'कोई भी मुल्क क्षेत्रीय विस्तार के लिए धमकी या बल का इस्तेमाल ना करे', G20 के मंच से उठी आवाज

जोहान्सबर्ग में G20 समिट के शुरुआत में ही पास हुए डिक्लेरेशन में सीमा बदलने के लिए ताकत के उपयोग का विरोध, आतंकवाद की निंदा, मानवाधिकार सम्मान, मल्टीलेटरलिज़्म, क्लाइमेट फाइनेंस, फ़ूड सिक्योरिटी और विकासशील देशों की सहायता पर जोर दिया गया. भारत ने छह प्रमुख वैश्विक पहलों का प्रस्ताव रखा.

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साउथ अफ्रीका में जी20 समिट में कई देशों के नेता पहुंचे. (Photo:AP) साउथ अफ्रीका में जी20 समिट में कई देशों के नेता पहुंचे. (Photo:AP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:23 AM IST

जोहान्सबर्ग में शनिवार को 20वें सालाना समिट के बाद G20 के सदस्य देशों ने एक जॉइंट डिक्लेरेशन जारी किया, जिसमें कहा गया कि किसी भी देश को इंटरनेशनल लेवल पर मान्यता प्राप्त बॉर्डर को बदलने के लिए ताकत या धमकी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. यह सॉवरेनिटी और टेरिटोरियल इंटीग्रिटी के लिए ग्लोबल कमिटमेंट की साफ पुष्टि है. 

US के एतराज़ के बावजूद पूरी सहमति से फाइनल किए गए इस डॉक्यूमेंट में आतंकवाद की 'हर तरह से' निंदा की गई और नस्ल, लिंग, भाषा या धर्म की परवाह किए बिना ह्यूमन राइट्स और फंडामेंटल फ्रीडम के लिए ज़्यादा सम्मान की अपील की गई.

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अजीब बात है कि इस डिक्लेरेशन को लीडर्स समिट के खत्म होने के बजाय, उसकी शुरुआत में ही मंज़ूरी दे दी गई. यह ग्रुप की बढ़ती जियोपॉलिटिकल दरारों, हथियारों से लैस लड़ाइयों और आर्थिक बिखराव को लेकर चिंता को दिखाता है.

'ताकत का इस्तेमाल करने से...'

खास देशों का नाम लिए बिना, टेक्स्ट में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि UN चार्टर के मुताबिक, "सभी देशों को किसी भी देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता या राजनीतिक आज़ादी के खिलाफ़ इलाके पर कब्ज़ा करने की धमकी देने या ताकत का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए."

डिप्लोमैट्स ने इसे रूस, इज़रायल और म्यांमार के लिए एक छिपा हुआ सिग्नल समझा. डिक्लेरेशन में कहा गया है कि ग्लोबल अस्थिरता, बढ़ता जियो-इकोनॉमिक कॉम्पिटिशन और बढ़ती असमानता इनक्लूसिव ग्रोथ के लिए खतरा हैं.

मल्टीलेटरलिज़्म के महत्व पर ज़ोर देते हुए, नेताओं ने कहा, "हम देशों के एक ग्लोबल समुदाय के तौर पर अपने आपसी जुड़ाव को समझते हैं और मल्टीलेटरल सहयोग, मैक्रो पॉलिसी कोऑर्डिनेशन, सस्टेनेबल डेवलपमेंट और एकजुटता के लिए ग्लोबल पार्टनरशिप के ज़रिए यह पक्का करने के अपने कमिटमेंट को फिर से पक्का करते हैं कि कोई भी पीछे न छूटे."

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इंटरनेशनल कानून का पालन करने और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान पर ज़ोर देते हुए, G20 ने कहा कि वह UN चार्टर और इंटरनेशनल मानवीय कानून के सिद्धांतों के लिए कमिटेड है.

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इसमें उन देशों को सपोर्ट करने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया गया, जो आपदाओं से बहुत ज़्यादा प्रभावित हैं, खासकर छोटे आइलैंड डेवलपिंग स्टेट्स और सबसे कम डेवलप्ड देश जो अडैप्टेशन, मिटिगेशन और रिकवरी कॉस्ट से जूझ रहे हैं.

