G20 के पहले दिन क्या-क्या हुआ? मोदी-मेलोनी की खास केमिस्ट्री से लूला को गले लगाने तक... तस्वीरों में देखें

जोहान्सबर्ग में जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन की थीम “एकजुटता, समानता और स्थिरता” रही. इस बार नेताओं ने शुरुआत में ही संयुक्त घोषणापत्र को मंज़ूरी दे दी, जो आमतौर पर बाद में होता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समावेशी विकास पर अपना विस्तृत संबोधन दिया और चार बड़ी वैश्विक पहलें सुझाईं.

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क्लाइमेट फाइनेंस, डेट रिलीफ और रिन्यूएबल एनर्जी पर बड़े लक्ष्यों के साथ जी-20 ने साझा ठोस दिशा दिखाई (Photo: PTI) क्लाइमेट फाइनेंस, डेट रिलीफ और रिन्यूएबल एनर्जी पर बड़े लक्ष्यों के साथ जी-20 ने साझा ठोस दिशा दिखाई (Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:09 AM IST

दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन का शनिवार को पहला दिन रहा. इस साल यह सम्मेलन "एकजुटता, समानता और स्थिरता" की थीम पर आधारित है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार की शाम को तीन दिवसीय दौरे पर जोहान्सबर्ग पहुंचे थे. हालांकि, कार्यक्रम का आग़ाज़ शनिवार से हुआ. 

आइए तो फिर जानते हैं कि जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन क्या-क्या हुआ.

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शनिवार की सुबह जी-20 शिखर सम्मेलन की औपचारिक शुरुआत जोहान्सबर्ग के नासरेक एक्सपो सेंटर में हुई, जहां दुनिया के बड़े नेता पहुंचे. दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया. प्रधानमंत्री मोदी ने भी रामाफोसा को इतने अहम शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए धन्यवाद दिया.

शुरुआत में ही घोषणापत्र पास

आमतौर पर जी-20 का संयुक्त घोषणापत्र (यानी जो भी बातें मिलकर तय होती हैं) शिखर सम्मेलन के आखिर में पास होता है, लेकिन इस बार परंपरा तोड़कर शुरुआत में ही इसे मान लिया गया. यह काम तब हुआ जब अमेरिका ने इस बैठक को बॉयकॉट कर दिया, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दक्षिण अफ्रीका की मेजबानी से खुश नहीं थे और उन्होंने आरोप लगाया था कि वहां गोरे लोगों के साथ भेदभाव होता है. इसके बावजूद बाकी जी-20 देशों ने आगे बढ़कर घोषणापत्र अपना लिया.

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राष्ट्रपति रामाफोसा ने अपने शुरुआती भाषण में कहा कि घोषणापत्र को लेकर सभी देशों में जबरदस्त सहमति और समझौता हुआ है. उन्होंने कहा, इससे दुनिया को संदेश जाता है कि मिलकर चलने वाली वैश्विक व्यवस्था (मल्टीलेटरल सिस्टम) काम करती है और नतीजा देती है.

प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन और प्रस्ताव

पहला सत्र इस विषय पर था – “समावेशी और सतत आर्थिक विकास – किसी को पीछे न छोड़ना.” इसी सत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने अपना विस्तृत संबोधन दिया. उन्होंने साफ कहा कि अफ्रीका महाद्वीप पहली बार जी-20 की मेजबानी कर रहा है, यह बहुत खास मौका है.

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि कई दशकों से जी-20 ने दुनिया की फाइनेंस और आर्थिक विकास की दिशा तय की है. लेकिन अब तक जो विकास के पैमाने बने, उन्होंने बड़ी आबादी को संसाधनों से दूर रखा और प्रकृति का जरूरत से ज्यादा दोहन बढ़ाया. 

उनके मुताबिक, इसका सबसे बड़ा नुकसान अफ्रीका ने झेला है. अब जब पहली बार अफ्रीका जी-20 की मेजबानी कर रहा है, तो विकास को मापने के तरीकों पर फिर से सोचने का यह सही समय है. उन्होंने कहा, भारत के पुरातन मूल्य, खासकर ‘एकात्म मानववाद’ का सिद्धांत, आगे का रास्ता दिखा सकता है.

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चार बड़ी पहलें क्या हैं?

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में चार बड़ी ग्लोबल पहलें सुझाईं, और हर एक का साफ मकसद बताया.

