शहबाज शरीफ समय से पहले पाकिस्तानी संसद को भंग करने पर क्यों अड़े? उठ रहे ये सवाल

पिछले साल अप्रैल महीने में प्रधानमंत्री पद से इमरान खान की रुखस्ती के बाद 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में विपक्ष को 174 सदस्यों का समर्थन मिला था. संयुक्त विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री बनाए गए थे. लेकिन पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन (पीएमएल-एन) पार्टी के नेता शहबाज शरीफ के साथ कई और पार्टियां भी थी, जिन्होंने इमरान को सत्ता से बेदखल करने के लिए मोर्चा खोला था.

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पाकिस्तान में नेशनल असेंबली भंग की चर्चा पाकिस्तान में नेशनल असेंबली भंग की चर्चा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 18 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 6:25 PM IST

एक मशहूर कहावत है कि मोहब्बत और जंग में सब जायज है. अगर यह जंग सियासत की हो तो कोई नियम-कायदे यहां लागू नहीं होते. ऐसे ही हालात लगभग एक साल से पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के है. कर्जे की मार, गरीबी, भुखमरी, महंगाई, बेरोजगारी से लेकर सियासी उथल-पुथल तक इस एक साल में पाकिस्तान उस बुरे दौर से गुजर रहा है, जहां उसे मदद की दरकार है. लेकिन ऐसे में राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अगुवाई में गठबंधन सरकार ने नेशनल असेंबली भंग करने पर सहमति जताई है. और जल्द ही राष्ट्रपति के समक्ष संसद भंग करने की सिफारिश की जाएगी. इसका सीधा-सीधा मतलब है कि मौजूदा सरकार अपना कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही कार्यवाहक सरकार को सत्ता सौंप रही है. 

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लेकिन गठबंधन सरकार के इस फैसले के बाद एक साथ कई सवाल उठ खड़े हुए हैं. पहला सवाल कि जब मौजूदा सरकार का कार्यकाल 12 अगस्त को समाप्त हो रहा है तो ऐसे में इससे ठीक चार दिन पहले आठ अगस्त को सरकार संसद भंग क्यों कर रही है? दूसरा सवाल ये कि नेशनल असेंबली भंग करने से सरकार को क्या फायदा होगा? एक सवाल ये भी है कि नेशनल असेंबली भंग होने की स्थिति में सरकार आखिर सत्ता का हस्तांतरण किसे करेगी? इन सवालों के जवाब जानने के लिए हमें इस फैसले की मंशा जाननी होगी. 

संसद भंग करने का फैसला अकेला शहबाज का नहीं

पिछले साल अप्रैल महीने में प्रधानमंत्री पद से इमरान खान की रुखसती के बाद 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में विपक्ष को 174 सदस्यों का समर्थन मिला था. संयुक्त विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री बनाए गए थे. लेकिन पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन (पीएमएल-एन) पार्टी के नेता शहबाज शरीफ के साथ कई और पार्टियां भी थी, जिन्होंने इमरान को सत्ता से बेदखल करने के लिए मोर्चा खोला था. इस संयुक्त गठबंधन में पीएमएल-एन के साथ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी), मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम-पाकिस्तान), जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ), पीएमएल-क्यू और कई छोटी-मोटी पार्टियां शामिल हैं.

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ऐसे में अब ये जान लेना चाहिए कि आठ अगस्त को नेशनल असेंबली भंग करने का फैसला अकेला प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ या उनकी पार्ट पीएमएल-एन का नहीं है बल्कि सरकार के गठबंधन साझेदारों की आपसी सहमति के बाद यह फैसला लिया गया है. 

पाकिस्तानी संसद भंग करने की जिद पर क्यों अड़ी है सरकार?

अब यह सवाल सभी के दिमाग में कौंध रहा है कि शहबाज शरीफ सरकार का मौजूदा कार्यकाल इस साल 12 अगस्त को खत्म हो रहा है. लेकिन इससे ठीक चार दिन पहले आठ अगस्त को नेशनल असेंबली भंग करने की सरकार की जिद की क्या वजह है? 

