठबंधन सरकार बनने पर विदेशी मीडिया में काफी चर्चा है. मालदीव, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अमेरिका, ब्रिटेन आदि देशों की मीडिया ने मोदी के शपथ ग्रहण समारोह को कवर किया है.
क्या बोला मालदीव का मीडिया?
पीएम मोदी के शपथ ग्रहण में शामिल होने वाले विदेशी मेहमानों में मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भी शामिल थे. मुइज्जू का शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना इसलिए भी खास था क्योंकि भारत और मालदीव के रिश्ते हाल के महीनों में बेहद तनावपूर्ण रहे हैं. पिछले साल नवंबर में सत्ता में आने के बाद से मुइज्जू ने चीन समर्थक रुख अपनाया है और उन्होंने द्वीप देश पर मौजूद भारत के सैनिकों को वापस भेजने का अपना चुनावी वादा भी पूरा किया है.
मालदीव की मीडिया ने शपथ ग्रहण समारोह की खबर को प्रमुखता से छापा है. अखबार 'Sun.MV' ने लिखा, 'भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक रूप से तीसरी बार पद की शपथ ली जिसके लिए आयोजित समारोह में मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भी शामिल हुए. 26 मई 2014 को मोदी ने जब पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी तब मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन उसमें शामिल हुए थे.'
अखबार ने भारत-मालदीव के तनावपूर्ण रिश्तों का जिक्र करते हुए आगे लिखा, 'यामीन के सहयोग से सत्ता में आए राष्ट्रपति मुइज्जू को लेकर माना जाता है कि वो चीन समर्थक हैं जबकि उनसे पहले वाले राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह भारत समर्थक माने जाते थे. मुइज्जू के सत्ता में आते ही भारत-मालदीव के रिश्ते खराब हो गए थे जब सरकार के तीन उप मंत्रियों ने मोदी और भारत के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी. अभी तीनों ही उप मंत्री निलंबित चल रहे हैं. मालदीव की सरकार ने स्पष्ट किया था कि मंत्रियों के बयान का वो समर्थन नहीं करते.'
मालदीव के एक अन्य अखबार 'The Edition' ने समाचार एजेंसी एएफपी के हवाले से लिखा कि पीएम मोदी ने रविवार को तीसरे कार्यकाल की शपथ ली. उम्मीद के उलट खराब चुनाव नतीजों के बाद उन्हें सरकार बनाने के लिए अपने गठबंधन सहयोगियों का सहारा लेना पड़ा है.
अखबार लिखता है, 'मोदी ने अपनी हिंदू-राष्ट्रवादी पार्टी के नेताओं और अपने गठबंधन के नेताओं के साथ, सत्ता संभालने के अपने औपचारिक समारोह में "भारत के संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा रखने" की शपथ ली. मोदी की हिंदू-राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी ने पिछले एक दशक तक एकछत्र राज किया, लेकिन विश्लेषकों की उम्मीदों और एग्जिट पोल को धता बताते हुए, इस बार अपनी पिछली दो शानदार जीत को दोहराने में विफल रही.'
अखबार ने लिखा कि सत्ता में बने रहने के लिए बीजेपी ने एनडीए के दलों का समर्थन लिया है. गठबंधन के बड़े दलों ने अपने समर्थन के बदले भारी रियायतों की मांग की है.
अखबार ने शपथ ग्रहण समारोह में शामिल लोगों का जिक्र करते हुए लिखा, 'समारोह में भाजपा के समर्थकों के साथ-साथ दक्षिण एशियाई देशों ने नेता, शाहरुख खान जैसी बॉलीवुड हस्तियां और अरबपति उद्योगपति गौतम अडानी और मुकेश अंबानी भी शामिल थे.'
पाकिस्तान की मीडिया ने क्या कहा?
पाकिस्तान के प्रमुख अखबार 'डॉन' ने समाचार एजेंसी एएफपी के हवाले से लिखा कि मोदी ने तीसरे कार्यकाल की शपथ ले ली है.
पाकिस्तानी अखबार ने लिखा, 'मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में दक्षिण एशियाई देशों, बांग्लादेश, मालदीव, श्रीलंका के नेता शामिल हुए लेकिन चीन और पाकिस्तान के नेता इसमें शामिल नहीं हुए.'
वहीं, पाकिस्तान के एक और अखबार 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स के हवाले से लिखा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में एक भव्य समारोह में मोदी को पद की शपथ दिलाई, जिसमें सात पड़ोसी देशों के नेता, बॉलीवुड सितारे और उद्योगपतियों सहित हजारों गणमान्य लोग शामिल हुए.