1. वैश्विक पारंपरिक ज्ञान भंडार

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में ऐसे बहुत से समुदाय हैं, जो आज भी अपनी पुरानी, संतुलित और पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली को संभालकर जी रहे हैं. उनका सुझाव था कि जी-20 के तहत एक “ग्लोबल ट्रेडिशनल नॉलेज रिपोजिटरी” बनाया जाए. भारत की “इंडियन नॉलेज सिस्टम्स” पहल इस काम की बुनियाद बन सकती है. यह मंच इंसानियत के सामूहिक ज्ञान को एक जगह सहेजकर आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने में मदद करेगा.

2. जी-20–अफ्रीका स्किल्स मल्टीप्लायर इनिशिएटिव

प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कहा कि अफ्रीका का विकास और वहां की युवाशक्ति को सक्षम बनाना पूरी दुनिया के हित में है. उन्होंने “जी-20–अफ्रीका स्किल्स मल्टीप्लायर इनिशिएटिव” का प्रस्ताव दिया. यह योजना “ट्रेन-द-ट्रेनर्स” मॉडल पर चल सकती है, यानी पहले ट्रेनर तैयार होंगे, फिर वही आगे लाखों युवाओं को ट्रेन करेंगे. लक्ष्य रखा गया कि अगले दस साल में अफ्रीका में 10 लाख सर्टिफाइड ट्रेनर तैयार किए जाएं, जो बाद में करोड़ों युवाओं को स्किल सिखा सकें. 

प्रधानमंत्री मोदी ने गर्व से याद दिलाया कि भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ को जी-20 का स्थायी सदस्य बनाया गया था और उसी भावना को आगे बढ़ाते हुए यह पहल रखी जा रही है.

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3. जी-20 ग्लोबल हेल्थकेयर रिस्पांस टीम

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि स्वास्थ्य आपातकाल (जैसे महामारी) और प्राकृतिक आपदाओं से निपटना सबकी साझा जिम्मेदारी है. इसके लिए उन्होंने “जी-20 ग्लोबल हेल्थकेयर रिस्पांस टीम” बनाने का प्रस्ताव दिया. इस टीम में जी-20 देशों के प्रशिक्षित डॉक्टर और मेडिकल एक्सपर्ट होंगे, जिन्हें किसी भी बड़े स्वास्थ्य संकट या प्राकृतिक आपदा के समय तुरंत मौके पर भेजा जा सकेगा.

4. ड्रग–टेरर नेक्सस के खिलाफ जी-20 पहल

प्रधानमंत्री ने ड्रग तस्करी पर खास तौर से जोर दिया, खासकर फेंटानिल जैसी बेहद खतरनाक ड्रग्स के बढ़ते प्रसार पर चिंता जताई. उन्होंने कहा, ये सिर्फ पब्लिक हेल्थ के लिए नहीं, बल्कि समाज की स्थिरता और वैश्विक सुरक्षा के लिए भी बड़ी चुनौती हैं. 

साथ ही, यह आतंकवाद के लिए फंडिंग का बड़ा जरिया भी है. इसी को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने “जी-20 इनिशिएटिव ऑन काउंटरिंग द ड्रग–टेरर नेक्सस” का प्रस्ताव रखा. उनका कहना था कि इसके तहत फाइनेंस, गवर्नेंस और सिक्योरिटी से जुड़े अलग-अलग टूल्स को एक प्लेटफॉर्म पर लाया जा सकता है, ताकि इस ड्रग–टेरर इकॉनमी को कमजोर किया जा सके.

प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकातें: किन–किन से बात हुई?

शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अलग–अलग देशों के कई बड़े नेताओं से मुलाकात की. इन बैठकों में द्विपक्षीय रिश्तों से लेकर तकनीक, सुरक्षा, व्यापार और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा हुई.

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ऑस्ट्रेलिया–कनाडा–भारत त्रिपक्षीय बैठक

प्रधानमंत्री मोदी ने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के साथ एक त्रिपक्षीय बैठक की. यहां “ऑस्ट्रेलिया–कनाडा–इंडिया टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन (ACITI) पार्टनरशिप” की घोषणा हुई. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के साथ (Photo: PTI)

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि तीन महाद्वीपों और तीन महासागरों में फैले ये लोकतांत्रिक साझेदार मिलकर नई टेक्नोलॉजी, सप्लाई चेन में विविधीकरण, क्लीन एनर्जी और एआई के उपयोग जैसे क्षेत्रों में गहरी साझेदारी करेंगे.

ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी अल्बनीज़

प्रधानमंत्री मोदी और अल्बनीज़ की अलग से भी द्विपक्षीय बैठक हुई, जिसमें दोनों ने अपनी “व्यापक रणनीतिक साझेदारी” की समीक्षा की॥ अल्बनीज़ ने भारत में हुए हालिया आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की और पीड़ित परिवारों के लिए संवेदना जाहिर की. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑस्ट्रेलियाई काउंटरपार्ट एंथनी अल्बानीज़ के साथ मीटिंग के दौरान (Photo: PTI)

दोनों नेताओं ने रक्षा–सुरक्षा, न्यूक्लियर एनर्जी, व्यापार, निवेश, लोगों की आवाजाही (मोबिलिटी) और शिक्षा जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग मजबूत करने के तरीकों पर बात की.

ब्रिटेन के पीएम किएर स्टार्मर

प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर से भी मुलाकात की. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जोहान्सबर्ग में उनसे मिलना बहुत अच्छा अनुभव रहा. उनके मुताबिक, इस साल भारत–ब्रिटेन साझेदारी में नई ऊर्जा आई है और दोनों देश कई क्षेत्रों में इसे और आगे ले जाने पर काम करते रहेंगे.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टारमर के साथ (Photo: PTI)

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों

प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से भी अलग से मुलाकात की और इसे बेहद सकारात्मक बातचीत बताया. उन्होंने कहा कि भारत–फ्रांस के रिश्ते आज भी वैश्विक भलाई के लिए एक मजबूत ताकत बने हुए हैं. दोनों नेताओं ने यूक्रेन युद्ध खत्म करने के प्रयासों, आपसी सहयोग और फरवरी 2026 में भारत में होने वाले “एआई इम्पैक्ट समिट” पर विस्तार से चर्चा की.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ (Photo: PTI)

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे–म्युंग

प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे–म्युंग से भी मीटिंग की. यह इस साल उनकी दूसरी मुलाकात थी, जो भारत–दक्षिण कोरिया की “स्पेशल स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप” में तेज रफ्तार का संकेत देती है. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे–म्युंग के साथ (Photo: PTI)

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि दोनों ने आर्थिक और निवेश संबंधों को और गहरा करने के लिए अपने–अपने नजरिये साझा किए. राष्ट्रपति ली ने कहा कि करीब 550 कोरियाई कंपनियां आज भारत में काम कर रही हैं और उन्होंने अर्थव्यवस्था, एडवांस टेक, रक्षा और सांस्कृतिक एक्सचेंज में सहयोग बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया.

ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा

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प्रधानमंत्री मोदी ने ब्राजील के राष्ट्रपति लूला से भी मुलाकात की और कहा कि उनसे मिलना हमेशा खुशी की बात होती है. दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि भारत और ब्राजील अपने लोगों के हित में व्यापार और सांस्कृतिक रिश्तों को और मजबूत करने के लिए मिलकर काम करते रहेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्राजील के राष्ट्रपति लूला के साथ (Photo: PTI)

मलेशिया के पीएम अनवर इब्राहिम

प्रधानमंत्री मोदी ने मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के साथ भी मुलाकात की, जिसे उन्होंने “बहुत अच्छा आइडिया–एक्सचेंज” बताया. प्रधानमंत्री मोदी ने साफ किया कि भारत और मलेशिया मिलकर अपने द्विपक्षीय सहयोग को और ज्यादा विविध और गहरा बनाते रहेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के साथ (Photo: PTI)

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस

प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से भी मुलाकात की और इसे “बहुत उत्पादक” बातचीत बताया. यहां वैश्विक मुद्दों पर, खासकर बहुपक्षीय व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर चर्चा हुई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के साथ (Photo: PTI)

अन्य नेता

प्रधानमंत्री मोदी ने इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी सहित कई और नेताओं से भी मुलाकात की। इन सभी बैठकों में भारत ने खुद को एक जिम्मेदार, सक्रिय और समाधान देने वाले देश के रूप में पेश किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के साथ (Photo: PTI)

जी-20 घोषणापत्र में क्या–क्या तय हुआ?