डिक्लेरेशन में चेतावनी दी गई है कि डेवलपिंग देशों में ज़्यादा कर्ज़ की वजह से हेल्थकेयर, एजुकेशन, इंफ्रास्ट्रक्चर और आपदा से निपटने जैसे ज़रूरी एरिया में इन्वेस्टमेंट में रुकावट आ रही है.  डॉक्यूमेंट में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि सस्टेनेबल इंडस्ट्रियलाइज़ेशन एनर्जी ट्रांज़िशन और लॉन्ग-टर्म डेवलपमेंट के लिए ज़रूरी है.

फ़ूड सिक्योरिटी पर, G20 ने फिर से कहा कि हर इंसान को भूख से आज़ाद होने का हक़ है और सुरक्षित और पौष्टिक खाने तक पहुंच बढ़ाने के लिए मज़बूत पॉलिटिकल इच्छाशक्ति की अपील की. लीडर्स ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित डिजिटल और नई टेक्नोलॉजी से मिले मौके को भी माना और कहा कि इन टूल्स का इस्तेमाल लोगों की भलाई के लिए सही तरीके से किया जाना चाहिए.

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गरीबी कम करने और डेवलपमेंट में मल्टीलेटरल डेवलपमेंट बैंकों की ज़रूरी भूमिका पर भी ज़ोर दिया गया. डिक्लेरेशन के दूसरे हिस्सों में क्लाइमेट एक्शन, एंटी-करप्शन उपाय, व्हिसलब्लोअर्स की सुरक्षा और माइग्रेंट वर्कर्स और रिफ्यूजी के लिए सपोर्ट पर बात की गई.

साउथ अफ्रीका के इंटरनेशनल रिलेशंस मिनिस्टर, रोनाल्ड लामोला ने डिक्लेरेशन को अपनाने को 'एक बड़ा पल' बताया और कहा कि इससे अफ्रीकी कॉन्टिनेंट को काफ़ी फ़ायदा हो सकता है.

G20 शिखर सम्मेलन में शिरकत के लिए पीएम मोदी साउथ अफ्रीका में हैं. (Photo- PTI)

वॉशिंगटन के विरोध के बारे में सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि G20 का काम किसी एक सदस्य की मौजूदगी पर निर्भर नहीं हो सकता. उन्होंने कहा, "किसी ऐसे शख्स की गैरमौजूदगी के आधार पर G20 को रोका नहीं जा सकता, जिसे बुलाया गया था. यह G20 सिर्फ़ US के बारे में नहीं है. यह सभी 21 सदस्यों के बारे में है. हममें से जो लोग यहां हैं, उन्होंने तय किया है कि दुनिया को यहीं जाना चाहिए."

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G20 इकॉनमी के लिए भारत का विज़न

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जोहान्सबर्ग में G20 लीडर्स समिट में शामिल हुए, यह फोरम में उनकी 12वीं भागीदारी थी. सफल होस्टिंग के लिए दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा को धन्यवाद देते हुए, मोदी ने पहले दिन के दोनों सेशन को संबोधित किया और स्किल्ड माइग्रेशन, फ़ूड सिक्योरिटी, डिजिटल इनोवेशन और महिला सशक्तिकरण पर प्रेसीडेंसी के काम की तारीफ़ की.

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उन्होंने कहा कि अफ्रीका में पहला G20 समिट लोगों, समाज और प्रकृति के बीच तालमेल पर आधारित नए डेवलपमेंट पैरामीटर अपनाने का एक मौका था, जो भारत के "इंटीग्रल ह्यूमनिज़्म" के कॉन्सेप्ट को हाईलाइट करता है.

PM मोदी ने छह पहलों का प्रस्ताव रखा, जिनमें G20 ग्लोबल ट्रेडिशनल नॉलेज रिपॉजिटरी, अफ्रीका स्किल्स मल्टीप्लायर, ग्लोबल हेल्थकेयर रिस्पॉन्स टीम, विकासशील देशों के लिए सैटेलाइट-डेटा पार्टनरशिप, क्रिटिकल मिनरल्स सर्कुलरिटी इनिशिएटिव और ड्रग-टेरर नेक्सस का मुकाबला करने की योजना शामिल है.

आपदा से निपटने और क्लाइमेट चुनौतियों पर बोलते हुए, उन्होंने डेवलपमेंट पर ध्यान देने वाले तरीकों, विकासशील देशों के लिए ज़्यादा क्लाइमेट फाइनेंस और मज़बूत फ़ूड सिक्योरिटी फ्रेमवर्क पर ज़ोर दिया.

PM ने ग्लोबल गवर्नेंस में ग्लोबल साउथ की आवाज़ को बढ़ाने की भी अपील की.

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