उत्तर कोरिया में K-Drama देखने वालों को मिलती है सजा-ए-मौत, देश से भागे लोगों ने सुनाई आपबीती

संयुक्त राष्ट्र की एक मानवाधिकार रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर कोरिया में विदेशी कंटेंट, खासकर दक्षिण कोरियाई टीवी शो शेयर करने वालों को मौत की सजा दी जा रही है. 2014 के बाद से बढ़ती निगरानी और सख्त कानूनों के तहत यह कार्रवाई व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर बढ़ते प्रतिबंधों का हिस्सा है.

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UN की रिपोर्ट में 300 से अधिक गवाहों के इंटरव्यू शामिल हैं, जिन्होंने बताया कि कोविड-19 के बाद मौत की सजा के मामलों में वृद्धि हुई है. (File Photo: ITG) UN की रिपोर्ट में 300 से अधिक गवाहों के इंटरव्यू शामिल हैं, जिन्होंने बताया कि कोविड-19 के बाद मौत की सजा के मामलों में वृद्धि हुई है. (File Photo: ITG)

aajtak.in

  • प्योंगयांग,
  • 13 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:08 AM IST

उत्तर कोरिया में विदेशी कंटेंट, खासकर लोकप्रिय साउथ कोरियन ड्रामा (K-Drama) जैसे शो शेयर करने वाले लोगों को मौत की सजा दी गई है. संयुक्त राष्ट्र की एक मानवाधिकार रिपोर्ट में शुक्रवार को यह दावा किया गया. यह कार्रवाई उत्तर कोरिया में व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर बढ़ते शिकंजे का हिस्सा बताई जा रही है.

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 के बाद से नई तकनीकों की मदद से निगरानी और सख्त हो गई है. साथ ही सजा भी और कठोर हुई है. यहां तक कि विदेशी टीवी शो शेयर करने जैसे अपराधों के लिए भी मौत की सजा दी जा रही है.

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300 गवाहों और पीड़ितों की मदद से तैयार की गई रिपोर्ट

14 पन्नों की इस यूएन रिपोर्ट में कहा गया कि इन पाबंदियों ने उत्तर कोरिया को दुनिया का सबसे प्रतिबंधित देश बना दिया है. यह रिपोर्ट 300 से ज्यादा गवाहों और पीड़ितों के इंटरव्यू पर आधारित है, जिन्होंने देश से भागकर आजादी पाई और यह बताया कि स्वतंत्रता को किस तरह कुचला जा रहा है.

कोविड के बाद बढ़े मौत की सजा के मामले

जेम्स हीनन, जो उत्तर कोरिया के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के प्रमुख हैं, ने जिनेवा में बताया कि COVID-19 के बाद सामान्य और राजनीतिक अपराधों में मौत की सजा के मामलों में इजाफा हुआ है. उन्होंने कहा कि नए कानूनों के तहत पहले ही कुछ लोगों को विदेशी टीवी सीरीज, खासकर दक्षिण कोरिया के लोकप्रिय टीवी शो को शेयर करने के लिए फांसी दी जा चुकी है.

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2015 में लागू हुए नए कानून

रिपोर्ट के निष्कर्ष में कहा गया, '2015 के बाद से लागू किए गए कानूनों, नीतियों और प्रथाओं के तहत नागरिकों को जीवन के हर क्षेत्र में और भी ज्यादा निगरानी और नियंत्रण का सामना करना पड़ा है.' यह यूएन रिव्यू उस ऐतिहासिक रिपोर्ट के एक दशक बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि उत्तर कोरिया ने मानवता के खिलाफ अपराध किए हैं. नई रिपोर्ट 2014 के बाद के घटनाक्रम को कवर करती है.

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