इस बार खास बात यह रही कि शिखर सम्मेलन के पहले ही दिन जी-20 नेताओं ने संयुक्त घोषणापत्र अपना लिया. इसमें कई अहम वैश्विक मुद्दों पर देशों की साझा पोजीशन सामने आई.

आतंकवाद पर सख्त रुख

घोषणापत्र में साफ–साफ हर तरह के आतंकवाद की निंदा की गई. भारत ने यह सुनिश्चित किया कि आतंकवाद के खिलाफ मजबूत और स्पष्ट भाषा शामिल हो, ताकि संदेश जाए कि दुनिया इस मुद्दे पर ढीला रुख नहीं अपनाएगी.

संघर्ष क्षेत्रों में शांति

नेताओं ने सूडान, कांगो (डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो), कब्जे वाले फिलिस्तीनी इलाकों और यूक्रेन जैसे संघर्ष क्षेत्रों में “न्यायसंगत, व्यापक और टिकाऊ शांति” के प्रयासों को सपोर्ट करने पर सहमति जताई. यानी सिर्फ युद्ध रोकना नहीं, बल्कि ऐसी शांति लाना जो लंबे समय तक चल सके.

जलवायु परिवर्तन और साफ ऊर्जा

घोषणापत्र में जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को स्वीकार किया गया और नवीकरणीय ऊर्जा (रीनेवेबल) की क्षमता को तीन गुना करने के प्रयासों का समर्थन किया गया. यह रुख अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की सोच से अलग है, क्योंकि ट्रंप अक्सर इंसानी गतिविधियों से होने वाली ग्लोबल वार्मिंग पर सवाल उठाते हैं.

गरीब देशों का कर्ज और फाइनेंस

नेताओं ने गरीब देशों पर बाहरी कर्ज के ब्याज भुगतान में आई तेज बढ़ोतरी पर चिंता जताई. साथ ही, टिकाऊ फाइनेंस और समन्वित ऋण राहत (डेट रिलीफ) के लिए मिलकर काम करने की जरूरत पर जोर दिया, ताकि गरीब देशों की अर्थव्यवस्था दम न तोड़ दे.

जलवायु फाइनेंस के लिए बड़ी रकम

घोषणापत्र में माना गया कि जलवायु फाइनेंस को अब अरबों डॉलर से उठाकर खरबों डॉलर के स्तर तक ले जाना होगा. विकासशील देशों की जरूरतों का अनुमान 2030 से पहले की अवधि के लिए 5.8–5.9 ट्रिलियन डॉलर लगाया गया, यानी बहुत बड़ी रकम की जरूरत है ताकि वे जलवायु परिवर्तन से निपटने और विकास दोनों को साथ ले जा सकें.

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)

दस्तावेज में एआई को लेकर यह बात दोहराई गई कि इसका विकास सुरक्षित और भरोसेमंद तरीके से होना चाहिए. यानी टेक्नोलॉजी आगे बढ़े, लेकिन इंसानों की सुरक्षा, गोपनीयता और नैतिकता पर समझौता न हो.

महिला सशक्तिकरण

भारत की जी-20 अध्यक्षता की एक बड़ी उपलब्धि “महिला–नेतृत्व विकास” को बढ़ावा देना रही. घोषणापत्र में भी महिला सशक्तिकरण और उनकी नेतृत्वकारी भूमिका को सपोर्ट किया गया, यानी यह माना गया कि विकास में महिलाओं की भागीदारी जितनी ज्यादा होगी, समाज उतना आगे जाएगा.

आपदा लचीलापन (डिजास्टर रेजिलिएंस)

दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता की प्राथमिकताओं में से एक थी – आपदाओं से निपटने की क्षमता को मजबूत करना. घोषणापत्र में आपदा लचीलेपन और बेहतर रिस्पॉन्स पर जोर दिया गया. साथ ही, भारत की अध्यक्षता में शुरू हुए “कोलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर (CDRI)” को भी औपचारिक रूप से मान्यता दी गई.

पारंपरिक चिकित्सा की भूमिका

स्वास्थ्य के क्षेत्र में पारंपरिक और पूरक चिकित्सा की भूमिका को भी माना गया. यह बात पहले नई दिल्ली में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन की घोषणा से मिलती–जुलती है, जहां भी पारंपरिक तरीकों और सिस्टम्स की अहमियत स्वीकार की गई थी.

