पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच शांति वार्ता विफल रही है और अब अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने पाकिस्तान पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने पाकिस्तान की तरफ से व्यापार पर प्रतिबंध लगाए जाने और अफगान शरणार्थियों पर की जा रही ज्यादती पर निशाना साधते हुए कहा है कि खुद को परमाणु ताकत कहने वाला पाकिस्तान आलू टमाटर पर अपनी ताकत आजमा रहा है.
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मुत्तकी ने कहा, 'पाकिस्तान एक परमाणु संपन्न देश है लेकिन वो अपनी पूरी ताकत प्याज, आलू, टमाटर और गरीब अफगान शरणार्थियों पर आजमा रहा है.'
पाकिस्तान अफगान शरणार्थियों को जबरन वापस भेज रहा है और अफगानिस्तान के साथ उसके व्यापार संबंधों में भी भारी गिरावट आई है. इस पर अफगान विदेश मंत्री ने नाराजगी जताई.
मुत्तकी ने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक ऐसा देश, जो खुद को परमाणु शक्ति कहता है, वह अपनी ताकत गरीब प्रवासियों और व्यापारियों पर दिखा रहा है. आखिर एक परमाणु शक्ति प्याज और टमाटर पर अपनी ताकत कैसे आजमा सकती है? यह तर्क किसी के हित में नहीं है.'
तालिबान के विदेश मंत्री मुत्ताकी ने रविवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत इसलिए विफल हो गई क्योंकि पाकिस्तान ऐसी मांगें कर रहा था जिसे नहीं माना जा सकता था.
अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने खुलासा किया कि पाकिस्तान ने तालिबान पर दबाव डाला था कि वो पाकिस्तान के भीतर शांति की गारंटी दे और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के खिलाफ कदम उठाए. मुत्तकी ने कहा, 'वो चाहते थे कि हम पाकिस्तान में शांति सुनिश्चित करें, लेकिन उनकी अपनी ताकतें हमारे नियंत्रण में नहीं हैं.'
शांति वार्ता के दौरान पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के सामने यह मांग भी रख दी थी कि टीटीपी को पाकिस्तान से अफगानिस्तान में स्थानांतरित कर दिया जाए. मुत्तकी ने कहा कि यह एक असंभव शर्त थी और इन्हीं कारणों से पाकिस्तान के साथ बातचीत असफल रही.
मुत्तकी ने पाकिस्तान के उस दावे को भी खारिज किया कि तालिबान ने अचानक वार्ता से किनारा कर लिया. मुत्तकी ने कहा, 'वार्ता पाकिस्तान की असंभव शर्तों के कारण रुकी थी.'
पाकिस्तान लगातार अफगान तालिबान पर आरोप लगाता रहा है कि वो टीटीपी के आतंकियों को शरण दे रहे हैं और यही आतंकी पाकिस्तान के भीतर लगातार हमले कर रहे हैं.
इसे खारिज करते हुए मुत्तकी ने कहा कि पाकिस्तान की घरेलू सुरक्षा समस्याएं उसकी अपनी बनाई हुई हैं. उन्होंने कहा, 'टीटीपी पिछले 25 सालों से पाकिस्तान में सक्रिय है. उनका अस्तित्व हमारे शासन से पहले का है. पाकिस्तान अपनी सीमाओं की रक्षा करने में असफल रहा है और अब दोष दूसरों पर मढ़ रहा है.'
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