अखबार लिखता है, 'मोदी, जिन्होंने भाजपा के वैचारिक जन्मदाता हिंदू राष्ट्रवादी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक के रूप में शुरुआत की, आजादी दिलाने में अहम भूमिता निभाने वाले नेता जवाहरलाल नेहरू के बाद लगातार तीसरी बार पीएम बनने वाले दूसरे व्यक्ति बन गए हैं. 73 साल के मोदी एनडीए के 14 क्षेत्रीय दलों के समर्थन से तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं जबकि उनके पिछले दो कार्यकाल में भाजपा के पास पूर्ण बहुमत था. हालिया चुनाव नतीजों को लोकप्रिय नेता के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है.'
बांग्लादेश
बांग्लादेश के अखबार 'द डेली स्टार' ने लिखा कि रविवार को लगातार तीसरी बार पीएम मोदी ने पद की शपथ ली. उनका यह कार्यकाल कई चुनौतियों के साथ उन्हें मिला है क्योंकि इस बार वो अपने सहयोगियों के समर्थन से सरकार बना रहे हैं.
अखबार लिखता है, 'इस बार की मोदी सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं जिनमें से एक उनके सहयोगी दल हैं. अब मोदी सरकार को अपने सहयोगी दलों की फंड की मांग पूरी करनी पड़ेगी. एनडीए गठबंधन के सहयोगी दलों ने गठबंधन सरकार को समर्थन देने के एवज में पहले ही अपने राज्यों के लिए फंड और कैबिनेट में पद की मांग कर दी है. एक चुनौती ये भी है कि भारत मोदी के राज में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है लेकिन देश की प्रति व्यक्ति आय अब भी जी-20 देशों में सबसे कम आय वाले देशों में एक है.'
नेपाल
भारत के पड़ोसी देश नेपाल के प्रमुख अखबार 'द काठमांडू पोस्ट' ने लिखा कि नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ने रविवार शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया. शपथ ग्रहण के बाद दहल ने मोदी से शिष्टाचार मुलाकात भी की.
भारत सरकार ने शपथ ग्रहण समारोह के लिए पड़ोसी देशों ने नेताओं को निमंत्रण भेजा था. श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे, मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रवीण कुमार जगन्नाथ समारोह में शामिल हुए लेकिन चीन और पाकिस्तान के नेताओं को नहीं बुलाया गया.
अमेरिका
अमेरिका के प्रमुख अखबार 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' ने अपने एक लेख को शीर्षक दिया है- 'मोदी ने संयमित लहजे में तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ ली'. लेख में लिखा गया कि नई सरकार के शपथ लेते ही दिल्ली की राजनीतिक हवा बदल गई है. बहुमत से वंचित रह जाने के बाद पीएम मोदी अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ आए हैं जो अब तवज्जो और स्पॉटलाइट मिलने से खुश हैं.
अमेरिका के ही न्यूज नेटवर्क 'ब्लूमबर्ग' ने शपथ ग्रहण समारोह की भव्यता पर फोकस करते हुए लिखा कि समारोह में विदेशी राष्ट्राध्यक्षों, बिजनेस टाइकून और बॉलीवुड सितारों समेत 8,000 मेहमानों ने भाग लिया. ब्लूमबर्ग ने लिखा कि यह पहली बार है जब पीएम मोदी अपने नेतृत्व का विस्तार करते हुए सत्ता साझा करेंगे.
ब्रिटेन
ब्रिटेन के पब्लिक ब्रॉडकास्टर 'बीबीसी' ने लिखा कि जितना एग्जिट पोल में अनुमान लगाया गया था, सत्ताधारी गठबंधन उससे बेहद कम मार्जिन से जीता. यह एक ऐसा चुनाव था जिसमें विपक्ष का पुनरुत्थान देखने को मिला है.
कतर
कतर के न्यूज नेटवर्क 'अलजजीरा' ने लिखा कि बहुमत का न होना गठबंधन सरकार चलाने की भाजपा की परीक्षा लेगी. अलजजीरा ने यह भी कहा कि गठबंधन के दो दिग्गजों नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू से बीजेपी को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जो कभी भाजपा के खिलाफ इंडिया गठबंधन की पार्टियों के साथ रहे हैं और विपक्ष उन्हें लुभाने में लगा रहेगा.
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