इन सवालों का एक ही जवाब है कि पाकिस्तान के संविधान के तहत अगर नेशनल असेंबली अपना कार्यकाल पूरा कर लेती है तो 60 दिनों के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य है. लेकिन अगर नेशनल असेंबली को समय से पहले भंग कर दिया जाता है तो सरकार को चुनाव कराने के लिए पूरे 90 दिन का समय मिल जाएगा. इसका साफ मतलब है कि सरकार को अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए ज्यादा समय मिलेगा. वह मौजूदा आर्थिक संकट से जूझते हुए 90 दिनों तक कुछ बेहतर स्थिति तक पहुंच सकती है. 

दूसरा, इन 90 दिनों के भीतर सरकार को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से बेलआउट पैकेज की रकम भी मिलनी शुरू हो जाएगी. एक तरह से शहबाज सरकार जनता के बीच अपनी एक सकारात्मक छवि गढ़ने में कुछ हद तक कामयाब हो सकती है.यही वजह रही कि पीपीपी के वरिष्ठ नेता आसिफ अली जरदारी ने 15 जुलाई को प्रधानमंत्री शहबाज के साथ बैठक कर मौजूदा सरकार का कार्यकाल पूरा होने से चार दिन पहले नेशनल असेंबली भंग करने पर सहमति जताई. ताकि नवंबर में चुनाव कराए जा सके.

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पाकिस्तान का केयरटेकर पीएम कौन होगा?

शहबाज शरीफ ने कुछ दिनों पहले एक टीवी संबोधन में कहा था कि उनकी सरकार समय से पहले सत्ता हस्तांतरण कर देगी. पाकिस्तान में चुनाव होने तक एक केयरटेकर प्रधानमंत्री देश की व्यवस्था को संभालेगा. 

संसद भंग की तारीख पुख्ता नहीं

शहबाज शरीफ सरकार में सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने आठ अगस्त को नेशनल असेंबली भंग करने की खबरों पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि नेशनल असेंबली भंग करने को लेकर अभी मौजूदा सरकार और उसकी सहयोगी पार्टियों के बीच कोई फैसला नहीं लिया गया है.

قومی اسمبلی کی تحلیل کی تاریخ پر ابھی فیصلہ نہیں ہوا
پی ڈی ایم اور اتحادی جماعتوں کی مشاورت سے تاریخ کا فیصلہ ہوگا قومی اسمبلی کی تحلیل کی تاریخ کے فیصلے کا باضابطہ اعلان کیا جائے گا

— Marriyum Aurangzeb (@Marriyum_A) July 18, 2023

आठ अगस्त को असेंबली भंग करने की मीडिया रिपोर्ट्स पर मरियम ने कहा कि अभी संसद भंग करने की तारीख पर कोई फैसला नहीं लिया गया है. सरकार और सहयोगी पार्टियों के बीच चर्चा कर तारीक पर फैसला लिया जाएगा. इस बारे में आधिकारिक ऐलान किया जाएगा.

पाकिस्तान सरकारों का कार्यकाल पूरा नहीं होने का इतिहास

पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में सत्तारूढ़ सरकारों के कार्यकाल पूरा नहीं कर पाने का अपना एक रिकॉर्ड है. पाकिस्तान के 75 साल के इतिहास में सिर्फ 37 साल ही लोकतांत्रिक सरकारें रहीं, जिनमें कुल 22 प्रधानमंत्री हुए, लेकिन इन 22 में से कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया. पाकिस्तान में अब तक 32 साल सेना ने सीधे तौर पर शासन किया है और लगभग आठ सालों तक यहां की अवाम ने राष्ट्रपति शासन देखा है.  सरकारों के कार्यकाल पूरा नहीं कर पाने के पीछे कई कारण हैं. सबसे बड़ा कारण है कि पाकिस्तान की राजनीति में सेना का दखल और पाकिस्तान की जनता का सरकारी संस्थानों पर विश्वास नहीं होना.

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