IBSA शिखर सम्मेलन: तीन लोकतंत्रों का मंच

जी-20 बैठकों के साथ–साथ प्रधानमंत्री मोदी ने छठे IBSA (इंडिया–ब्राजील–साउथ अफ्रीका) नेताओं की बैठक में भी हिस्सा लिया. IBSA तीन बड़े लोकतांत्रिक देशों का मंच है, जो राजनीतिक तालमेल, त्रिपक्षीय सहयोग और IBSA फंड के जरिए काम करता है. यह मंच खास तौर पर खाद्य सुरक्षा और भूख मिटाने जैसे मुद्दों पर प्रोजेक्ट चलाता है, ताकि गरीब और कमजोर वर्गों तक मदद पहुंच सके.

जी-20 के तीन बड़े सत्र

इस शिखर सम्मेलन में कुल तीन मुख्य सत्र हुए, जिनमें अलग–अलग थीम पर चर्चा हुई, और मोदी ने तीनों में हिस्सा लेकर भारत का नजरिया रखा.

1. समावेशी और सतत आर्थिक विकास – किसी को पीछे न छोड़ना

इस सत्र में बात हुई कि कैसे ऐसी अर्थव्यवस्था बनाई जाए जो सबको साथ लेकर चले. इसमें व्यापार की भूमिका, विकास के लिए फाइनेंस की जरूरत और बढ़ते कर्ज के बोझ जैसे मुद्दे शामिल रहे. मकसद यह था कि विकास सिर्फ आंकड़ों में न दिखे, बल्कि आम लोगों के जीवन में भी फर्क नजर आए.

2. एक लचीली दुनिया – जी-20 का योगदान

दूसरे सत्र की थीम थी “एक रेजिलिएंट वर्ल्ड” यानी ऐसी दुनिया जो आपदाओं और झटकों से जल्दी उबर सके. इसमें आपदा जोखिम घटाने, जलवायु परिवर्तन, न्यायसंगत ऊर्जा बदलाव (जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन) और फूड सिस्टम्स पर चर्चा हुई. यानी कैसे ऐसी नीतियां बनें कि बाढ़, सूखा, युद्ध या बाजार के झटकों के बावजूद लोग भूखे न रहें और सिस्टम टूटे नहीं.

3. सभी के लिए निष्पक्ष और न्यायपूर्ण भविष्य

तीसरे सत्र में “क्रिटिकल मिनरल्स” (जिन्हें नई टेक्नोलॉजी के लिए बड़ी मात्रा में चाहिए), सम्मानजनक और सुरक्षित रोजगार (डिसेंट वर्क) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे मुद्दों पर बात हुई. यहां फोकस था कि टेक्नोलॉजी और संसाधन कुछेक देशों या कंपनियों के हाथ में सिमट न जाएं, बल्कि सबके लिए न्यायपूर्ण सिस्टम बने.

प्रधानमंत्री मोदी ने इन तीनों सत्रों में भाग लेकर भारत की सोच और सुझाव सामने रखे, ताकि ग्लोबल फैसलों में भारत की आवाज साफ–साफ सुनी जा सके.

अमेरिका का बहिष्कार और दुनिया की प्रतिक्रिया

इस बार जी-20 शिखर सम्मेलन की एक और बड़ी खबर रही – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बैठक का बहिष्कार. ट्रंप ने आरोप लगाया कि दक्षिण अफ्रीका में गोरे लोगों के साथ भेदभाव होता है, हालांकि इस आरोप को बड़े पैमाने पर खारिज कर दिया गया. इसके बावजूद बाकी जी-20 देशों ने न सिर्फ बैठक जारी रखी, बल्कि घोषणापत्र भी अपनाया और शिखर सम्मेलन को सफलतापूर्वक पूरा किया.

फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने इस माहौल में कहा कि हमारी जिम्मेदारी है कि हम मौजूद रहें और मिलकर काम करें, क्योंकि आगे हमारे सामने चुनौतियां बहुत हैं. यानी एक तरह से उन्होंने संदेश दिया कि व्यक्तिगत नाराजगी या बहिष्कार से ज्यादा जरूरी है कि दुनिया की चुनौतियों के समाधान के लिए देश एकजुट होकर काम करें.

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